Supreme Court Latest News: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (3 अक्टूबर 2024) को जेलों में कैदियों से जाति के आधार पर भेदभाव के मसले पर सुनवाई हुई. इस दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कई तल्ख टिप्पणी की. चीफ जस्टिस ने कहा, "संविधान समानता का अधिकार देता है, छुआछूत को बंद किया गया है, लेकिन ब्रिटिश काल में बने कानूनों का असर अब तक है. अंग्रेजों ने भारत की जाति व्यवस्था को अपने कानूनों में जगह दी. अंग्रेजों ने कई जनजातियों को आपराधिक घोषित किया. स्वतंत्र भारत में उन जातियों को उसी निगाह से देखना गलत है."
सीजेआई चंद्रचूड़ ने आगे कहा, "हमें बताया गया कि जेलों में उच्च जातियों के कैदियों को खाना बनाने जैसे काम दिए जाते हैं. उन्हें इसके लिए सही माना जाता है. यह साफ तौर पर जाति आधारित भेदभाव है. कुछ जातियों को सफाई करने वाला मान कर उन्हें वैसा ही काम दिया जाता है, यह सब गलत है और ऐसा नहीं होना चाहिए."
हर राज्य को दिया यह निर्देश
सीजेआई ने आगे कहा कि डॉक्टर अंबेडकर ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि किसी वर्ग की सामाजिक-आर्थिक स्थिति उसके उत्पीड़न का आधार नहीं हो सकती. न तो अतीत में कुछ जनजातियों को अपराधी कह देना सही था, न आज उन्हें आदतन अपराधी की श्रेणी में डाल देना सही है. हम यह निर्देश दे रहे हैं कि हर राज्य 3 महीने में अपने जेल मैनुअल में संशोधन करे. केंद्र सरकार आदर्श जेल मैनुअल में इस बात को लिखे की जेल में जाति के आधार पर भेदभाव नहीं हो सकता.
'जेल में कैदी की जाति का फॉर्म नहीं होना चाहिए'
सीजेआई ने सुनवाई के दौरान कुछ जातियों को अपराधी मानने वाले सभी प्रावधान असंवैधानिक घोषित किए. सीजेपाई ने कहा कि जेल में कैदी की जाति दर्ज करने का कॉलम नहीं होना चाहिए. केंद्र सरकार 3 सप्ताह में इस फैसले की कॉपी सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजे. जाति के आधार पर सफाई का काम देना गलत है.
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