NEHU में चल रहे छात्र आंदोलन को मिला MITCRM का समर्थन, लिए ये 3 बड़े फैसले
मनोज्ञा लोईवाल, एबीपी न्यूज November 15, 2024 05:12 PM

Meghalaya: मेघालय के प्रतिष्ठित संगठन मेघालय स्वदेशी जनजातीय अधिकार संविधान अधिकार आंदोलन (MITCRM) ने NEHU (नॉर्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी) में आंदोलन कर रहे छात्रों के प्रति पूर्ण समर्थन व्यक्त किया है. छात्रों की मांगों में विश्वविद्यालय में पारदर्शिता, जवाबदेही और कुलपति डॉ. शुक्ला को हटाने की मांग शामिल है.

आंदोलनकारी छात्रों के साथ एकजुटता जताते हुए MITCRM ने तीन महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं. MITCRM के सलाहकार, इरविन के. सियेम सुत्ंगा ने इस बारे में कहा, “हम भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों का समर्थन करने आए हैं.

इस दौरान MITCRM के सलाहकार, इरविन के. सियेम सुत्ंगा ने कहा, " हमारा संगठन 2017 से सक्रिय है और इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए हमारी जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ गई है, खासकर जब NEHU जैसी प्रतिष्ठित संस्थान की छवि को वर्तमान प्रशासनिक नीतियों से ठेस पहुंच रही है.”

MITCRM ने छात्रों की मांगों के प्रति 100% समर्थन व्यक्त किया है, विशेष रूप से कुलपति को हटाने की मांग को लेकर. संगठन का मानना है कि कुलपति के कार्य आदिवासी विरोधी और स्थानीय हितों के खिलाफ हैं.

संगठन ने भारत के राष्ट्रपति, जो NEHU के कुलाधिपति भी हैं, को पत्र लिखने का निर्णय लिया है. इस पत्र के माध्यम से राष्ट्रपति को छात्रों की मांगों और परिस्थितियों से अवगत कराया जाएगा और उनसे तत्काल समाधान की अपील की जाएगी.

MITCRM ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए डॉ. शुक्ला को "पर्सोना नॉन ग्राटा" (अवांछित व्यक्ति) घोषित कर दिया है. इस निर्णय का उद्देश्य उन व्यक्तियों को सामाजिक रूप से बहिष्कृत करना है जो आदिवासी संस्कृति, परंपराओं और उत्तर पूर्व क्षेत्र की भावनाओं को अनदेखा करते हैं. इस निर्णय के तहत, मेघालय में डॉ. शुक्ला का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा.

इरविन सुत्ंगा ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कदम के माध्यम से केंद्र सरकार को एक सख्त संदेश भेजा गया है कि ऐसे व्यक्तियों को नियुक्त न करें जो उत्तर पूर्व की सांस्कृतिक और सामाजिक भावनाओं को न समझते हों. संगठन ने यह निर्णय शैक्षणिक संस्थानों की गरिमा और क्षेत्रीय समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए उठाया है, ताकि मेघालय और पूरे पूर्वोत्तर के शैक्षणिक समुदाय का विकास बिना किसी बाहरी दबाव और भेदभाव के हो सके.

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