Bihar Liquor ban: शराबबंदी के फैसले के खिलाफ है पटना हाई कोर्ट
Krati Kashyap November 15, 2024 02:28 PM

Liquor Ban in Bihar: पटना उच्च न्यायालय ने एक मुकदमा में निर्णय सुनाते हुए बोला कि राज्‍य गवर्नमेंट ने बिहार प्रतिषेध और एक्‍साइज एक्‍ट, 2016 को जब लागू किया था तो लोगों का जीवन स्‍तर सुधारने और पब्लिक हेल्‍थ को लेकर उसका मकसद बहुत नेक था लेकिन कई वजहों से अब इसको इतिहास में बुरे फैसला के रूप में देखा जा रहा है जस्टिस पूर्णेंदु सिंह ने एक पुलिस ऑफिसर मुकेश कुमार पासवान की याचिका पर 29 अक्‍टूबर को निर्णय सुनाते हुए ये टिप्‍पणी की उच्च न्यायालय की वेबसाइट में 13 नवंबर को इस निर्णय को अपलोड किया गया

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जस्टिस सिंह ने अपने निर्णय में बोला कि शराबबंदी का पुलिस, एक्‍साइज, राज्‍य कमर्शियल टैक्‍स और परिवहन विभाग के ऑफिसरों ने स्‍वागत किया क्‍योंकि इससे उनको आर्थिक फायदा कमाने का जरिया मिल गया शराब माफिया या सिंडिकेट ऑपरेटरों के विरुद्ध कुछ मुकदमा दर्ज किए गए लेकिन इसकी तुलना में आम गरीब आदमी के विरुद्ध ढेर सारे मुकदमा दर्ज हुए वे शराब पीने के कारण पकड़े गए या कच्‍ची शराब पीने के शिकार हुए कुल मिलाकर इस एक्‍ट का खामियाजा सबसे ज्‍यादा आम गरीब आदमी को भुगतना पड़ रहा है

कोर्ट ने बोला कि इस एक्‍ट के कई ऐसे प्रावधान हैं जो पुलिस के लिए बहुत मददगार हैं इन सबका फायदा उठाकर नए उपायों का प्रयोग करते हुए नशीला प्रतिबंधित पदार्थों को लाया जा रहा है और वितरित किया जा रहा है कई मामलों में पुलिस और स्‍मगलरों की साठगांठ भी देखने को मिलती है

मुकेश कुमार पासवान केस
मुकेश पासवान पटना बाईपास पुलिस स्‍टेशन के एसएचओ थे उनके स्‍टेशन के 500 मीटर के दायरे में एक्‍साइज ऑफिसर्स की रेड में विदेशी शराब पाई गई पासवान को सस्‍पेंड कर दिया गया हालांकि उन्‍होंने अपनी बेगुनाई के विश्‍वनीय सबूत दिए लेकिन इस कानून में ऐसे प्रावधान हैं कि यदि किसी पुलिस ऑफिसर के अधिकार क्षेत्र के भीतर शराब की रिकवरी होती है तो उसके विरुद्ध दंडात्‍मक कार्रवाई होगी उसी के अनुसार 2020 में विभागीय जांच के बाद पासवान को डिमोट कर दिया गया

मुकेश पासवान की याचिका पर ही निर्णय सुनाते हुए उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि इस एक्‍ट में प्रावधान ही ऐसे थे कि विभागीय जांच महज एक खानापूर्ति ही थी क्‍योंकि ये पहले से ही तय था कि उनके विरुद्ध क्‍या कार्रवाई होगी? न्यायालय ने लिहाजा मुकेश के विरुद्ध की गई विभागीय जांच को निरस्‍त कर दिया और डिमोट करने के आदेश को खारिज कर दिया

प्रशांत किशोर
गौरतलब है कि हालिया समय में सियासी स्‍तर पर शराबबंदी के निर्णय का विरोध प्रारम्भ हो गया है प्रशांत किशोर ने शराबबंदी का सबसे मुखर विरोध किया है उन्‍होंने जब से जन सुराज पार्टी बनाई है तब से ही बहुत मुखर रूप से शराबबंदी का विरोध किया है उन्‍होंने बोला कि सत्‍ता में आने की स्थिति में 24 घंटे के भीतर सबसे पहले शराबबंदी के कानून को रद्द करेंगे उनका तर्क है कि इससे एक तो राजस्‍व को बहुत हानि हो रहा है और दूसरी तरफ इस कानून के माध्‍यम से जो सामाजिक लक्ष्‍य था वो भी पूरा नहीं हो सका

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