जानें, कितने महीनों तक बच्चे के लिए ब्रेस्टफीडिंग है जरूरी
Sneha Srivastava September 17, 2024 01:27 AM

बच्चे के लिए मां का दूध सबसे अच्छा आहार माना जाता है. मां के दूध में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, तो बच्चे के विकास के साथ-साथ इम्यूनिटी बढ़ाने में भी सहायता करते हैं. ब्रेस्टफीडिंग न केवल बच्चे बल्कि मां के लिए भी फायदेमंद मानी जाती है. जन्म से लेकर 6 माह तक बच्चे को केवल मां का दूध पिलाए जाने की राय दी जाती है. तो वहीं कुछ महिलाएं 6 महीने के बाद भी बच्चे को ब्रेस्टफीड करवाती हैं. ऐसे में यदि आपके मन में भी यह प्रश्न है कि बच्चे को कब तक ब्रेस्टफीडिंग करवानी चाहिए, तो यह आर्टिकल आपके लिए है.

कब तक कराएं ब्रेस्टफीडिंग
बता दें कि मां के दूध में सभी तरह के कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स, फैट, विटामिन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं. यह सभी न्यूट्रिएंट्स बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण होते हैं. मां का दूध बच्चे के अंगो के विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है. हालांकि बच्चा 6 महीने तक कुछ खा नहीं सकता है, इसलिए उसे केवल ब्रेस्टफीडिंग करानी चाहिए. 6 महीने से लेकर 1 वर्ष तक ब्रेस्टफीडिंग कराने की राय दी जाती है. इसे मां और बच्चे के कंफर्ट के हिसाब से 1 वर्ष से 2 वर्ष तक की उम्र तक जारी रखा जा सकता है.
एक्सटेंडेड ब्रेस्टफीडिंग के फायदे
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, एक्सटेंडेड ब्रेस्टफीडिंग के भी तमाम लाभ हैं, जिसमें पहला न्यूट्रिशनल सपोर्ट है. बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग से महत्वपूर्ण न्यूट्रिएंट्स और एनर्जी मिलती है.
एक्सटेंडेड ब्रेस्टफीडिंग कराने से बच्चे की इम्यूनिटी मजबूत होती है. इससे बच्चा कई तरह की एलर्जी और इंफेक्शन से बचता है.
यह मां और बच्चे के इमोशनल बॉन्ड को मजबूत करता है. मां के शरीर में ब्रेस्टफीडिंग से कुछ ऐसे हार्मोन रिलीज होते हैं, जिससे स्ट्रेस कम होता है.
एक्सटेंडेड ब्रेस्टफीडिंग से मां को पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा कम रहता है और वह बच्चे से कनेक्शन महसूस करती है.
हालांकि एक्सटेंडेड ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली स्त्रियों को अपनी डाइट का भी खास ख्याल रखना चाहिए.
यह केवल बच्चे के लिए ही नहीं बल्कि मां के लिए भी लाभ वाला होता है.
ब्रेस्टफीडिंग कराने से स्त्रियों को टाइप 2 डायबिटीज, कैंसर और पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा कम हो जाता है.
बता दें कि एक्सटेंडेड ब्रेस्टफीडिंग पूरी तरह से पर्सनल प्राथमिकताओं और परिस्थितियों डिपेंड करता है. इसलिए मां की स्वास्थ्य और कंफर्ट का ध्यान रखना चाहिए. क्योंकि नयी मां के लिए फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों महत्वपूर्ण होते हैं. वहीं ब्रेस्टफीडिंग कब बंद करनी है और कब तक करानी है, यह पूरी तरह से मां पर निर्भर करता है.
वहीं यदि बच्चा कमजोर है या बार-बार बीमार पड़ जाता है, तो ब्रेस्टफीडिंग को जारी रखा जा सकता है. एक्सटेंडेड ब्रेस्टफीडिंग के लिए बच्चे के विकास और स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखा जा सकता है. कई बार बच्चे को दो वर्ष की उम्र तक दूध पिलाने की राय भी दी जाती है.
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