बुंदेलखंड के कठिया गेंहू को तरराष्ट्रीय पहचान मिल चुकी है। योगी गवर्नमेंट और नाबार्ड की कोशिशों से बुंदेलखंड के कठिया गेहूं को जीआई टैग भी मिल गया है। इस जीआई टैग का इस्तेमाल कर कठिया गेंहू को राष्ट्रीय और तरराष्ट्रीय बाजार में ले जाने की तैयारी शुरु हो गई है। झांसी के एक एफपीओ को जीआई टैग हासिल करने में कामयाबी मिली है।
किसानों को दी जाएगी ट्रेनिंग
जीआई टैग के इस्तेमाल के लिए जनपद स्तरीय जीआई अनुश्रवण कमेटी का गठित की गई है। यह कमेटी आने वाले दिनों में किसानों को जीआई उत्पाद के बारे में जानकारी देगी। जगह-जगह प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। पैदावार और बिक्री के संबंध में किसानों को पूरी जानकरी दी जाएगी। किसान उत्पादक संगठनों द्बारा किसानों से बात कर डेटा तैयार किया जा रहा है। इससे यह पता चलेगा कि जिले में कितने किसान कठिया गेहूं के उत्पादन से जुड़े हुए हैं। उन्हें बेहतर पैकेजिंग की प्रबंध के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इससे उन्हें उत्पाद का बेहतर मूल्य हासिल हो सकेगा।
औषधीय गुणों से भरपूर है कठिया गेहूं
झांसी के ज्येष्ठ कृषि विपणन निरीक्षक प्रखर कुमार ने कहा कि कठिया गेहूं कई रोंगों में असरदार है। इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए, फाइबर, ऑक्सीडेंट भी उपस्थित है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड के कठिया गेहूं को जीआई टैग मिलने से उत्पाद को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहचान मिलेगी। इससे कठिया गेहूं के उत्पादन से जुड़े किसानों की आय में वृद्धि होगी। इसके लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त कर दिया गया है। कृषि विपणन विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गयी है। अब यह कठिया गेंहू बुंदेलखंड की पहचान के रूप में जाना जाएगा। इसे देश-विदेश में एक्सपोर्ट किया जाएगा