विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने अपनी लिस्ट जारी कर दी है. मधुपुर सीट पर टिकट की आस लगाए पूर्व मंत्री राज पालिवार को फिर निराशा हाथ लगी है. उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर अपना दर्द बयां किया है. वे बीजेपी छोड़ सकते हैं. आसार इस बात की जताई जा रही है कि
फेसबुक पर राज पालिवार ने क्या लिखा
मधुपुर के पूर्व विधायक राज पालिवार ने अपने ऑफिशियल फेसबुक पेज से बीजेपी का नाम भी हटा दिया है. अब उन्होंने केवल पूर्व मंत्री झारखंड गवर्नमेंट लिखा है. जबकि पहले उनके फेसबुक पर बीजेपी लिखा हुआ था. उन्होंने अपने फेसबुक पर लिखा है कि झारखंड बीजेपी को मधुपुर में उस कार्यकर्ता को टिकट देना चाहिए था, जिसने वर्षों से बिना किसी स्वार्थ के अपने खून-पसीने से पार्टी को सीचा है.
यह बहुत दुखद है कि ऐसे समर्पित कार्यकर्ता की स्थान एक धनवान आदमी को चुना गया. टिकट न मिलने का पर्सनल दर्द उतना नहीं, जितना यह देखकर पीड़ा होती है कि जिसने पार्टी के लिए सब कुछ त्याग दिया, उसे आज इस कदर नजरअंदाज किया गया. यह वास्तव में पार्टी के उस जमीनी कार्यकर्ता के लिए एक करारी चोट है, जो सिर्फ़ सम्मान और पहचान का हकदार था.
मोदी का विरोधी, बीजेपी में रहने लायक नहीं
राज पालिवार की इस नाराजगी का गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे ने उत्तर दिया है. उन्होंने अपने फेसबुक पर लिखा है कि मोदी का विरोध करने वाला बीजेपी में रहने लायक नहीं. बीजेपी केंद्रीय ने झारखंड में काफी सूझ-बूझ से टिकट वितरण किया है. उन्होंने अपने पोस्ट में कार्यकर्ताओं से अपील भी की है.
पोस्ट में लिखा है कि मेरा दोबारा बीजेपी के कार्यकताओं और समर्थकों से आग्रह है कि सोशल मीडिया पर कोई निगेटिव कमेंट्स नहीं करें. पार्टी के कुछ लोग जो मोदी के चुनाव यानी लोकसभा चुनाव में विरुद्ध थे. अपने पर्सनल स्वार्थ के कारण वही अनर्गल बोल रहे हैं. जो मोदी का विरोध कर सकता है, वह बीजेपी में रहने लायक नहीं है.
तीसरी बार राज पालिवार का कटा टिकट पहली बार 2005 में बीजेपी की टिकट पर विधायक बने. फिर 2009 में टिकट मिली लेकिन हार गए. 2014 में टिकट मिला, चुनाव जीते और रघुवर गवर्नमेंट में मंत्री थे. फिर 2019 में इनको टिकट नहीं मिला और इनकी स्थान अभिषेक आनंद झा को दिया गया. यहां बीजेपी हार गई. जेएमएम से हाजी हुसैन अंसारी जीते. बीच में इनका मृत्यु हो गया तब मध्यावधि चुनाव हुआ. जिसमें फिर राज पालिवार को टिकट नहीं मिला. उनकी स्थान गंगा नारायण को टिकट दिया. तब हाजी हुसैन अंसारी के बेटे हफीजुल अंसारी जीते. अब एक बार फिर इनका टिकट कटा है.