बच्चों का अपने ग्रैंड पेरेंट्स के साथ समय बिताना क्यों है जरूरी…
Richa Srivastava October 24, 2024 12:27 AM

बचपन कितना अनोखा होता है. इसकी कुछ यादें लाइफटाइम के लिए हमारे जहन में बस जाती हैं. जब कभी हमसे अपने बचपन की सबसे प्यारी यादों के बारे में पूछा जाता है. तो हम अक्सर अपने ग्रैंड पेरेंट्स के साथ बिताए पलों को याद करते हैं. चाहे वो उनके द्वारा हमें खाने-पीने की चीजें देना हो, साथ में खेलना हो, मेला दिखाना हो, कहानियां सुनाना हो या अपने अनुभव बताना हो. इन सभी चीजों ने हमें काफी कुछ सिखाया है.

लेकिन आज के दौर में एकल परिवार का चलन तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में बच्चों के देखभाल में ग्रैंड पेरेंट्स की किरदार काफी कम हो गई है. एकल परिवारों में बच्चों को अपने ग्रैंड पेरेंट्स का प्यार नहीं मिल पाता. माता-पिता के काम पर चले जाने के बाद उन्हें अक्सर अकेले रहना पड़ता है.

इसलिए आज रिलेशनशिप कॉलम में हम ग्रैंड पेरेंट्स और ग्रैंड किड्स के अनूठे संबंध के बारे में बात करेंगे. साथ ही जानेंगे कि बच्चों का अपने ग्रैंड पेरेंट्स के साथ समय बिताना क्यों महत्वपूर्ण है?

बच्चों के जीवन में ग्रैंड पेरेंट्स की भूमिका

दादा-दादी और नाना-नानी बच्चे के जीवन में जरूरी किरदार निभाते हैं. माता-पिता की तरह ही उनका प्यार भी बिना किसी शर्त के होता है. वे बच्चों को यह महसूस कराने में सहायता करते हैं कि उनकी बात सुनी और समझी जा रही है. ग्रैंड पेरेंट्स बच्चों के पहले दोस्त होते हैं और उनके सबसे शुरुआती रिश्तों में से एक होते हैं. माता-पिता को अपने बच्चों को अपने ग्रैंड पेरेंट्स के साथ पर्याप्त समय बिताने देना चाहिए क्योंकि वे उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं. यह उनके इमोशनल ग्रोथ के लिए जरूरी है.

ग्रैंड पेरेंट्स के साथ बच्चों का क्वालिटी टाइम स्पेंड करना महत्वपूर्ण क्यों?

दादा-दादी और नाना-नानी के साथ बच्चों के क्वालिटी टाइम बिताने के महत्व को हम नकार नहीं सकते. जो बच्चे अपने ग्रैंड पेरेंट्स के साथ समय बिताने का मौका पाते हैं, वे उनसे ऐसी चीजें सीखते हैं, जो उनके जीवन में हमेशा काम आती हैं.

इंडिपेंडेंट सिस्टम रिसर्च, एजुकेशन एंड इनोवेशन ग्रुप ‘द लिगेसी प्रोजेक्ट’ के एक रिसर्च के मुताबिक, ग्रैंड पेरेंट्स बच्चों के इमोशनल और सोशल ग्रोथ में जरूरी किरदार निभाते हैं. ग्रैंडकिड्स के साथ बिताया गया समय ग्रैंड पेरेंट्स के लिए भी लाभदायक है. इससे उन्हें अपने वैल्यू को साझा करने, सक्रिय रहने और बचपन के खेल की खुशियों को फिर से जीने का मौका मिलता है. अमेरिकन कल्चरल एन्थ्रोपोलॉजिस्ट और लेखक मार्गरेट मीड ने ग्रैंड पेरेंट्स के प्यार के बिना मनुष्य को अधूरा कहा है.

दुनिया के बेस्ट टीचर्स में से एक होते हैं ग्रैंड पेरेंट्स

प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक और मास्टर कम्युनिकेटर डाक्टर चार्ली डब्ल्यू शेड ने ग्रैंड पेरेंट्स को दुनिया का सबसे अच्छा टीचर कहा है. चार्ली ने अपनी लाइफ में चालीस से अधिक किताबें और नेशनल लेवल पर सिंडिकेटेड कॉलम लिखे हैं.

बच्चे अपने ग्रैंड पेरेंट्स से क्या सीखते हैं?

बच्चों को अपने दादा-दादी और नाना-नानी से कई तरह की चीजें सीखने को मिलती हैं. जैसे- संस्कार, अनुशासन, इमोशनल सपोर्ट और आत्मविश्वास आदि. नीचे ग्राफिक में इस बारे में देखें-

बच्चों में इमोशनल बॉन्डिंग डेवलप होती है

अपने ग्रैंड पेरेंट्स से वार्ता करते समय बच्चे उनके साथ इमोशनल बॉन्डिंग डेवलप करते हैं. जब बच्चे अपने दादा-दादी और नाना-नानी से भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं तो उनके व्यवहार में मधुरता आती है. इससे वे हर किसी से प्यार से बात करना सीखते हैं.

बच्चों में आत्मविश्वास आता है

ग्रैंड पेरेंट्स ने अपने समय में जिन चुनौतियों का सामना किया है, उनके बारे में जानने से बच्चों में कॉन्फिडेंस आता है. इससे वे हर कठिन का डटकर सामना करना सीखते हैं.

बच्चे अपनी परंपरा और विरासत से जुड़ते हैं

दादा-दादी और नाना-नानी ढेर सारे अनुभव, कहानियों और ज्ञान का खजाना होते हैं. इसे वे अपने ग्रैंड किड्स के साथ खुशी-खुशी साझा करते हैं.

फैमिली हिस्ट्री को बताने से लेकर सांस्कृतिक परंपराओं और मूल्यों को आगे बढ़ाने तक, ग्रैंड पेरेंट्स एक समृद्ध ताना-बाना प्रदान करते हैं, जो कहीं और नहीं मिल सकता. दोनों के बीच की वार्तासिर्फ़ उनके पारिवारिक संबंधों को मजबूत करती है बल्कि बच्चों को अपनी विरासत और जड़ों से भी जोड़कर रखती है.

मोरल वैल्यू सीखते हैं

जब बच्चों को अच्छे वैल्यू और नैतिकता सिखाने की बात आती है तो ग्रैंड पेरेंट्स से बेहतर भला कौन हो सकता है. परिवार के सपोर्टिव पिलर होने के नाते ग्रैंड पेरेंट्स अपने ग्रैंड किड्स के जीवन पर अच्छा असर डाल सकते हैं. वे उन्हें नैतिकता की कहानियां सुनाते हैं, जिससे बच्चे मोरल वैल्यू सीखते हैं.

अकेलेपन की आसार कम होती है

आजकल जब माता-पिता दोनों काम कर रहे होते हैं तो बच्चों को अक्सर चाइल्ड केयर सेंटर में छोड़ दिया जाता है या घर पर अकेले नैनी के साथ अपना दिन गुजारना पड़ता है.

ऐसा करने से वे अक्सर प्यार से अछूते रह जाते हैं और कई बार अकेलापन महसूस करते हैं. जब वे अपने ग्रैंड पेरेंट्स के साथ रहते हैं तो उनमें चिंता या अकेलेपन की भावना से पीड़ित होने की आसार कम होती है.

बच्चे सहानुभूति और करुणा सीखते हैं

दादा-दादी और नाना-नानी बच्चों को एक नर्चरिंग और इमोशनली सपोर्टिव इनवायरमेंट प्रदान करते हैं. उनके साथ बच्चे बिना डर के स्वयं को स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर सकते हैं. जब बच्चे अपने ग्रैंड पेरेंट्स से दिल से बात करते हैं तो उन्हें काफी कुछ सीखने को मिलता है. इनमें सहानुभूति और दया और करुणा भी शामिल है.

हेल्दी लाइफ स्किल के बारे में जानते हैं

ग्रैंड पेरेंट्स के पास व्यावहारिक ज्ञान और हेल्दी लाइफ स्किल का खजाना होता है, जिसे दशकों के अनुभव से निखारा गया है. बागवानी से लेकर खेती करने तक वे बच्चों को कई वैल्युएबल स्किल सीखने का अवसर प्रदान करते हैं. जो आज के डिजिटल युग में बहुत दुर्लभ होते जा रहे हैं. ये साझा अनुभव कई स्थायी यादें भी बनाती हैं.

ग्रैंड पेरेंट्स बच्चों के स्टेबिलिटी को प्रमोट करते हैं

बढ़ती उम्र के बच्चों के लिए बदलते माहौल में स्थिरता बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है. जब बच्चों के माता-पिता वर्किंग होते हैं तो उनके लिए उनसे जुड़ना कठिन हो सकता है.

ऐसे में ग्रैंड पेरेंट्स उनकी स्थान भर सकते हैं. यह तलाकशुदा कपल्स के बच्चों या उन लोगों के लिए भी मददगार हो सकता है, जो अपने परिवार से जुड़ी किसी भयावह घटना से गुजरे हैं.

बच्चों में कम्युनिकेशन स्किल डेवलप होती है

आज की हाइपर-कनेक्टेड दुनिया में मोबाइल का बोलबाला है. ऐसे में ग्रैंड पेरेंट्स के साथ समय बिताना बच्चों को इससे राहत प्रदान करता है.

ग्रैंड पेरेंट्स बच्चों के साथ आउटडोर एक्टिविटीज, इमैजिनटेविट प्ले और आमने-सामने की वार्ता करते हैं. ये क्वालिटी टाइम बच्चों में कम्युनिकेशन, क्रिएटिविटी और सोशल स्किल को बढ़ावा देता है.

ग्रैंड पेरेंट्स के लिए भी लाभदायक है बच्चों से जुड़ना

बच्चों के लिए दादा-दादी और नाना-नानी के साथ रहना जितना अच्छा है, उतना ही ये ग्रैंड पेरेंट्स के लिए भी लाभ वाला है. इससे उनके अकेलेपन और एंग्जाइटी जैसी समस्याओं से पीड़ित होने की आसार कम होती है.

 

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