बच्चों को फीडिंग न कराने से ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है या नहीं यह एक बहुत जरूरी सवाल है. डॉ. रोहन खंडेलवाल (लीड कंसलटेंट और हेड ऑफ़ ब्रेस्ट सेंटर ,सी के बिरला हॉस्पिटल गुरुग्राम) ने बताया कि आजकल कई महिलाएं कामकाज और अन्य वजहों से बच्चों को स्तनपान नहीं करातीं. इसलिए यह जानना जरूरी है कि स्तनपान और ब्रेस्ट कैंसर के बीच क्या संबंध है.
डॉ. रोहन खंडेलवाल ने बताया कि स्तनपान महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है. ब्रेस्ट कैंसर का खतरा स्तनपान कराने वाली महिलाओं में कम हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि स्तनपान से हार्मोन्स में कुछ बदलाव आते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोक सकते हैं. ब्रेस्टफीडिंग कराने से ब्रेस्ट की कोशिकाओं में ऐसे बदलाव आते हैं, जो उन्हें कैंसर से सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं.
कुछ महिलाएं पर्सनल या स्वास्थ्य संबंधी कारणों से स्तनपान नहीं करवा पाती हैं. कामकाजी महिलाएं कई बार फीडिंग के लिए समय नहीं निकाल पातीं, तो कुछ महिलाएं किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण स्तनपान नहीं करा पातीं. हालांकि बच्चों को ब्रेस्टफीड न कराने का मतलब यह नहीं है कि कैंसर का खतरा जरूर बढ़ेगा परंतु यह एक रिस्क फैक्टर बन सकता है.
स्तनपान केवल ब्रेस्ट कैंसर से ही नहीं, बल्कि ओवरी कैंसर और मोटापे से भी बचाव में सहायक हो सकता है. इसके अलावा स्तनपान कराने से माँ का वजन कंट्रोल में रहता है, जो उन्हें अन्य बीमारियों से बचाने में भी मदद कर सकता है.
अगर आप बच्चों को फीडिंग नहीं करा पा रही हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है. आप नियमित स्वास्थ्य जांच करवा सकती हैं, जिसमें मैमोग्राफी और अन्य टेस्ट शामिल होते हैं. इसके साथ ही, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना भी बहुत जरूरी है. संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तंबाकू व शराब से दूर रहना आपके स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है.
बच्चों को फीडिंग न कराने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा थोड़ा बढ़ सकता है पर यह निश्चित नहीं है कि हर महिला को स्तनपान न कराने से कैंसर होगा. स्तनपान करना माँ और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होता है, इसलिए जब तक संभव हो, माँ को बच्चों को स्तनपान कराना चाहिए.
स्तनपान एक प्राकृतिक सुरक्षा है, जो महिलाओं को कई बीमारियों से बचा सकता है, लेकिन अगर किसी कारण यह संभव नहीं है तो नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम किया जा सकता है.