छठ पूजा की तिथि से लेकर जानें नहाय खाय से लेकर संध्या अर्घ्य की तारीख
एबीपी लाइव November 01, 2024 10:12 AM

Chhath Puja 2024: छठ जिसे पर्व नहीं महापर्व कहा जाता है. बिहार से शुरू होने वाला यह महापर्व आज विश्व स्तर पर मनाया जाता है. बिहार के लोगों के लिए छठ पर्व नहीं इमोशन है. हर किसी की ये कोशिश रहती है कि छठ में कैसे भी करके अपने घर जाएं और परिवार के साथ इस महापर्व को मनाएं. दिवाली के बाद से छठ की शुरुआत हो जाती है. छठ से जुड़ी सभी जानकारी के बारे में जानें. 

छठ पूजा 2024 की तिथि (Chhath Puja 2024 Date)

  1. छठ महापर्व चार दिन का होता है. इन चार दिनों में पहला दिन नहाय खाय होता है. 
  2. छठ के दूसरे दिन को खरना कहते हैं. 
  3. छठ के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य होता है. 
  4. छठ का अंतिम और चौथा दिन सुबह का अर्घ्य होता है. 

छठ पूजा 2024 समय सारणी

नहाय खाय (Nahay Khay 2024) 5 नवंबर 2024 मंगलवार
खरना (Kharna 2024) 6 नवंबर 2024  बुधवार
संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya 2024) 7 नवंबर 2024  गुरुवार
सुबह अर्घ्य (Usha Arghya And Paran Date) 8 नवंबर 2024 शुक्रवार

नहाय खाय में क्या होता है? (Nahay Khay 2024 Kab Hai)
इस साल छठ महापर्व की शुरुआत 6 नवंबर 2024, मंगलवार के दिन है. नहाय खाय वाले दिन छठ करने वाली महिलाएं नहा-धोकर भगवान की पूजा करती है. जिसके बाद बिना लहसुन और प्याज के खाने को पकाया जाता है. नहाय खाय वाले दिन घीया और चने की दाल से भोजन बनाया जाता है. 

खरना में क्या होता है? (Kharna 2024 Kab Hai)
छठ महापर्व का दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. इस साल खरना 6 नवंबर 2024, बुधवार के दिन है. खरना वाले दिन व्रती महिलाएं निर्जला उपवास रखती है. शाम के समय गुड़ की खीर को पकाया जाता है और उसे रोटी पर रखकर भगवान को अर्पित करने के बाद सभी लोगों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. 

संध्या अर्घ्य में क्या होता है? (Sandhya Arghya 2024 Kab Hai)
छठ महापर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है. 7 नवंबर के दिन संध्या अर्घ्य है. छठ पूजा का ये दिन बेहद अहम होता है. इस दिन व्रती महिलाएं सूर्यास्त के समय किसी भी जगह पानी के किनारे डूबते सूर्य को अर्घ्य देती है. 

उषा अर्घ्य या पारण में क्या होता है? (Usha Arghya And Paran Date)
छठ महापर्व के चौथे और अंतिम दिन को उषा अर्घ्य कहा जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं उगते सूर्य को अर्घ्य देती है. जिसके बाद ही महिलाएं व्रत का पारण करती है. जिसके बाद सभी को छठ का विशेष प्रसाद जिसे ठेकुआ भी कहा जाता है, लोगों को बांटा जाता है. 

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