बेगूसराय:- बिहार में सहारा ने कई परिवारों को बेसहारा कर दिया। कई लोगों के सपने थे कि सहारा में राशि दोगुनी, पांच गुनी होगी, तो बेटियों की विवाह करेगें, कुछ लोगों के बुढ़ापे का सहारा यह राशि बनेगी। इसलिए जीवन भर की जमा पूंजी सहारा में लगाया। सहारा परिवार, हमारा परिवार जैसे कई परिवारों की लालच एजेंटों के द्वारा पूंजी जमा करवा दी गई। सहारा में पैसा इन्वेस्ट करने वालों को आशा थी कि पैसा वापस मिल सकता है। आवेदन के लिए पोर्टल बनाया गया। आवेदन मांगे गए, इस दौरान फिर आवेदन करने के लिए एजेंटो के द्वारा या फिर साइबर कैफे के द्वारा 500 रुपए तक लिए गए। लेकिन आज तक इस गांव के लोगों को एक रुपए तक नहीं मिला।
इन्वेस्टर को बताया- ‘आप वेलिंड मेंबर हैं ही नहीं’
लोकल 18 ने बेगूसराय जिले के खोदावंदपुर प्रखंड के मुसहरी गांव में पहुंचकर सहारा इन्वेस्टर से वार्ता की। ग्रामीणों के मुताबिक, गांव के 500 परिवार की जनसंख्या ने सहारा में पैसा जमा किया था। यहां के 19 वर्ष के यश कुमार ने कहा कि मेरे पिताजी किसान हैं। हमने अपने परिवार के सभी सदस्यों के नाम पर सहारा में पैसा जमा किया था। वैसे सपने बहुत दिखाए गए थे। मेरे नाम से ही 2 लाख रुपए जमा हैं। 4000 रुपए महीने की किस्त हम जमा करते थे। मेरे पास सारे रसीद हैं, इसके बावजूद जब मैं सहारा कार्यालय रोसड़ा समस्तीपुर गया, तो कहा गया कि आप सहारा के वेलिंड मेंबर नहीं हैं। अब हम क्या करें, समझ ही नहीं आ रहा है।
इलाज और बेटियों की विवाह के लिए बेचने पड़े जमीन
गांव की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। खेती-किसानी से जीवन यापन करने वाले इस गांव के लोगों ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए करोड़ों की राशि सहारा में जमा कर दी। अब हालत यह है कि स्वयं कर्जदार बने हुए हैं। गांव की प्रमिला देवी ने Local 18 को कहा कि हमने तकरीबन 1 लाख के आसपास पैसे जमा किए थे। बेटी की विवाह के लिए जब पैसा नहीं मिला, तो लड़की की विवाह के लिए ऋण लिए और अपनी छोटी सी जमीन बेंच दी। एजेंट के द्वारा इन्हें 5 वर्ष में दोगुना राशि देने का वादा किया गया था। लाल बाबू महतो ने कहा कि विजय कुमार नामक एजेंट ने उनकी पत्नी को सहारा में पैसा जमा करने के लाभ गिनाए, फिर मैंने पैसे जमा कर दिए। मेरे और पत्नी को मिलाकर 2 लाख रुपए जमा हैं। आज हाल ऐसा है कि कोई उपचार करने के लिए पैसे नहीं दे रहा है।