ग्रामीणों की आमदनी में पांच साल में हुई 57% की बढ़ोतरी, नाबार्ड सर्वे मे हुए ये भी खुलासे
et October 10, 2024 08:42 PM
नई दिल्ली: गांवों में रहने वाले परिवारों की आमदनी में लगातार वृद्धि हो रही है. राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के एक सर्वेक्षण के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में ग्रामीण परिवारों की औसत मासिक आमदनी में 57.6 फीसदी का इजाफा हुआ है.नाबार्ड के 'अखिल भारतीय ग्रामीण वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण (NAFIS) 2021-22' में बताया गया है कि 2016-17 में गांव वालों की औसत मासिक आमदनी 8,059 रुपये थी जो अब बढ़कर 12,698 रुपये हो गई है. यह वृद्धि 57.6 प्रतिशत को दर्शाती है, जो कि 9.5 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के बराबर है.सर्वेक्षण में यह भी उल्लेख किया गया है कि ग्रामीण परिवारों की बचत में भी वृद्धि हुई है. 2021-22 में औसत घरेलू बचत 13,209 रुपये सालाना रही, जबकि पांच साल पहले यह 9,104 रुपये थी. इस अवधि के दौरान 66 प्रतिशत परिवारों ने बचत की सूचना दी जो कि 2016-17 में 50.6 प्रतिशत थी. यह दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्र में वित्तीय साक्षरता और बचत की प्रवृत्ति में सुधार हो रहा है.हालांकि बकाया ऋण वाले परिवारों का अनुपात भी बढ़ा है. पांच वर्षों में यह अनुपात 47.4 प्रतिशत से बढ़कर 52 प्रतिशत हो गया है. सर्वेक्षण में यह पाया गया कि ग्रामीण परिवारों में बीमा कवरेज में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. 2016-17 में कम से कम एक सदस्य का बीमा कराने वाले परिवारों का अनुपात 25.5 प्रतिशत था, जो 2021-22 में बढ़कर 80.3 प्रतिशत हो गया. यह कोविड-19 के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं की पहुंच में सुधार को दर्शाता है.सर्वेक्षण के अनुसार, बढ़ती आय के साथ-साथ घरेलू खर्च में भी वृद्धि हुई है. औसत मासिक व्यय 2016-17 में 6,646 रुपये से बढ़कर 2021-22 में 11,262 रुपये हो गया है. दिलचस्प बात यह है कि कुल खपत में खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से घटकर 47 प्रतिशत हो गई है, जो अन्य आवश्यकताओं पर खर्च करने के बदलते पैटर्न को दर्शाता है.
© Copyright @2024 LIDEA. All Rights Reserved.