चोरी-छिपे न्यूक्लियर हथियार तैयार कर रहा था ईरान! इजरायली एयरस्ट्राइक में तबाह हुआ ठिकाना
एबीपी लाइव November 16, 2024 10:12 PM

Israel-Iran War: इजरायल ने ईरान के पारचिन सैन्य परिसर पर अक्टूबर के आखिर में एक बेहद गोपनीय हमला किया था. एक मीडिया रिपोर्ट में इसका दावा किया गया है. इस हमले में टालेघन 2 संयंत्र को निशाना बनाया गया. टालेघन 2 काफी खुफिया न्यूक्लियर हथियार लैब मानी जाती थी. इस हमले से ईरान की न्यूक्लियर हथियारों के शोध को गहरा झटका लगा है.

टालेघन 2 संयंत्र पहले निष्क्रिय मानी जाती थी लेकिन हाल ही में फिर से सक्रिय देखी गई. एक्सियोस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस इमारत में प्लास्टिक विस्फोटकों को तैयार करने का काम चल रहा था, जो न्यूक्लियर डिवाइस के यूरेनियम के चारों ओर लगाने के लिए काफी अहम होते हैं. इस हमले में इन सभी उपकरणों को नष्ट कर दिया गया. हालांकि ईरान ऐसी किसी घटना से इनकार करता रहा है. ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा, "ईरान का न्यूक्लियर हथियार बनाने का कोई इरादा नहीं है." लेकिन इजरायली और अमेरिकी अधिकारियों ने इसे अलग तरीके से देखा है.

अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की चिंताएं बढ़ीं

रिपोर्ट के अनुसार, टालेघन 2 सुविधा ईरान के अमाद न्यूक्लियर प्रोग्राम का हिस्सा थी, जो 2003 में बंद कर दिया गया था. लेकिन हाल के घटनाक्रमों से पता चलता है कि ईरान ने इस पर फिर से काम शुरू कर दिया था. सैटेलाइट इमेज ने इस बिल्डिंग के नेस्तनाबूद होने की पुष्टि की है. इस हमले से पहले व्हाइट हाउस ने ईरान को खुफिया रिसर्च गतिविधियों को लेकर चेतावनी दी थी. इन चेतावनियों के बावजूद ईरान ने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी थी, इस वजह से अमेरिकी अधिकारियों का संदेह और भी गहराता चला गया.

इस हमले का असर आने वाले समय में और भी गंभीर हो सकता है, क्योंकि ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव पश्चिम एशिया में अस्थिरता पैदा कर सकते हैं. इसके अलावा, अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी ने भी ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम की समीक्षा की है और इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं.

IAEA की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की बैठक में ईरान की सहयोग की कमी पर चर्चा होगी और संभव है कि इस मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित हो. टालेघन 2 में हो रही खुफिया गतिविधियां उसके परमाणु संधि के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठाती हैं. इससे ईरान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव और भी बढ़ सकता है.

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