दिवाली की सही डेट को लेकर जयपुर की ज्योतिषी ने कह दी ये बड़ी बात
एस्ट्रोलॉजर डॉक्टर अनीष व्यास October 22, 2024 07:42 PM

Diwali 2024 Date: दिवाली की सही डेट को लेकर विद्वानों द्वारा अलग-अलग तर्क दिए जा रहे हैं. ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि धार्मिक ग्रंथ धर्म सिंधु में पुरुषार्थ चिंतामणि में इस बारे में विस्तार से बताया गया है. इसके अनुसार अमावस्या के निर्धारण के लिए पहले दिन प्रदोष की व्याप्ति हो और दूसरे दिन तीन प्रहर से अधिक समय तक अमावस्या हो (चाहे दूसरे दिन प्रदोष व्याप्त न हो) तो पूर्व दिन की अमावस्या (प्रदोष व्यापिनी और निशिथ व्यापिनी अमावस्या) की अपेक्षा से प्रतिपदा की वृद्धि हो तो लक्ष्मी पूजन आदि भी दूसरे दिन करना चाहिए.

इस निर्णय के अनुसार चूंकि अधिकतर पंचांग में 1 नवंबर को अमावस्या 03 प्रहर से अधिक समय तक है और अन्य दृश्य पंचांगों में भी इस तिथि की प्रदोष में व्याप्ति है. इसलिए इसी दिन लक्ष्मी पूजन और दीपावली शास्त्र सम्मत है. इसे और स्पष्ट करते हुए धर्म सिन्धु में कहा गया है कि दूसरे दिन अमावस्या भले ही प्रदोष में न हो लेकिन अमावस्या साढ़े तीन प्रहर से अधिक हो तो दूसरे दिन ही लक्ष्मी पूजन सही है अर्थात् गौण प्रदोष काल में भी दूसरे दिन अमावस्या हो तो दीपावली दूसरे दिन ही शास्त्र सम्मत है. 

निर्णय सिंधु
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि निर्णय सिंधु प्रथम परिच्छेद के पृष्ठ संख्या 26 पर निर्देश है कि जब तिथि दो दिन कर्मकाल में विद्यमान हो तो निर्णय युग्मानुसार करें. इस हेतु अमावस्या प्रतिपदा का योग शुभ माना गया है अर्थात अमावस्या को प्रतिपदा युता ग्रहण करना महाफलदायी होता है. निर्णय सिंधु के तृतीय परिच्छेद के पृष्ठ संख्या 300 पर लेख है कि यदि अमावस्या दोनों दिन प्रदोष को स्पर्श न करे तो दूसरे दिन लक्ष्मी पूजन करना चाहिए. इसमें यह अर्थ भी अंतर निहित है कि अमावस्या दोनों दिन प्रदोष को स्पर्श करें तो लक्ष्मी पूजन दूसरे दिन करना चाहिए.

अमावस्या दो दिन तक
डा. अनीष व्यास के अनुसार इस बार अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 3:53 बजे से शुरू होकर 1 नवंबर की शाम 6:17 तक रहेगी. ऐसे में अमावस्या की तिथि के दौरान दो दिन प्रदोष काल रहेगा. सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बाद एक घड़ी से अधिक अमावस्या होने पर यह पर्व मनाया जा सकता है. 1 नवंबर को  सूर्यास्त शाम 5:40 बजे होगा. इसके बाद 37 मिनट तक अमावस्या रहेगी. ग्रंथों में इस बात का जिक्र है कि जिस दिन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के वक्त अमावस्या हो तब लक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिए. इस बात का ध्यान रखते हुए दिवाली 1 नवंबर को ही मनाएं.

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