इन मुद्दों पर चर्चा करने वाली है NDA की कॉर्डिनेशन कमेटी
Krati Kashyap October 28, 2024 11:27 AM

नीतीश कुमार ने आज अपने आवास पर एनडीए की बैठक बुलाई है. कोई इसे गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा का बिहार की राजनीति पर असर मान रहा है. कोई लोकसभा चुनाव में एनडीए की हार का तो कोई सामने आने वाले विधानसभा चुनाव का.

ये थ्री सी हैं- क्राइम, कम्युनलिज्म और करप्शन. गिरिराज सिंह जिस तरह की यात्रा की, उसके हिमायती नीतीश कुमार नहीं रहे हैं. वे भाजपा के साथ भले हैं, लेकिन कम्युनलिज्म के मामले पर उनकी अपनी राय रही है. जेडीयू की भौंहे तनी तो उनकी यात्रा को भाजपा ने भी पार्टी की यात्रा नहीं माना. अपराध के मामले पर हाल में ही नीतीश डीजीपी के आगे हाथ जोड़ते दिखे हैं.

लोकसभा में JDU उम्मीदवारों के प्रचार से बीजेपी कार्यकर्ताओं ने बनाई थी दूरी

लोकसभा चुनाव में यह निचले स्तर पर दिखा कि जेडीयू के कई उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार में खुलकर भाजपा कार्यकर्ता नहीं गए थे. कई भाजपा उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार में जेडीयू कार्यकर्ता का वैसा ही रवैया रहा. दरअसल, आरजेडी के साथ कई बार चले जाने के कारण निचले स्तर पर जेडीयू और भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच के संबंध खटासपूर्ण हो चुके हैं. लोजपा (रामविलास) से जुड़े कार्यकर्ताओं के साथ भी जेडीयू कार्यकर्ताओं के संबंध कई बार बेहतर नहीं दिखते.

चिराग विधानसभा चुनाव में नीतीश को जल-नल जैसी योजना पर प्रश्न उठाते हुए कारावास भेजने तक की बात कर चुके हैं. लेकिन, अब उन्हें नीतीश कुमार से मिलते-जुलते भी देखा जा रहा है. अब नीतीश एडीए में हैं तो इसका असर पड़ना स्वाभाविक है.

जिस महागठबंधन को बिहार में पिछले लोकसभा चुनाव में केवल एक सीट पर संतोष करना पड़ा था. इस बार 10 सीटें हासिल कर ली. एनडीए को पिछली बार की तुलना में 9 सीट का हानि झेलना पड़ा.

एनडीए की बैठक में इस पर फोकस रहेगा कि कैसे एनडीए की विभिन्न पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच आपसी कॉर्डिनेशन ठीक किया जाए.

कॉर्डिनेशन की प्रयास के अनुसार ही जेडीयू ने संजय झा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया

नीतीश कुमार ने जब भाजपा के विरुद्ध इण्डिया गठबंधन की प्रतिनिधित्व की थी, तब वहां भी कॉर्डिनेशन का खूब अभाव दिखा था. नतीजा यह हुआ कि नीतीश कुमार ने इण्डिया गठबंधन से अपने हाथ वापस खींच लिए. अब नीतीश कुमार बार-बार कह रहे हैं कि गलती से दो बार उधर चले गए थे. अब नहीं जाएंगे. ये वादा वे पीएम नरेन्द्र मोदी के सामने भी कर चुके हैं.

सामने विधानसभा का उपचुनाव चार सीटों पर है. इसके बाद अगले साल बिहार विधान सभा का चुनाव होना है. इसके बीच यह चर्चा खूब होती रही है कि नीतीश कुमार चाहते हैं कि समय से पहले चुनाव कराए जाएं. वे कई बार सार्वजनिक मंचों अफसरों से कह भी चुके हैं कि चुनाव कभी भी हो सकते हैं. समय से पहले चुनाव कराना उनकी ख़्वाहिश पर ही है.

दूसरी चर्चा इसकी होती रही है कि नीतीश कुमार अपनी पार्टी के नंबर बढ़ाना चाहते हैं. नंबर बढ़ाने के पॉलिटिकल गेम में जेडीयू और भाजपा के बीच पावर वार जैसी स्थिति है. आरसीपी सिंह की नजदीकी जब बीजेपी से बढ़ी तो कई चीजें गड़बड़ाने लगीं.

नतीजा आरसीपी सिंह को फिर से राज्य सभा नहीं भेजते हुए झारखंड से खीरू महतो को राज्यसभा भेजा गया था. ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. यही नहीं स्थिति सुधारने के लिए नीतीश कुमार स्वयं जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे. इसके बाद भाजपा और जेडीयू के बीच सेतु का काम करने वाले नेता संजय झा को जेडीयू का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया.

एनडीए में कॉर्डिनेशन की कमी के 8 बड़े उदाहरण

1. गिरिराज सिंह ने हिंदू स्वाभिमान यात्रा उस स्थान से निकाली, जिस भागलपुर में 1989 में बड़ा दंगा हुआ था. जेडीयू ने इस यात्रा का समर्थन नहीं किया. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को सार्वजनिक उत्तर देना पड़ा.

2. अररिया से भाजपा के सांसद प्रदीप कुमार सिंह का विवादित बयान आया कि अररिया में रहना है तो हिंदू बनना होगा. राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष और सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने उनके बयान को आपत्तिजनक कहा.

3. वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लोकसभा में पेश हुआ तो जेडीयू नेता ललन सिंह ने बढ़-चढ़ कर समर्थन किया. लेकिन, जेडीयू से गुलाम गौस सहित कई मुसलमान नेता बिल के विरोध में सामने आ गए. इन नेताओं ने इस बिल का विरोध किया. नीतीश कुमार ने इस पर खुल कर कुछ नहीं कहा. समान नागरिक संहिता के प्रश्न पर भाजपा की राय से जेडीयू अलग रही है. नीतीश कुमार तो यहां तक कह चुके हैं कि बिहार में यह किसी मूल्य पर लागू नहीं होगा.

4. राष्ट्र में जातीय जनगणना के प्रश्न पर भाजपा और जेडीयू के सुर अलग रहे हैं.

5. बिहार में शराबबंदी के मामले पर जुनसुराज, आरजेडी जैसी पार्टियां तो नीतीश कुमार को घेरती ही रहती है, बीच-बीच में एनडीए की पार्टी हम के सुप्रीमो और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भी नीतीश कुमार को घेर लेते हैं. चिराग पासवान भी इस मामले पर नीतीश कुमार को घेर चुके हैं.

6. एससी -एसटी आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद लोजपा (रामविलास) और हम पार्टी के बीच एकमत नहीं दिखा. चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के भिन्न-भिन्न बयान आते रहे. उच्चतम न्यायालय ने बोला था कि राज्य सरकारें, अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण में कोटे के अंदर और एक और कोटा तय कर सकती हैं. यानी, एससी और एसटी के अंदर भिन्न-भिन्न समूहों को आरक्षण दिया जा सकता है.

7. सरकारी विद्यालयों में हिंदू पर्व- त्योहार के अवसपर पर छुट्टी के प्रश्न पर भी बीजेपी-जेडीयू में विवाद की स्थिति दिखी. भाजपा से गिरिराज सिंह जैसे नेता प्रश्न उठाते रहे और जेडीयू का उत्तर भी आता रहा.

8. बिहार को विशेष राज्य के दर्जा के प्रश्न पर भाजपा विधान सभा में साथ थी लेकिन केन्द्र ने अब तक विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया. इस पर जेडीयू कभी शांत तो कभी मुखर हो जाती है.

9. जेडीयू विधायक गोपाल मंडल कई बार अपनी ही पार्टी के सांसद अजय मंडल पर तीखे बयान दे चुके हैं. यही नहीं कई बार भाजपा नेताओं पर भी तीखे हमले कर चुके हैं.

जॉइंट आयोजन पर भी बात होगी

चुनाव में एकजुटता के साथ एनडीए की पार्टियों के सदस्य पूरे जोश के साथ लगे, इसकी रणनीति बनाई जाएगी. कॉर्डिनेशन कमेटी की बैठक समय-समय पर होती रहे, ताकि मुख्य एजेंडा पर फोकस किया जा सके. एनडीए की ओर से जॉइंट आयोजन पर भी वार्ता होने की आसार है.

किसी के बीच कोई गलतफहमी है तो उसे दूर करने की प्रयास होगी. एनडीए के विभिन्न दलों की कम्पलेन कई बार रहती है कि अधिकारी बात नहीं सुनते. इस पर भी बैठक में बात होगी. विधान सभा चुनाव के मद्देनजर फूलफ्रूप प्रबंध बनाने के लिए यह बैठक है.

एनडीए की बैठक में क्या खास होगा

1. एनडीए की विभिन्न पार्टियों के जिलाध्यक्ष के अतिरिक्त विधायक, पार्षद आदि उपस्थित रहेंगे. 2. जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक कॉर्डिनेशन कमेटी बनाया जा सकती है. कहीं अध्यक्ष जेडीयू के तो कही भाजपा के संयोजक होंगे. 2. विधान सभा उपचुनाव के लिए रणनीति बनेगी. 3. विधान सभा चुनाव 2025 की रणनीति पर बात होगी. 5. कॉर्डिनेशन कमेटी के जिम्मे विधान सभा चुनाव की जिम्मेदारी दी जा सकती है. 6.सरकार के कामकाज का प्रचार-प्रसार बेहतर ढंग से कैसे हो सकता है. 7. विरोधियों से कैसे निबटना है. 8. एनडीए नेताओं को बयान देते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा.

9. एनडीए में पहले यह हो चुका है कि नीतीश अध्यक्ष रहे और भाजपा के नंदकिशोर यादव संयोजक. उसी तरह से फिर पद का बंटवारा संभव.

आनंद मोहन से लेकर अनंत सिंह तक को नीतीश ने साथ लाया

एनडीए में कॉर्डिनेशन की कमी पिछले विधान सभा चुनाव में दिख चुकी है. चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने ऐसा खेल खेला कि जेडीयू को लगभग 30 सीटों पर बड़ा हानि हुआ. जेडीयू 2010 में 115 सीट पर थी. 2015 में 71 सीट पर, 2020 में खिसककर 43 सीट पर आ गई. लेकिन, इस बार लोकसभा चुनाव के समय से ही चिराग पासवान नीतीश कुमार की प्रशंसा कर रहे हैं.

उपेन्द्र कुशवाहा जैसे नेता एनडीए के साथ हैं. श्याम रजक को आरजेडी से जेडीयू में लाया गया है. अनंत सिंह, नीतीश कुमार की प्रशंसा करते नहीं अघा रहे. वे कारावास से बाहर हैं. उनकी पत्नी नीलम देवी आरजेडी छोड़ जेडीयू के साथ है.

आनंद मोहन को नीतीश कुमार ने कारावास से बाहर लाने में बड़ी प्रशासनिक किरदार निभाई. इसके लिए कारावास नियमों में परिवर्तन तक किया. यही नहीं उनकी पत्नी लवली आनंद को जेडीयू ने टिकट दिया और वे शिवहर से लोकसभा का चुनाव जीतीं.

आनंद मोहन के पुत्र विधायक चेतन आनंद अब आरजेडी छोड़ जेडीयू के साथ है. इस सब के बावजूद एनडीए में कुछ चीजें बहुत दुरुस्त नहीं हैं. नीतीश के नजदीकी रहे आरसीपी नयी चाल चल रहे हैं.

नई पार्टी बना रहे आरसीपी सिंह

आरसीपी सिंह ऐसे नेता रहे हैं जो नीतीश कुमार के लंबे समय से साथ रहे. वे 1984 बैच के आईएएस अधिकारी रहे. नीतीश कुमार जब केन्द्र में मंत्री थे तब आरसीपी उनके प्रधान सचिव थे. आगे नीतीश कुमार से नजदीकी ऐसी बढ़ी कि 2020 में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए. नरेन्द्र मोदी ने उन्हें केन्द्र में मंत्री बनाया. लेकिन, अब आरसीपी दीपावली के दिन बड़ा पॉलिटिकल धमाका करने जा रहे हैं.

उन्होंने अपनी नयी पार्टी बनाने का घोषणा किया है. आरसीपी सिंह ने भाजपा में अपनी सदस्यता को रिन्यू नहीं किया है. इसकी चर्चा खूब है कि कहीं भाजपा पिछले विधान सभा चुनाव में जिस तरह से पर्दे के पीछे से चिराग का इस्तेमाल किया था. उसी तरह आरसीपी का इस्तेमाल तो नहीं कर रही! भाजपा के कई नेता लोजपा से चुनाव लड़ने गए थे, हारने पर वापस भाजपा में आ गए.

प्रशांत पहले ही बना चुके हैं पार्टी

नीतीश कुमार के एक चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पहले ही पार्टी बना चुके हैं. चार सीटों पर हो रहे विधान सभा उपचुनाव में अपने उम्मीदवार उतार चुके हैं. प्रशांत किशोर से नीतीश कुमार की ऐसी नजदीकी थी कि उन्होंने प्रशांत को जेडीयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तक बनाया था. यह प्रशांत किशोर के ही शब्द रहे है कि जब उन्होंने CAA, NRC का विरोध किया, तब नीतीश कुमार ने उन्हें जदयू से निकाल दिया. दूसरी तरफ नीतीश कुमार यह कहते रहे कि अमित शाह के कहने पर उन्होंने प्रशांत को जेडीयू में शामिल किया था.

प्रशांत नयी पार्टी के साथ उपचुनाव के मैदान में हैं. विधान सभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का घोषणा वे कर चुके हैं. नीतीश कुमार के दोनों रणनीतिकार प्रशांत किशोर और आरसीपी एक राह पर हैं. सन ऑफ मल्लाह नाम से मशहूर मुकेश सहनी लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के साथ घूमते रहे. वे एनडीए के साथ होते तो नीतीश के अतिपिछड़ा वोट बैंक में बढ़ोतरी करते.

किन मुद्दों पर घिरी हुई है नीतीश-बीजेपी सरकार

1- जॉब देने के प्रश्न पर तेजस्वी का दावा कि हम गवर्नमेंट में आए तब इतनी नौकरियां मिलीं.

2. महंगाई से लोग परेशान.

3- जहरीली शराब से बड़ी संख्या में मृत्यु हो रही.

4-बिहार में पूर्ण शराबबंदी लेकिन होम डिलीवरी का आरोप.

5- तेजी से बढ़ रहे अपराध.

6- स्मार्ट बिजली मीटर हटाने की मांग

7-भूमि सर्वे से जुड़े कागजात बनवाने में रुपयों का बड़ा खेल.

8- पलायन पर प्रशांत किशोर लगातार गवर्नमेंट को घेर रहे.

9- अफसरशाही के आरोप.

विधान सभा चुनाव में बेहतर कॉर्डिनेशन के साथ जीत की रणनीति बनेगी- अरविंद निषाद, जेडीयू प्रवक्ता

जेडीयू के प्रदेश प्रवक्ता अरविंद निषाद ने बोला है कि जब से एनडी ने बिहार में आकार लिया है. उसी समय से एनडीए में समन्वय स्थापित करने का काम जारी है. इस बार भी एनडीए के विभिन्न घटक दलों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए सीएम आवास में 28 अक्टूबर को एनडी की सभी पार्टियों के जिलाध्यक्षों सहित अन्य नेताओं की बैठक बुलायी गई है. उस बैठक में एनडीए के अंदर कैसे कॉर्डिनेशन बनाकर चला जाए, विधान सभा चुनाव में किस तरह से कॉर्डिनेशन बनाकर बेहतर परफॉर्म किया जाए जेडीयू रणनीति बनाने जा रही है.

गिरिराज सिंह की यात्रा पर अरविंद निषाद ने बोला कि इस यात्रा की घोषणा के समय ही जेडीयू की तरफ से बयान दिया गया था कि उनकी यात्रा से बिहार का माहौल बिगाड़ेगी तो गवर्नमेंट तत्क्षण कार्रवाई करेगी. बोला कि राजनीति दलों का लक्ष्य चुनाव में बेहतर परफॉर्म करना होता है. एनडीए के लीडिंग दल के रुप में हम हैं. एनडीए के सभी घटक दलों को साथ लेकर हम चलें यह हमारा मकसद है. इसलिए यह बैठक बुलायी गई है.

जमीनी स्तर पर एनडीए कार्यकर्ताओं के दिल जुड़ जाएं- कुंतल कृष्ण, भाजपा प्रवक्ता

बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता कुंतल कृष्ण कहते हैं कि बीजेपी-जेडीयू और पूरा का पूरा एनडीए परिवार एक है. यह तो चुनाव में प्रमाणित हो गया है. एनडीए एक परिवार के रूप में लड़ा था, इसलिए एनडीए परिवार जीता. सीएम की अध्यक्षता में एनडीए की बैठक होने वाली है.

जमीनी स्तर पर दिल से दिल जुड़ जाए हर ढंग से , कहीं पर कोई बात है तो समाप्त हो जाए. सबसे जरूरी बात यह है कि केन्द्र और राज्य गवर्नमेंट किस तरह से बिहार को आगे ले जा रही है. विकसित बिहार की आधारशिला किस तरह से रखी जा रही है. यह बात प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचे. इस जरूरी मामले के साथ बैठक हो रही है.

कुर्सी के लिए चुनाव में जीत महत्वपूर्ण है- संतोष कुमार, वरिष्ठ पत्रकार

राजनीतिक विश्लेषक संतोष कुमार कहते हैं कि बीजेपी और जेडीयू के बीच विवादों का सिलसिला कभी समाप्त नहीं हुआ. चाहे नरेन्द्र मोदी की गवर्नमेंट हो या वाजपेयी की. सत्ता के लालच में दोनों पार्टियां साथ रहीं. जब भी टकराव हुआ, टकराव को पीछे करके दोनों तरफ से कुर्सी बचायी गई. अब जब विधान सभा का चुनाव सामने है तो कुर्सी बचाने के लिए एनडीए की बैठक हो रही है. एनडीए के अंदर कॉर्डिनेशन ठीक करने की प्रयास इस बैठक के जरिए की जाएगी.

लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार में सीटें गंवाई, उससे सबक लेते हुए विधान सभा चुनाव की तैयारी है यह. परेशानी यह है कि ऊपर के नेताओं का तो मेलमिलाप हो जाता है पर निचले स्तर के कार्यकर्ताओं का मेलमिलाप नहीं हो पाता है इसलिए यह जरूरी बैठक है. कॉर्डिनेशन कमिटी में 40 प्रतिशत बीजेपी, 40 प्रतिशत जेडीयू और 20 प्रतिशत में एनडीए की अन्य पार्टियां होंगी. लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को शिकस्त देना एडीए की बैठक का मुख्य लक्ष्य है. कॉर्डिनेशन कमिटी प्रदेश स्तर के बाद जिला स्तर और प्रखंड स्तर पर बनाई जाएगी.

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