Fertility Rate in India : संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है. 10 नवंबर, 2024 तक देश की पॉपुलेशन 1,455,591,095 हो गई है. यूएन के अनुसार, अप्रैल 2023 के अंत में इंडिया की जनसंख्या 1,425,775,850 थी. हालांकि, एक स्टडी कहती है कि भारत की आबादी बढ़ने की दर लगातार घट रही है.
1950 में जहां प्रजनन दर 6.2 थी, जो 2021 में घटकर 2% पर पहुंच गई. दावा है कि अगर इसी तरह फर्टिलिटी रेट (Fertility Rate) जारी रही तो 2050 तक ये घटकर 1.3 तक पहुंच सकती है. इस हिसाब से साल 2054 में देश की आबादी 1.69 अरब पहुंच सकती है और साल 2100 में घटकर 1.5 अरब ही रह जाएगा. जानिए इससे क्या नुकसान हो सकता है.
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क्यों घट रही फर्टिलिटी रेट
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, पूरी दुनिया में फर्टिलिटी से जुड़ी कई चुनौतियां सामने आ रही हैं. इसका कारण जलवायु परिवर्तन और खानपान में आ रहा बदलाव है. इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन और यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन ने एक अध्ययन में बताया गया कि प्रेगनेंसी में बड़ी चुनौतियां बनती जा रही है.
हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि शिशु मृत्युदर (child mortality) का रिस्क भी बढ़ सकता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ज्यादातर लोग यही सोच रहे हैं कि बच्चे कम पैदा होंगे तो देश की पॉपुलेशन कम होगी और इसका फायदा होगा लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि फर्टिलिटी रेट कम होने से कई नुकसान भी हैं.
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फर्टिलिटी रेट कम होने से क्या-क्या नुकसान
बच्चे नहीं होंगे तो देश का भविष्य खतरे में पड़ सकता है. एक रिसर्च में महिलाओं की फर्टिलिटी में कमी आने की वजह से देश और समाज पर पड़ने वाले परिणाम को देखा गया. इसके अनुसार, फर्टिलिटी घटने से आसपास बच्चों से ज्यादा बुजुर्ग नजर आएंगे. इससे लेबर फोर्स में कमी आएगी, जो किसी भी देश के लिए ठीक नहीं है.
क्या फर्टिलिटी कम होने के फायदे भी हैं
साइंटिफिक रिपोर्ट्स में पब्लिश एक स्टडी रिपोर्ट के अनुसार, प्रजनन दर में कमी होने से महिलाओं की औसत उम्र बढ़ जाएगी. जिसका सीधा फायदा महिलाओं को होगा. इससे उनकी औरत उम्र बढ़ेगी. रिसर्च के अनुसार, एक बच्चे को जन्म देने वाली महिलाएं 15 या ज्यादा बच्चे पैदा करने वाली महिलाओं की तुलना में औसतन 6 साल ज्यादा जिंदा रहती हैं. इससे किसी देश की पॉपुलेशन भी कंट्रोल होगी और बेहदर रिसोर्सेज भी मिल पाएंगे.
भारत में फर्टिलिटी घटने का कारण
देर से हो रही शादियां
बच्चों की लेट प्लानिंग
पहले की तुलना में कम बच्चे पैदा करना
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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