जानें, शिशु के जन्म के बाद कैसे बदल जाता है बच्चे का रंग…
Krati Kashyap November 16, 2024 12:27 PM

why babies skin colour get darker after birth: शिशु के जन्म के बाद उनके त्वचा के रंग में परिवर्तन होना एक सामान्य प्रक्रिया है. कई माता-पिता सोचते हैं कि उनका बच्चा जन्म के समय गोरा था, लेकिन कुछ हफ्तों बाद उसकी त्वचा का रंग काला या गहरा क्यों हो गया. आइए समझते हैं इसके पीछे के कारण और जानें कि यह प्रक्रिया क्यों होती है.

जन्म के समय शिशु की त्वचा का रंग गोरा क्यों होता है?
जन्म के समय शिशु की त्वचा गोरी दिखाई देती है क्योंकि:
अधूरी त्वचा का विकास: जन्म के समय त्वचा की बाहरी परत (एपिडर्मिस) पूरी तरह से विकसित नहीं होती.
मेलेनिन का कम उत्पादन: त्वचा के रंग के लिए उत्तरदायी मेलेनिन नामक पिगमेंट का उत्पादन नवजात में बहुत कम होता है.
गर्भाशय की सुरक्षा: गर्भ में शिशु की त्वचा गर्भाशय के तरल पदार्थ से ढकी रहती है, जो गोरी दिखती है.

कुछ हफ्तों बाद शिशु का रंग गहरा क्यों हो जाता है?
जन्म के बाद शिशु की त्वचा में परिवर्तन होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. इसके कारण:
मेलेनिन का बढ़ना: कुछ हफ्तों के बाद मेलेनिन का उत्पादन बढ़ने लगता है, जिससे त्वचा का रंग गहरा हो सकता है.
पर्यावरणीय प्रभाव: बाहरी वातावरण, जैसे सूरज की किरणें, शिशु की त्वचा पर असर डाल सकती हैं.
वंशानुगत कारण: शिशु के माता-पिता का त्वचा रंग उसके आनुवांशिक गुणों से प्रभावित होता है.
त्वचा का अनुकूलन: त्वचा समय के साथ बाहरी वातावरण के मुताबिक स्वयं को अनुकूलित करती है.

क्या शिशु का रंग स्थायी हो सकता है?
शिशु का स्थायी रंग लगभग 6 से 12 महीने की उम्र में विकसित होता है. इसके बाद त्वचा का रंग ज्यादातर स्थिर हो जाता है.

शिशु की त्वचा की देखभाल के टिप्स
हाइड्रेशन: शिशु की त्वचा को हमेशा मॉइस्चराइज रखें.
सूरज की किरणों से बचाव: धूप में अधिक समय न बिताएं.
माइल्ड उत्पादों का इस्तेमाल करें: शिशु के लिए हल्के और नेचुरल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें.
पोषण का ध्यान: माँ का दूध शिशु की त्वचा और स्वास्थ्य के लिए लाभ वाला होता है.

क्या त्वचा का रंग बदलने से चिंता करनी चाहिए?
शिशु की त्वचा में परिवर्तन आमतौर पर चिंता का विषय नहीं होता. यदि कोई असामान्य लक्षण, जैसे रैशेज या अत्यधिक ड्राईनेस दिखाई दे, तो चिकित्सक से राय लें.

जन्म के समय शिशु का रंग गोरा होना और बाद में गहरा होना एक सामान्य प्रक्रिया है. इसके पीछे वैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारण हैं. माता-पिता को इस परिवर्तन को स्वाभाविक मानते हुए शिशु की त्वचा की उचित देखभाल करनी चाहिए.

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