"मैं इसे अपनी आखिरी सांस तक ले जाऊंगा", नारायणमूर्ति ने किस बात पर दोहराया अपना सख्त रुख
एबीपी बिजनेस डेस्क November 15, 2024 05:12 PM

N Narayana Murthy: इंफोसिस के फाउंडर एन नारायणमूर्ति अक्सर इस बात की वकालत करते हैं कि भारत जैसे देश में कड़ी मेहनत और काम के घंटे ज्यादा करने के लिए बहुत स्कोप है. उनका मानना है कि देश के युवाओं और कर्मचारियों को कड़े परिश्रम की सोच पर आगे बढ़ना चाहिए. अब एक बार फिर नारायणमूर्ति ने अपने ही अंदाज में इस बात को दोहराया है कि देश में वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर चर्चा बहुत ज्यादा हो रही है लेकिन कड़े परिश्रम पर ध्यान कम है. 

नारायणमूर्ति ने फिर की 6 डेज वर्किंग कल्चर की वकालत

देश की नंबर वन आईटी कंपनी के खिताब पर सालों तक काबिज रही इंफोसिस के फाउंडर नारायणमूर्ति ने एक बार फिर 6 दिनों के वर्किंग कल्चर की वकालत की है. CNBC TV-18 की ग्लोबल लीडरशिप समिट में एन नारायणमूर्ति ने कहा कि उनके 6 दिनों के वर्किंग कल्चर के पक्ष में बयान देने के बाद सोशल मीडिया पर युवाओं और कामकाजी प्रोफेशनल्स ने उनकी जमकर आलोचना की, फिर भी वो इस बात पर कायम रहेंगे. नारायणमूर्ति ने यहां तक कहा कि "मैं इसे अपनी आखिरी सांस तक लेकर जाऊंगा".. 

आईटी जगत के दिग्गज नारायणमूर्ति ने फिर कहा कि भारत जैसे विकासशील देश में कड़ी मेहनत के साथ काम के घंटे बढ़ाने की जरूरत है. 78 साल के नारायणमूर्ति ने कहा कि जब देश में साल 1986 में 6 डेज वर्किंग को बंद करके हफ्ते में 5 दिन के कामकाज का कल्चर लाया गया तो उस समय भी वो इस बात से खुश नहीं थे और आज भी अपने रुख पर कायम हैं.  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हार्ड वर्क के बारे में भी बोले

नारायणमूर्ति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कहा कि वो बिना थके हुए पूरे समर्पण के साथ देश के काम में लगे रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब देश के पीएम ऐसे डेडिकेशन के साथ काम कर रहे हैं तो लोगों को भी अपने आसपास के माहौल को देखते हुए पूरे हार्ड वर्क के साथ काम करना चाहिए.

दिन में 14 घंटे काम करता था- एन नारायणमूर्ति

एन नारायणमूर्ति ने अपने पुराने दिनों का जिक्र करते हुए कहा कि अपने करियर के दौरान वो एक दिन में 14 घंटे और हफ्ते में साढ़े छह दिन काम करते थे. उन्होंने बताया कि वो सुबह 6.30 बजे से रात 8.30 बजे तक काम करते थे और अपने पूरे जीवनकाल में किए गए कड़े परिश्रम के लिए उन्हें गर्व है. एन नारायणमूर्ति अपनी खरी-खरी बातों को विनम्रतापूर्व कहने के लिए जाने जाते हैं और काम के घंटे बढ़ाने के विचारों को भी उन्होनों काफी संयम के साथ रखा.

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