दरअसल, हिंदू पक्षकार विजय शंकर रस्तोगी ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे भगवान आदि विश्वेश्वर का 100 फुट का विशाल शिवलिंग और अरघा स्थित है, जिसका पेनिट्रेटिंग रडार की मदद से सर्वेक्षण होना चाहिए। रस्तोगी ने यह भी मांग की थी कि वजूखाने का भी सर्वेक्षण होना चाहिए। ALSO READ:
आदेश की कॉपी का इंतजार : हिन्दू पक्ष के वकील रस्तोगी ने कहा कि हमें अदालत के आदेश की कॉपी का इंतजार है। इसके बाद हम फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने दावा किया कि हिन्दू पक्ष जिस क्षेत्र में शिवलिंग होने का दावा कर रहा है, उस क्षेत्र का सर्वेक्षण नहीं किया गया था। अत: पूरे परिसर का एएसआई (ASI) द्वारा सर्वे कराए जाने की जरूरत है। उल्लेखनीय है कि वाराणसी जिला कोर्ट ने गत वर्ष 21 जुलाई को एएसआई को वैज्ञानिक सर्वे करने का निर्देश दिया था। इस आदेश में खुदाई की भी अनुमति दी गई थी।
क्या है ज्ञानवापी मामला : अक्टूबर 1991 में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर और 5 अन्य की ओर से वाराणसी सिविल जज के समक्ष एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें निकटवर्ती काशी विश्वनाथ मंदिर में ज्ञानवापीलैंड की बहाली की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि 16वीं शताब्दी में मुगल शासक औरंगजेब के काल में काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर वहां मस्जिद का निर्माण किया गया था। इस मामले में हिन्दू पक्ष का कहना है कि मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर के एक ध्वस्त हिस्से के ऊपर बनाई गई है, जो कि काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब स्थित है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala