Govt amends cab aggregator rules: कैब से सफर आज शहरी भारत की जरूरत बन चुका है. ऑफिस जाना हो, देर रात घर लौटना हो या फिर किसी सुरक्षित यात्रा की चिंता कैब ऐप्स पर लोग हर दिन भरोसा करते हैं. खासकर महिलाओं के लिए सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कैब एग्रीगेटर नियमों में बड़ा बदलाव किया है. नए नियमों के तहत अब यात्री चाहें तो अपने ही जेंडर के ड्राइवर को चुन सकेंगे. महिलाओं को महिला ड्राइवर चुनने का विकल्प भी मिलेगा. इसके साथ ही टिपिंग से जुड़े नियमों को भी साफ किया गया है, ताकि ड्राइवरों को पूरा फायदा मिल सके और यात्रियों पर कोई दबाव न पड़े. सरकार का कहना है कि इन बदलावों का मकसद यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाना और ड्राइवरों के हितों की रक्षा करना है.
कैब नियमों में बड़ा बदलावकेंद्र सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर वाहन एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2025 में संशोधन किया है. इसके तहत सभी कैब एग्रीगेटर ऐप्स को यह सुविधा देनी होगी कि यात्री उपलब्धता के आधार पर अपने ही जेंडर के ड्राइवर को चुन सकें. इसमें महिलाओं के लिए महिला ड्राइवर चुनने का विकल्प भी शामिल है. मंत्रालय ने साफ कहा है कि ऐप में यह फीचर होना चाहिए, ताकि यात्री चाहें तो इसका इस्तेमाल कर सकें. सरकार का मानना है कि इससे खासकर महिला यात्रियों को ज्यादा सुरक्षित महसूस होगा.
महिला ड्राइवर बहुत कमहालांकि, इस नियम का पालन कर पाना काफी मुश्किल है. ऐसा इसलिए क्योंकि अभी पूरे सेक्टर में महिला ड्राइवरों की हिस्सेदारी 5 फीसदी से भी कम है. अगर बड़ी संख्या में यात्री महिला ड्राइवर का विकल्प चुनते हैं, तो वेटिंग पिरियड बढ़ सकता है. खासकर रात के समय, जब पहले से ही ड्राइवर कम होते हैं, यह समस्या और गंभीर हो सकती है. इससे कैब सर्विस की ऑन-डिमांड प्रभावित हो सकती है. इस मुद्दे पर Uber, Ola और Rapido ने खबर लिखे जाने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. मनी 9 ने कैब एग्रीगेटरों को ईमेल करके इस मुद्दे पर उनकी टिप्पणी मांगी है. उनकी टिप्पणी मिलते ही खबर अपडेट कर दी जाएगी.
टिपिंग को लेकर भी साफ नियमसरकार ने ड्राइवरों के लिए टिपिंग से जुड़े नियम भी तय किए हैं. अब यात्री सफर पूरा होने के बाद, अपनी मर्जी से ड्राइवर को टिप दे सकते हैं. नियमों के मुताबिक:
इसके अलावा, सरकार ने कहा है कि टिपिंग से जुड़ा कोई भी फीचर भ्रामक या दबाव डालने वाला नहीं होना चाहिए और यह Consumer Protection Act, 2019 के खिलाफ नहीं होना चाहिए.
डायनेमिक प्राइसिंग और किराये पर भी सख्तीसरकार ने 1 जुलाई को जारी गाइडलाइंस में डायनेमिक प्राइसिंग की भी इजाजत दी है. इसके तहत कंपनियां राज्य सरकार के तय बेस फेयर से 50 फीसदी तक कम किराया ले सकती हैं. वहीं, पीक ऑवर में ज्यादा से ज्यादा किराया बेस फेयर का दोगुना ही होगा. अगर कोई एग्रीगेटर गलत तरीके से ज्यादा किराया वसूलता है, तो उसका लाइसेंस सस्पेंड या रद्द भी किया जा सकता है.
डेड माइलेज और ड्राइवर-वेलफेयर पर फोकसनए नियमों में यह भी साफ किया गया है कि यात्री से डेड माइलेज का पैसा नहीं लिया जाएगा, सिवाय उन मामलों के जहां पिकअप दूरी 3 किलोमीटर से कम हो. किराया सिर्फ यात्रा की शुरुआत से मंजिल तक का ही लिया जाएगा. सरकार का कहना है कि इन सभी बदलावों का मकसद यात्रियों की सुरक्षा, पारदर्शी किराया व्यवस्था और ड्राइवरों के हितों की रक्षा करना है.
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