आगरा के सिकंदरा इंडस्ट्रियल एरिया में नकली दवा की फैक्ट्री बेखौफ ऐसे ही नहीं चल रही थी. फरवरी में कारावास से रिहा हुआ दवा माफिया विजय गोयल पर एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स की मेहरबानी थी. माफिया ने पुलिस ऑफिसरों को पूछताछ में कहा कि वह महीनेदारी देता
एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने मंगलवार को सिकंदरा क्षेत्र में नकली और नशीली दवा बनाने की फैक्ट्री पकड़ी थी. आठ करोड़ से अधिक की दवाएं, कच्चा माल और मशीनें बरामद हुई थीं. दवा माफिया विजय गोयल सहित 10 आरोपियों को पकड़ा गया था. इससे पूर्व आईकॉन सिटी मघटाई जगदीशपुरा निवासी विजय गोयल जुलाई 2023 में पकड़ा गया था. उस समय उसकी दो दवा फैक्ट्री पकड़ी गई थीं. दोनों बिना पंजीयन के चलाई जा रही थीं. उनमें नकली और नशीली दवाएं बनाई जाती थीं.
विजय गोयल फरवरी 2024 में जमानत पर बाहर आया था. कारावास में उसकी दोस्ती गांजा स्मग्लर से हुई थी. गांजा स्मग्लर ने उसे हवाला के जरिए लाखों रुपए दिलाए थे. जिनसे उसने दोबारा दवा फैक्ट्री खोली थी. पुलिस भी यह सोच-सोचकर दंग थी कि वह इतना बेखौफ कैसे हो गया. उसके जेहन में पुलिस डर क्यों नहीं आया. पुलिस के स्तर से उस पर शिकंजे में कहां चूक हुई. यह प्रश्न उठा.
पूछताछ में हुआ खुलासा
पुलिस आयुक्त जे रविन्दर गौड़ के निर्देश पर एसीपी हरीपर्वत आदित्य सिंह सिकंदरा पुलिस स्टेशन पहुंचे. दवा माफिया से लंबी पूछताछ की. इसमें खुलासा हुआ कि दवा फैक्ट्री तो महीनेदारी देकर चल रही थी. एएनटीएफ में कुछ लोगों को इसकी जानकारी थी. एक सिपाही ने उनसे मुलाकात कराई थी. उसे जो कच्चा माल मिला था उससे चार माह ही दवाएं बनाई जा सकती थीं.
फैक्ट्री पर छापा डाल दिखाया गुडवर्क
विजय गोयल हिमाचल प्रदेश में फैक्ट्री खोलने के लिए प्रयासरत था. यह जानकारी महीनेदारी लेने वाले की हो गई. वह फैक्ट्री बंद करता इससे पहले उसे पकड़कर बड़ा गुडवर्क दिखाया गया. एसीपी जब पूछताछ कर रहे थे कई पुलिस कर्मी भी वहां उपस्थित थे. यह जानकारी पुलिस महकमे में फैल गई. डीसीपी सिटी भी दवा माफिया से पूछताछ करने आए. उनको भी आरोपित ने वही जानकारी दी. मुद्दा पुलिस आयुक्त तक पहुंचा. पुलिस आयुक्त ने निर्देश दिए कि इस मुद्दे में एक रिपोर्ट तैयार करें. इसकी जानकारी एएनटीएफ के वरिष्ठ ऑफिसरों और शासन को भी दी जाएगी.