बोर्ड एग्जाम तकरीबन फरवरी के लास्ट या मार्च के शुरुआत में शुरु हो जाते हैं, इसलिए कुछ महीने पहले से ही बच्चे तैयारी में जुट जाते हैं, क्योंकि ये एक तरह से गोल्डन टाइम होता है, जिसे वेस्ट नहीं करना चाहिए.अगर सही गाइडेंस और मोरल सपोर्ट मिले तो बच्चा एग्जाम की बेहतरीन तैयारी कर पाता है और उसे किसी तरह का स्ट्रेस भी नहीं होता है. हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा अच्छा परफॉर्म करे और खासतौर पर बोर्ड एग्जाम में बढ़िया रिजल्ट आए. कई बार इसी के चलते पेरेंट्स कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं जो बच्चों के तनाव, प्रेशर को और भी ज्यादा बढ़ा देती हैं. इस आर्टिकल में जानेंगे कि पेरेंट्स को बोर्ड एग्जाम के दौरान कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए.
बोर्ड एग्जाम का नाम सुनते ही आज भी लोगों को लगता है कि ये सबसे मुश्किल टास्क में से एक है, लेकिन ऐसा नहीं है. अगर बच्चा अपनी तैयारी सही से बिना किसीप्रेशर के करे तो नंबर की टेंशन नहीं रहती है. वहीं बच्चे को स्ट्रेस ज्यादा हो तो पढ़ने के बाद भी वो होपलेस हो सकता है, जिसका असर उसके एग्जाम के रिजल्ट पर पड़ सकता है. चलिए जान लेते हैं पेरेंट्स को कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए.
जरूरत से ज्यादा रोकना-टोकनाबोर्ड एग्जाम जब पास आने लगे तो कई बार पेरेंट्स बच्चों पर ज्यादा प्रेशर बनाने लगते हैं, जैसे खेलने की टाइमिंग कम कर देना. पढ़ाई का शेड्यूल बहुत ज्यादा सख्त बनाना. हर समय नंबर और रैंक की बात करते रहना. बच्चे को ये कहना कि तुम्हें कैसे भी अच्छे नंबर लाने ही हैं. इस तरह से बच्चे में डर और घबराहट बढ़ सकती है. उसे तनाव हो सकता है, जिससे वह पढ़ा हुआ भी भूल सकता है. इसी के चलते कई बार बच्चे बीमार भी हो जाते हैं.
दूसरों से न करें तुलनापेरेंट्स कई बार अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करने लगते हैं, कि देखो उसका बेटा या बेटी कितना पढ़ती है और पिछले साल भी उसके तुमसे ज्यादा नंबर आए थे. इस तरह की तुलना करने से बच्चे के मन में हीन भावना आ जाती है. मोटिवेशन की बजाय उसमें गुस्सा और प्रेशर पैदा होता है. आपको ये समझना होगा कि हर किसी की क्षमता और सीखने का तरीका और स्पीड दूसरे से अलग होती है. बच्चे को मोटिवेट करना है तो उसे सफल लोगों की कहानियां बता सकते हैं.
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आराम और नींद नजरअंदाज करनाबच्चों के साथ ही पेरेंट्स भी बोर्ड एग्जाम को लेकर प्रेशर में रहते हैं. इसी वजह से वह चाहते हैं कि बच्चा खूब पढ़े, लेकिन लगातार पढ़ाई करवाते रहने के वजह से बच्चे के दिमाग थक जाता है और हील होने के लिए उसे अच्छी नींद की जरूरत होती है. पेरेंट्स की ये सबसे बड़ी गलती होती है कि वह बच्चे की नींद और खेल को कई बार नजरअंदाज कर देते हैं. बच्चे को भरपूर कम से कम 7 घंटे की नींद लेने दें और केल के लिए भी बीच-बीच में ब्रेक देते रहें. इससे बच्चे बेहतर तरीके से चीजों को समझ और याद कर पाता है.
पोषण का ध्यान न रखनाअक्सर देखने में आता है कि बच्चे एग्जाम आते-आते बीमार होने लगते हैं. इसके पीछे की वजह पोषण की कमी हो सकती है. पढ़ाई के दौरान बच्चे के खाने-पीने का ज्यादा ध्यान रखना चाहिए. कई बार बच्चा लंबे समय तक बैठकर पढ़ता रहता है और घंटों कुछ नहीं खाता है या फिर स्ट्रेस की वजह से उसे भूख लगना कम हो जाती है. पेरेंट्स को इस बात पर खासतौर पर ध्यान देना चाहिए. पढ़ाई के दौरान बच्चे को बीच-बीच में थोड़ा बहुत कुछ हल्का और पौष्टिक खाने के लिए देना चाहिए. उसके खाने के रूटीन को सुधारना चाहिए. इससे वह न सिर्फ मेंटली बल्कि फिजिकली भी एक्टिव रहेगा.