नई दिल्ली: यह बात किसी से छुपी नहीं थी कि करण जौहर का धर्मा प्रोडक्शंस कुछ समय से निवेशक की तलाश कर रहा था. अब खबरें छाई हुई हैं कि प्रोडक्शन हाउस का आधा हिस्सा ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ के अदार पूनावाला ने खरीद लिया है. करण जौहर ने भी इसकी पुष्टि कर दी है. इस डील से कई नाम जुड़े थे, जिनमें ‘सा रे गा मा इंडिया’ भी शामिल है. करण जौहर ने कहा कि अदार ने धर्मा प्रोडक्शंस का 50 प्रतिशत हिस्सा लेने का निर्णय किया है. यह भी कहा गया कि वे धर्मा प्रोडक्शंस और धर्माटिक एंटरटेनमेंट में 1000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे.
अदार पूनावाला को लोग Covid-19 वैक्सीन बनाने वाली ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ के सीईओ के तौर पर जानते हैं. बिजनेसमैन अपनी निजी क्षमता से कंपनी में निवेश कर रहे हैं. प्रोडक्शन हाउस के पास धर्मा में 50% हिस्सेदारी होगी और बाकी 50% करण जौहर के पास रहेगा. वे कंपनी के क्रिएटिव हेड बने रहेंगे और एग्जिक्यूटिव चेयरमैन का पदभार संभालेंगे. बता दें कि करण जौहर के पिता यश जौहर ने 1979 में प्रोडक्शन हाउस की आरंभ की थी.
अदार पूनावाला के निवेश पर करण जौहर का बयान
अदार ने प्रेस को दिए एक बयान में पार्टनरशिप की समाचार की पुष्टि की और कहा, ‘मैं अपने दोस्त करण जौहर के साथ हमारे राष्ट्र के सबसे बड़े प्रोडक्शन हाउस में से एक के साथ पार्टनर बनकर खुश हूं. हम आशा करते हैं कि हम धर्मा को आगे ले जाएंगे और आने वाले वर्षों में इसे और ऊंचाइयों पर पहुंचाएंगे. मीडिया इंग्लिश की रिपोर्ट के अनुसार, करण जौहर ने पार्टनरशिप पर कमेंट करते हुए कहा, ‘धर्मा प्रोडक्शंस अपनी आरंभ से बहुत बढ़िया कहानी कहने का जरिया रहा है जो भारतीय संस्कृति के सार को बयां करता है. मेरे पिता ऐसी फिल्में बनाने का सपना देखते थे जो स्थायी असर छोड़ें और मैंने अपना करियर उसी नजरिये के विस्तार में झोंक दिया.’
करण जौहर के करीबी दोस्त हैं अदार पूनावाला
करण जौहर ने आगे अदार का जिक्र करते हुए कहा, ‘आज जब हम एक करीबी दोस्त और एक दूरदर्शी अदार के साथ जुड़े हैं, तो हम धर्म की विरासत को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए तैयार हैं. यह पार्टनरशिप हमारी इमोशनल स्टोरी कहने की क्षमता और बिजनेस स्ट्रेटजी के बीच एक आदर्श पार्टनरशिप को दर्शाती है. यह ग्लोबल एंटरनेटमेंट के भविष्य को अपनाने के साथ-साथ अपनी जड़ों को सम्मान देने के बारे में है. धर्मा की जर्नी खास रही है और यह पार्टनरशिप ऐसा कॉन्टेंट बनाने की ओर ले जाती है, जो सीमाओं और पीढ़ियों के पार होगी.’