BRICS में शामिल होने में देर क्यों कर रहा सऊदी अरब? क्या ये है बड़ी वजह
एबीपी लाइव October 23, 2024 10:12 AM

Saudi Arabia in Brics : ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के 16वां संस्करण रूस के कजान शहर में जारी है. इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ विश्व के दो दर्जन नेता कजान में मौजूद हैं. दुनिया के कई देशों के बड़े नेताओं के ब्रिक्स में शामिल होने के बाद एक बार फिर में सऊदी अरब के ब्रिक्स में शामिल होने का मामला सभी का ध्यान खींच रहा है.

2023 में सऊदी अरब को ब्रिक्स में किया गया शामिल

बता दें कि ब्रिक्स (BRICS) के मूल सदस्यों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल है. जिन्होंने साल 2023 में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में कई नए देशों में इसमें शामिल किया था, जिसमें सऊदी अरब का भी नाम शामिल है. ब्रिक्स में सऊदी अरब की सदस्यता फरवरी, 2024 से शुरू होने वाली थी, हालांकि, सऊदी अरब ने आखिरी वक्त में कहा है कि वह अभी ग्रुप में शामिल नहीं हो रहा है.

ब्रिक्स का सदस्य बनने का विचार कर रहा सऊदी

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट में अनुसार, इस साल फरवरी में सऊदी अरब के एक आधिकारिक सूत्र ने रॉयटर्स को बताया था कि सऊदी अरब फिलहाल ब्रिक्स देशों में शामिल होने पर विचार कर रहा है. वहीं, सऊदी अरब में इस ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने के निमंत्रण को भी विचाराधीन रखा है. उसने अभी तक इसका कोई जवाब नहीं दिया है.

ब्रिक्स में शामिल होने को लेकर सऊदी दुविधा में क्यों?

ब्रिक्स ग्रुप को पश्चिमी देशों के समूहों के प्रतिद्वंद्वी और ईरान-उत्तर कोरिया के साथ दुनिया में एक बिल्कुल नई विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए रूस और चीन के गठबंधन के कोशिशों के तौर पर देखा जाता है. दुनिया के कई देश ब्रिक्स ग्रुप में शामिल होने को लेकर अभी भी शंका की स्थिति में है. इसी को लेकर सऊदी अरब ने ब्रिक्स की सदस्यता को लेकर अभी तक स्पष्ट जवाब नहीं दिया है, जिससे उसकी स्थिति पर सस्पेंस बना हुआ है.

कई तरह की लगाई जा रही अटकलें

सऊदी के ब्रिक्स में शामिल होने को लेकर अभी तक जवाब न देने पर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है. बताया जा रहा है कि सऊदी को ब्रिक्स में शामिल होने को लेकर कुछ संदेह है. जिसके कारण ही उसे ब्रिक्स में शामिल में देरी हो रही है. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि क्योंकि सऊदी अरब अमेरिका का एक प्रमुख सहयोगी देश रहा है, इसीलिए उसे रूस-चीन के साथ जुड़ाव बढ़ाने पर संदेह है.

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