भारत और यूरोपीय संघ सतत जल प्रबंधन के लिए सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए। इसके अलावा, दोनों पक्षों ने नदी घाटी के प्रबंधन में सहयोग बढ़ाने, नवोन्मेष, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सतत निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता जताई।
फोरम ने पूर्वी अफ्रीका, भारत और यूरोपीय संघ के बीच त्रिपक्षीय सहयोग पर चर्चा की जिससे भारत और यूरोपीय संघ दोनों मिलकर विक्टोरिया झील और तांगानिका झील जैसे पूर्वी अफ्रीका के जल निकायों में चुनौतियों का समाधान किया जा सके।
नई दिल्ली में 8वें भारत जल सप्ताह के अवसर पर बृहस्पतिवार को आयोजित छठे भारत-यूरोपीय संघ जल फोरम में भारत-यूरोपीय संघ जल साझेदारी (आईईडब्ल्यूपी) का उद्देश्य जल प्रबंधन में तकनीकी, वैज्ञानिक और नीतिगत ढांचे को बढ़ाना है।
भारत-यूरोपीय संघ जल साझेदारी 2016 में शुरू की गई थी।
वर्तमान में चरण तीन में आईईडब्ल्यूपी नदी घाटी के प्रबंधन, जलवायु लचीलापन, शहरों में बाढ़ और जल संबंधित प्रशासन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रभावशाली और टिकाऊ समाधान बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है।
आईईडब्ल्यूपी के तहत, यूरोपीय संघ और भारत तापी और रामगंगा नदी घाटी के प्रबंधन पर सहयोग कर रहे हैं।
यह फोरम महत्वपूर्ण जल चुनौतियों से निपटने और नवीन तकनीकी समाधान तैयार करने के लिए भारत और यूरोपीय संघ के सरकारी प्रतिनिधियों, नीति निर्माताओं, विशेषज्ञों और व्यवसायों को एक साथ लेकर आया है।
भारत के जल संसाधन राज्य मंत्री डॉ. राज भूषण ने चौधरी ने साझेदारी की उपलब्धियों की सराहना की और इस बात पर जोर दिया कि भारत-यूरोपीय संघ जल साझेदारी ने भारत में जल संसाधनों के समग्र प्रबंधन के लिए जल शक्ति मंत्रालय द्वारा तैयार की गई रणनीतियों का समर्थन करके भारत के जल क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत हर्वे डेल्फिन ने कहा कि यूरोपीय संघ और टीम-यूरोप 8वें भारत जल सप्ताह में शामिल होकर खुश हैं और छठे यूरोपीय संघ-भारत जल फोरम की मेजबानी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आठ वर्षों के सहयोग ने हमें यह दिखा दिया है कि जब हम विशेषज्ञता साझा करते हैं तो हम सबसे गंभीर जल चुनौतियों से भी निपट सकते हैं।
डेल्फिन ने कहा, ”टीम-यूरोप मौजूदा जल सहयोग ढांचे के तहत भारत के साथ अपनी साझेदारी को और गहरा करने के लिए उत्सुक है। यह मंच बढ़ते संबंधों का प्रमाण है।”
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