बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद 12 फरवरी को जातीय संसद के लिए होने वाले चुनाव से पहले पूरा देश हिंसा की आग में जल रहा है. अल्पसंख्यकों और हिंदुओं पर लगातार अत्याचार की घटनाएं घट रही हैं. इसे लेकर यूनुस सरकार पर सवाल उठ रहे हैं. इन सभी के बीच बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के एक्टिंग चेयरमैन और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के पुत्र तारिक रहमान 17 सालों के बाद अपनी पत्नी और बेटी के साथ वतन वापसी किए हैं. तारिक रहमान का बांग्लादेश में उनके समर्थकों ने काफी गर्मजोशी से स्वागत किया.
तारिक रहमान ने अपनी बीमार मां खालिदा जिया से मुलाकात करने गए तो समर्थकों की इतनी भीड़ उमड़ी की कि उन्हें पहुंचने में काफी समय लगा. अपने पहले संबोधन में तारिक रहमान ने सुरक्षित बांग्लादेश बनाने की बात कही. मुक्तियोद्धा और हादी का जिक्र किया.
मोहम्मद यूनुस और जमात-ए-इस्लामी की नीतियों से इतर तारिक रहमान ने बांग्लादेश के इतिहास को याद किया. मार्टिन लूथर की बात कही, तो कट्टरपंथी युवा का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा, “मेरे पास एक प्लान है.”बांग्लादेश की धरती पर पैर रखने के बाद तारिक रहमान इमोशनल हो गए. वह नंगे पैर जमीन पर खड़े हो गए. उन्होंने देश की मिट्टी भी अपने हाथों में उठा ली. बाद में जब वह स्टेज पर गए, तो उन्होंने प्रिय बांग्लादेश’ कहकर अपनी स्पीच शुरू की और फिर प्लान की बात की.
तारिक ने युनूस के कट्टरपंथी प्लान को दिखाया आईनातारिक रहमान ने बांग्लादेश में धार्मिक सद्भाव और देश के लोगों की सुरक्षा की बात कही और अब इसी मुद्दे के साथ तारिक रहमान चुनाव में हिस्सा लेंगे. राजनीतिक विश्लेषक पार्थ मुखोपाध्याय का कहना है कि उनके नेतृत्व में बहुमत के साथ सरकार बनाएगी. तारिक रहमान बांग्लादेश की इमेज को सुधारना चाहते हैं, जो एक के बाद एक आंदोलन और हिंसा से खराब हुई है. साथ ही, वह पड़ोसी भारत के साथ कड़वे रिश्तों को एक बार फिर से अच्छा करने की कोशिश करेंगे. यूनुस ने एक नए बांग्लादेश का सपना देखा था, तारिक रहमान एक और नए बांग्लादेश का सपना देख रहे हैं. जहां लोगों को बोलने का हक होगा.
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उन्होंने कहा कि यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश की संस्कृति, इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम की यादों को मिटाया जा रहा है. बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की यादों को मिटाया जा रहा है और वह भारत विरोधी भावनाओं को हवा दे रहे हैं, लेकिन तारिक रहमान इससे अलग एक नया बांग्लादेश बनाने का बात कर रहे हैं. उनका पहला लक्ष्य बांग्लादेश में चुनी हुई सरकार बनाना है.
देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए एक मजबूत हाथ होना जरूरी है. तारिक रहमान वह हाथ बनना चाहते हैं और शेख हसीना और अवामी लीग के जाने के बाद, वह रास्ता बहुत आसान हो गया है.
300 सीटों पर चुनाव, बीएनपी की दावेदारी मजबूतबांग्लादेश की जातीय संसद के लिए 12 फरवरी हो चुनाव होने हैं. कुल 350 में से 300 सीटों पर चुनाव होगा. इसमें 300 सीटों के लिए वोट डाले जाते हैं, जबकि 50 महिलाओं के लिए रिजर्व है. अनुपात के हिसाब से उन्हें नॉमिनेट किया जाता है. सरकार बनाने के लिए, किसी पार्टी या गठबंधन को 151 सीटों की जरूरत होती है. यूनुस ने सरकार गठन के बाद अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया है. अब वहां बीएनपी, एनसीपी, जमात-ए-इस्लामी, जातीय पार्टी, साथ ही कई दूसरी छोटी पार्टियां और इंडिपेंडेंट उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं.
बीएनपी चुनाव लड़ने वाली मुख्य पार्टियों में से एक है, जिसे एक बड़ा दावेदार माना जा रहा है. तारिक रहमान ंकी वापसी से बीएनपी काफी मजबूत हुई है. पिछले साल शेख हसीना की सरकार के खिलाफ छात्रों के आंदोलन के बाद नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) पार्टी का गठन हुआ था. यह पार्टी चुनाव लड़ रही है और एक अहम खिलाड़ी हो सकती है. इसके साथ ही बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी और जातीय पार्टी (इरशाद) पार्टी भी चुनावी मैदान में है.
जमात-एनसीपी के बीच समझौते की बातचीतचुनाव के लिए नेशनल सिटिजन पार्टी और जमात-ए-इस्लामी के बीच सीट शेयरिंग एग्रीमेंट पर बातचीत चल रही है. हालांकि पार्टी में कई लोग इस मुद्दे पर सहमत हैं, लेकिन एक धड़े की राय अलग भी है. इससे पहले एनसीपी के बीएनपी के साथ सीट शेयरिंग एग्रीमेंट के मुद्दे पर बातचीत हुई थी. हालांकि, आखिर में दोनों पक्षों में कोई सहमति नहीं बन पाई.
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हालांकि बीएनपी के एक्टिंग चेयरमैन तारिक रहमान के लौटने के बाद, एनसीपी के बड़े नेता उनके साथ फिर से सीट शेयरिंग एग्रीमेंट पर बातचीत की संभावना देख रहे हैं. वे तारिक रहमान से मिलकर इस मुद्दे पर बातचीत करना चाहते हैं.
जमात को अब सहारे की जरूरतइससे पहले, एनसीपी के बीएनपी के साथ सीट शेयरिंग एग्रीमेंट के मुद्दे पर बातचीत हुई थी. हालांकि, आखिर में दोनों पक्षों में कोई समझौता नहीं हुआ. बीएनपी एनसीपी से समझौता के पक्ष में नहीं है. ऐसे में एनसीपी और जमात के बीच समझौता को लेकर बातचीत चल रही है. एनसीपी ने कम से कम 50 सीटों की मांग की है, हालांकि जमात इतनी सीटें देने पर राजी नहीं है, लेकिन जिस तरह से तारिक रहमान की बांग्लादेश वापसी के बाद बीएनपी समर्थकों में उत्साह देखा गया है, उसके बाद फिर से एनसीपी और जमात अपनी प्लानिंग में जुट गए हैं.
एनसीपी के नेताओं का मत है कि अगर उन्हें जीतना है, तो उनके पास बीएनपी या जमात के साथ अलायंस करने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं है. इसलिए, जैसे जमात के साथ बातचीत हो रही है, वैसे ही वे बीएनपी के साथ बातचीत का रास्ता खुला रखे हुए हैं. कुल मिलाकर तारिक रहमान की वापसी के बाद बांग्लादेश में गठबंधन की सियासत और समीकरण के गणित फिर से गढ़े जाने लगे हैं.