हिंदी थोपने की अफवाहों पर जवाब, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया तमिल में संबोधन
TV9 Bharatvarsh December 31, 2025 08:42 AM

काशी तमिल संगमम 4.0 के समापन समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान ने पूरा संबोधन तमिल भाषा में दिया. ये कार्यक्रम मंगलवार को रामेश्वरम में हुआ.धर्मेंद्र प्रधान का तमिल में बोलना सिर्फ औपचारिकता नहीं था. इसे एक सोची-समझी राजनीतिक संकेत माना जा रहा है. संदेश साफ था केंद्र सरकार भाषा को लेकर टकराव नहीं चाहती. न हिंदी थोपने की बात. न किसी एक भाषा को आगे रखने की कोशिश.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की भाषाएं बांटने के लिए नहीं, जोड़ने के लिए हैं. तमिल में बोलकर उन्होंने यह जताने की कोशिश की कि तमिल भाषा और पहचान का पूरा सम्मान है. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, यह भरोसा सीधे तमिलनाडु की जनता और मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की कोशिश है.

काशी और तमिलनाडु की सभ्यतागत धारा को जोड़ने वाला ‘काशी तमिल संगमम’ भारत की साझा सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने इस पहल के माध्यम से हमारे बौद्धिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक वैभव पर गर्व का भाव जागृत करते हुए राष्ट्रीय एकता को नई ऊर्जा https://t.co/WaYacMbdgG

— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp)


नई शिक्षा नीति पर क्या बोले धर्मेंद्र प्रधान?

नई शिक्षा नीति को लेकर भी संदेश साफ रखा गया. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि NEP 2020 मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई को बढ़ावा देती है. इसका मकसद विकल्प देना है, दबाव बनाना नहीं. यह बात खास तौर पर तमिलनाडु जैसे राज्यों के लिए अहम मानी जा रही है.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हिंदी को लेकर जारी विवाद के बीच यह भाषण डैमेज कंट्रोल से ज्यादा विश्वास बनाने की कोशिश है. केंद्र यह दिखाना चाहता है कि वह भाषाई मुद्दों पर संवेदनशील है. यही वजह है कि इस संबोधन को केंद्र-तमिलनाडु रिश्तों में नरमी का संकेत माना जा रहा है.

तमिल सभ्यता से मिली बौद्धिक और सांस्कृतिक चेतना

शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की आत्मा उसकी सभ्यताओं के समन्वय में बसती है और तमिल सभ्यता व ज्ञान परंपरा उस आत्मा का प्राचीन एवं सशक्त स्वर है. उन्होंने कहा कि तमिल सभ्यता ने भारत की बौद्धिक और सांस्कृतिक चेतना को महत्वपूर्ण दिशा दी है. इसी भाव को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष की थीम #TamilKarkalam तमिल भाषा के माध्यम से भारत तमिल भाषा के माध्यम से भारत के प्राचीन ज्ञान-विज्ञान और जीवन दर्शन से जुड़ने का अवसर प्रदान करती है.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इसी समावेशी दृष्टि को आगे बढ़ाते हैं.

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