धोखा खा रहे हैं आप: ये तेल नहीं, ये है असली हत्यारा
UPUKLive Hindi November 09, 2024 05:42 AM

भारत के तेल बाज़ार मे अब सबसे ज्यादा विदेशी तेल बिक रहा है । आप जानते है एक मलेशिया नाम का छोटा सा देश है, उस देश का एक तेल है जिसका नाम है पामोलिन तेल (Palm Oil). ये पामोलिन तेल सबसे जादा भारत के बाज़ार मे है वो भी लाखो टन ।

अब पामोलिन तेल का भाव भारत मे आके पड़ता है 20-22 रूपए लीटर (अब 45 रूपए लीटर) और भारत के किसान जो तेल उत्पन्न करके देता है वो है 40 रूपए लीटर (अब 85 रूपए लीटर) ।अब भारत का किसान सरसों का तेल पैदा करे 40 रूपए लीटर (अब 85 रूपए लीटर), नारियेल का तेल पैदा करे 60 रुपये लीटर, तिलहन का तेल पैदा करे 90 रूपए लीटर पर पाम तेल का भाव मिलता है 20-22 रूपए लीटर तो सारे तेल बेचनेवाले उद्योगपति धड़ल्ले से लाखों लाखों टन पाम तेल इम्पोर्ट कर रहें है और उस पामोलिन तेल को मिलावट करके आपको बेच रहें है । आप बाज़ार से डिब्बा बंध जितना भी तेल लाके खातें है वो सब पाम तेल है ।

आपको सुनकर हैरानी होगी के 4-5 साल पहले हमारे देश मे ऐसा कानून था के पाम तेल किसी भी दुसरे तेल मे मिलके नहीं बेचा जा सकता GATT करार और WTO के दबाव मे अब कानून ऐसा है के palm तेल किसी भी तेल मे मिलाके बेचा जा सकता है । रिफाइंड और Doubled रिफाइंड तेल के नाम से बाज़ार मे जितना भी तेल मिल रहा है वो सब पाम तेल है ।

इस पाम तेल के दो दुष्परिणाम है –

1. जो जो किसान सरसों, नारियेल, तिल पैदा कटे थे उनको नुकसान क्योंकि उनको अपने तेल का भाव नहीं मिलता।

2. जो पाम तेल खएगा उसको हार्ट अटैक जरुर होगा, क्योंकि पाम तेल मे सबसे जादा ट्रान्स फैट्स है और ट्रान्स फैट्स कभी भी शरीर मे विघटित नहीं होते, किसी भी तापमान पर विघटित नहीं होते और फैट्स जमते जमते जरुरत से जादा हो जाता है तो हृदयघात आता है और आदमी मर जाता है, ब्रेन हेमारेज होता है और आदमी को पक्षाघात होता है, हाइपर टेनशॉन आता है, बिपि होता है । तेल का बाज़ार अब पूरी तरह से विदेशियों के कब्ज़े मे चला गया है।

मित्रो क्या आपने कभी विचार नहीं किया ?? कि आखिर जिस Refine तेल से आप अपनी और अपने छोटे बच्चों की मालिश नहीं कर सकते, जिस Refine को आप बालों मे नहीं लगा सकते, आखिर उस हानिकारक Refine तेल को कैसे खा लेते हैं ?? आज से 50 साल पहले तो कोई रिफाइन तेल के बारे में जानता नहीं था, ये पिछले 20 -25 वर्षों से हमारे देश में आया है |


कुछ विदेशी कंपनियों और भारतीय कंपनियाँ इस धंधे में लगी हुई हैं | इन्होने चक्कर चलाया और टेलीविजन के माध्यम से जम कर प्रचार किया लेकिन लोगों ने माना नहीं इनकी बात को, तब इन्होने डोक्टरों के माध्यम से कहलवाना शुरू किया | डोक्टरों ने अपने प्रेस्क्रिप्सन में रिफाइन तेल लिखना शुरू किया कि तेल खाना तो सफोला का खाना या सनफ्लावर का खाना, ये नहीं कहते कि तेल, सरसों का खाओ या मूंगफली का खाओ, अब क्यों, आप सब समझदार हैं समझ सकते हैं

ये रिफाइन तेल बनता कैसे हैं ? मैंने देखा है और आप भी कभी देख लें तो बात समझ जायेंगे | किसी भी तेल को रिफाइन करने में 6 से 7 केमिकल का प्रयोग किया जाता है और डबल रिफाइन करने में ये संख्या 12 -13 हो जाती है | ये सब केमिकल मनुष्य के द्वारा बनाये हुए हैं प्रयोगशाला में, भगवान का बनाया हुआ एक भी केमिकल इस्तेमाल नहीं होता, भगवान का बनाया मतलब प्रकृति का दिया हुआ जिसे हम ओरगेनिक कहते हैं |

तेल को साफ़ करने के लिए जितने केमिकल इस्तेमाल किये जाते हैं सब Inorganic हैं और Inorganic केमिकल ही दुनिया में जहर बनाते हैं और उनका combination जहर के तरफ ही ले जाता है | इसलिए रिफाइन तेल, डबल रिफाइन तेल गलती से भी न खाएं |

फिर आप कहेंगे कि, क्या खाएं ? तो आप शुद्ध तेल खाइए, सरसों का, मूंगफली का, तीसी का, या नारियल का | अब आप कहेंगे कि शुद्ध तेल में बास बहुत आती है और दूसरा कि शुद्ध तेल बहुत चिपचिपा होता है | हमलोगों ने जब शुद्ध तेल पर काम किया या एक तरह से कहे कि रिसर्च किया तो हमें पता चला कि तेल का चिपचिपापन उसका सबसे महत्वपूर्ण घटक है |

तेल में से जैसे ही चिपचिपापन निकाला जाता है तो पता चला कि ये तो तेल ही नहीं रहा, फिर हमने देखा कि तेल में जो बास आ रही है वो उसका प्रोटीन कंटेंट है, शुद्ध तेल में प्रोटीन बहुत है, दालों में ईश्वर का दिया हुआ प्रोटीन सबसे ज्यादा है, दालों के बाद जो सबसे ज्यादा प्रोटीन है वो तेलों में ही है, तो तेलों में जो बास आप पाते हैं वो उसका Organic content है प्रोटीन के लिए |

4 -5 तरह के प्रोटीन हैं सभी तेलों में, आप जैसे ही तेल की बास निकालेंगे उसका प्रोटीन वाला घटक गायब हो जाता है और चिपचिपापन निकाल दिया तो उसका Fatty Acid गायब | अब ये दोनों ही चीजें निकल गयी तो वो तेल नहीं पानी है, जहर मिला हुआ पानी | और ऐसे रिफाइन तेल के खाने से कई प्रकार की बीमारियाँ होती हैं, घुटने दुखना, कमर दुखना, हड्डियों में दर्द, ये तो छोटी बीमारियाँ हैं, सबसे खतरनाक बीमारी है, हृदयघात (Heart Attack), पैरालिसिस, ब्रेन का डैमेज हो जाना, आदि, आदि |

जिन-जिन घरों में पुरे मनोयोग से रिफाइन तेल खाया जाता है उन्ही घरों में ये समस्या आप पाएंगे, अभी तो मैंने देखा है कि जिनके यहाँ रिफाइन तेल इस्तेमाल हो रहा है उन्ही के यहाँ Heart Blockage और Heart Attack की समस्याएं हो रही है |

जब हमने सफोला का तेल लेबोरेटरी में टेस्ट किया, सूरजमुखी का तेल, अलग-अलग ब्रांड का टेस्ट किया तो AIIMS के भी कई डोक्टरों की रूचि इसमें पैदा हुई तो उन्होंने भी इसपर काम किया और उन डोक्टरों ने जो कुछ भी बताया उसको मैं एक लाइन में बताता हूँ क्योंकि वो रिपोर्ट काफी मोटी है और सब का जिक्र करना मुश्किल है, उन्होंने कहा “तेल में से जैसे ही आप चिपचिपापन निकालेंगे, बास को निकालेंगे तो वो तेल ही नहीं रहता, तेल के सारे महत्वपूर्ण घटक निकल जाते हैं

और डबल रिफाइन में कुछ भी नहीं रहता, वो छूँछ बच जाता है, और उसी को हम खा रहे हैं तो तेल के माध्यम से जो कुछ पौष्टिकता हमें मिलनी चाहिए वो मिल नहीं रहा है |” आप बोलेंगे कि तेल के माध्यम से हमें क्या मिल रहा ? मैं बता दूँ कि हमको शुद्ध तेल से मिलता है HDL (High Density Lipoprotein), ये तेलों से ही आता है हमारे शरीर में, वैसे तो ये लीवर में बनता है लेकिन शुद्ध तेल खाएं तब | तो आप शुद्ध तेल खाएं तो आपका HDL अच्छा रहेगा और जीवन भर ह्रदय रोगों की सम्भावना से आप दूर रहेंगे |

अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा विदेशी तेल बिक रहा है | मलेशिया नामक एक छोटा सा देश है हमारे पड़ोस में, वहां का एक तेल है जिसे पामोलिन तेल कहा जाता है, हम उसे पाम तेल के नाम से जानते हैं, वो अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा बिक रहा है, एक-दो टन नहीं, लाखो-करोड़ों टन भारत आ रहा है और अन्य तेलों में मिलावट कर के भारत के बाजार में बेचा जा रहा है | 7 -8 वर्ष पहले भारत में ऐसा कानून था कि पाम तेल किसी दुसरे तेल में मिला के नहीं बेचा जा सकता था लेकिन GATT समझौता और WTO के दबाव में अब कानून ऐसा है कि पाम तेल किसी भी तेल में मिला के बेचा जा सकता है |

भारत के बाजार से आप किसी भी नाम का डब्बा बंद तेल ले आइये, रिफाइन तेल और डबल रिफाइन तेल के नाम से जो भी तेल बाजार में मिल रहा है वो पामोलिन तेल है | और जो पाम तेल खायेगा, मैं स्टाम्प पेपर पर लिख कर देने को तैयार हूँ कि वो ह्रदय सम्बन्धी बिमारियों से मरेगा |

क्योंकि पाम तेल के बारे में सारी दुनिया के रिसर्च बताते हैं कि पाम तेल में सबसे ज्यादा ट्रांस-फैट है और ट्रांस-फैट वो फैट हैं जो शरीर में कभी dissolve नहीं होते हैं, किसी भी तापमान पर dissolve नहीं होते और ट्रांस फैट जब शरीर में dissolve नहीं होता है तो वो बढ़ता जाता है और तभी हृदयघात होता है, ब्रेन हैमरेज होता है और आदमी पैरालिसिस का शिकार होता है, डाईबिटिज होता है, ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है |

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