बिहार की स्त्री डॉन आखिरकार पुलिस की हिरासत में आ गयी। पूर्वी चंपारण जिला पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने इस कुख्यात क्रिमिनल को अरैस्ट किया है। अरैस्ट स्त्री डॉन रीता सिंह आपराधिक प्रतिबंधित संगठन की सदस्य है। इसके ऊपर गवर्नमेंट ने पूरे 50 हजार का पुरस्कार घोषित कर रखा था। अरैस्ट स्त्री डॉन रीता सिंह कई सालों से फरार चल रही थी। स्त्री पर जिले के विभिन्न पुलिस स्टेशन में हत्या, मर्डर का प्रयास, लूट और रंगदारी से संबंधित आठ मुद्दे दर्ज हैं। एसटीएफ ने इसे गया रेलवे स्टेशन से अरैस्ट किया है।
गिरफ्तार रीता सिंह पताही थाना क्षेत्र के बेतौना गांव की रहने वाली है। पुलिस के मुताबिक इसका संबंध प्रतिबंधित संगठन आजाद हिन्द फौज से भी रहा है। रीता सिंह के पति जितेंद्र सिंह मुखिया थे और मुखिया रहते साल 2004 में उग्रवादियों ने जितेंद्र सिंह के घर पर धावा बोलकर उनकी मर्डर कर दी थी। उसके बाद रीता सिंह ने गांव छोड़ दिया और वह श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग से जुड़ गई।
रीता सिंह पूर्व में मोतिहारी कारावास समेत कई जेलों में आर्ट ऑफ लिविंग का प्रशिक्षण शिविर लगाती रही है। इन सबके बीच रीता सिंह का नाम अचानक अपराधिक गतिविधियों में आने लगा। उस पर पकड़ीदयाल पुलिस स्टेशन में मर्डर का प्रयास, फेनहारा पुलिस स्टेशन में लूट और रंगदारी के दो भिन्न-भिन्न मामले, पताही पुलिस स्टेशन में लूट, हत्या, रंगदारी और विविध काण्ड के चार भिन्न-भिन्न मुद्दे के अतिरिक्त मधुबन पुलिस स्टेशन में रंगदारी का एक काण्ड दर्ज है।
एसपी स्वर्ण प्रभात ने कहा कि पकड़ीदयाल डीएसपी सुबोध कुमार के नेतृत्व में पताही थाना और एसटीएफ के एसओजी 8 टीम ने जिला की कुख्यात क्रिमिनल रीता सिंह को पताही से अरैस्ट किया है। इस क्रिमिनल पर कुल 50 हजार का पुरस्कार घोषित किया गया था। रीता सिंह पर एक दर्जन से भी अधिक मुकदमा है। कुल आठ कांडों में यह फरार चल रही थी। इस पर हत्या, लूट और डकैती जैसे जघन्य क्राइम के मुद्दे हैं, जिनमें यह वांछित थी और इसको पुलिस ने अरैस्ट किया है। यह पताही थाना के चार, मधुबन थाना के एक और फेनहारा थाना के दो लूट कांडों में यह फरार चल रही थी। इस आपराधी को अरैस्ट करने वाली टीम को 50 हजार के इनामी राशि से पुरस्कृत किया जाएगा।