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महाभारत में कई ऐसे पात्र थे जिनके बारे में आपको जानकारी नहीं होगी। आज हम आपको भगदत्त के बारे में बताने जा रहे हैं जो नरकासुर का बेटा था। वह इंद्र के भी मित्र थे। भगदत्त अर्जुन के प्रशंसक थे लेकिन वे कृष्ण को पसंद नहीं करते थे।
जब युधिष्ठिर राजसूय यज्ञ कर रहे थे उस समय भगदत्त अर्जुन से कई दिनों तक अकेले लड़े लेकिन फिर भी अर्जुन उन्हें हरा नहीं पाए। आपको जानकारी के लिए बता दें कि कर्ण ने भगदत्त को युद्ध में हराया था इस कारण उन्होंने महाभारत का युद्ध कौरवों की ओर से लड़ा।
कुरुक्षेत्र युद्ध के 12वें दिन भगदत्त का हाथी अर्जुन को कुचलने ही वाला था लेकिन तब श्री कृष्ण ने अर्जुन के प्राण बचा लिए। फिर भगदत्त ने अर्जुन पर अचूक वैष्णव अस्त्र चलाया, तब भी श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बचाते हुए इसका प्रहार खुद पर ले लिया।
तब अर्जुन ने नाराच अस्त्र से भगदत्त के हाथी को मारा। लेकिन वे भगदत्त को मार नहीं पा रहे थे। तब भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा, ‘भगदत्त’ की आयु अधिक है। झुर्रियों के कारण उसकी आँखे नहीं खुलती है। उसने नेत्रों को खुला रखने के लिए मस्तक पर पट्टी बांध रखी है। कृष्ण की सलाह पर अर्जुन ने उसके मस्तक पर ही तीर मारा जिस से भगदत्त का वध हुआ।