Jaisalmer पर्यटन में पिछड़ रही परमाणु नगरी, जिम्मेदार करें प्रयास तो बढ़ सकती है पर्यटकों की आवक
aapkarajasthan October 29, 2024 02:42 AM
जैसलमेर न्यूज़ डेस्क, जैसलमेर पोकरण केवल 24 वर्षों के अंतराल में दो बार परमाणु परीक्षण के धमाके झेलकर जिस धरती ने भारत की सामरिक ताकत से पूरी दुनिया को रु-ब-रु करवाया, वह धरती आज भी पर्यटन मानचित्र पर जगह बनाने को तरस रही है। हालात यह है कि स्वर्णनगरी जैसलमेर के फोर्ट, हवेलियों, तालाब व रेतीले धोरों की बराबरी करने वाली परमाणु नगरी आज भी पर्यटकों का इंतजार कर रही है। यही नहीं जैसलमेर जाने वाले पर्यटक पोकरण से होकर गुजरने के बावजूद उनका यहां ठहराव नहीं हो रहा है। जरूरत है तो केवल प्रशासनिक प्रयासों की। यदि प्रशासन, पर्यटन विभाग, जनप्रतिनिधि व क्षेत्र के लोग पोकरण में पर्यटन बढ़ाने के लिए प्रयास करते है तो जैसलमेर जाने वाले पर्यटकों का यहां भी ठहराव हो सकता है।

110 किलोमीटर की दूरी, पर्यटकों की संख्या में 10 गुणा का अंतर

पोकरण से केवल 110 किलोमीटर दूर विश्व प्रसिद्ध स्वर्णनगरी जैसलमेर में सालाना हजारों पर्यटक पहुंचते है और भ्रमण करते है। एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष 8 लाख पर्यटक जैसलमेर घूमने के लिए आते है। इनमें से जोधपुर व बीकानेर की तरफ से जैसलमेर जाने वाले 85 प्रतिशत पर्यटक पोकरण होकर गुजरते है। पोकरण में केवल 1 फीसदी पर्यटक ही रुकते है। अन्य पर्यटक सीधे ही निकलते है। यहां रुकने वालों में भी गुजराती पर्यटक अधिक है, जो रामदेवरा में बाबा की समाधि के दर्शनों के बाद उनके इतिहास से जुड़े फोर्ट, बालीनाथ महाराज के आश्रम के दर्शन करने यहां आते है और फिर जैसलमेर निकल जाते है।

मानचित्र से दूर मिली विश्वस्तरीय पहचान

पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज में 1974 व 1998 में हुए परमाणु परीक्षणों के बाद विश्व स्तर पर पहचान बना चुकी परमाणु नगरी को आज भी पर्यटन नगरी बनने का इंतजार है। ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि और यहां की लोक संस्कृति व लोककला की देश में अलग- पहचान है। यहां प्रतिवर्ष 5 लाख से अधिक देशी, विदेशी व धार्मिक पर्यटक आते है, लेकिन ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि का पर्याप्त प्रचार नहीं होने से वे यहां की कला से बिना रुबरु हुए ही रुखसत हो जाते है, जिससे यहां आने वाले सैलानियों से पर्यटन व्यवसाय को परोक्ष रूप से लाभ नहीं मिल पा रहा।

इन मामलों में पोकरण की जैसलमेर से बराबरी

हो प्रयास तो बने बात

●पोकरण के ऐतिहासिक स्थलों का पर्यटन विभाग की ओर से वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन प्रचार कर देश व विदेश में बैठे पर्यटकों को अवगत करवाएं। साथ ही यहां के इतिहास व कलात्मक जानकारियों का प्रचार प्रसार करें।

●तालाबों का जीर्णोद्धार हो और पर्यटकों के घूमने व विश्राम के लिए विशेष व्यवस्था की जाए।

●शक्तिस्थल का जीर्णोद्धार कर यहां स्थित म्युजियम को पुन: शुरू करें और क्षतिग्रस्त हो चुके मॉडल की मरम्मत करवावें। साथ ही शक्तिस्थल को अत्याधुनिक तरीके से संचालित कर पर्यटकों के लिए शुरू करें।

●जैसलमेर की तरह पोकरण में भी दो दिन तक मरु मेले का आयोजन किया जाए। यह आयोजन पोकरण के ऐतिहासिक स्थलों, रेतीले धोरों पर करने के साथ इसका प्रचार प्रसार एक महीने पहले से शुरू कर दें। साथ ही विदेशी पर्यटकों को भी इससे जोड़कर उन्हें इन स्थलों के महत्व से अवगत करवावें।

●लोहारकी व फलसूंड के रेतीले धोरों का संरक्षण कर यहां विकास कार्य करवावें और पर्यटकों के लिए तैयार करें।

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