सांस से जुड़ी इस गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं मंदिरा बेदी, जानें इसके लक्षण और इलाज
एबीपी लाइव November 17, 2024 10:12 AM

मंदिरा बेदी अस्थमा की मरीज हैं. एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी बीमारी को लेकर खुलकर बात की थी. मंदिरा ने बताया था कि वह अस्थमा से निपटने के लिए इनहेलर का इस्तेमाल करती हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पब्लिक प्लेस में इसका इस्तेमाल करना कोई शर्मिंदगी की बात नहीं है. इस बीमारी को लेकर जागरूकता फैलना बेहद जरूरी है. ताकि लोग इस पर खुलकर बात कर सकें. आज हम अपने आर्टिकल के जरिए इस बीमारी के बारे में विस्तार से बात करेंगे. साथ ही साथ इसके लक्षण और कारणों के बारे में भी बात करेंगे. अस्थमा एक पुरानी फेफड़ों की बीमारी है. जो सांस लेने वाली नली में होती है.

अस्थमा के लक्षण

अस्थमा के मरीजों की सांस की नली में सूजन और कसाव होने लगती है जिसके कारण उन्हें सांस लेने में काफी ज्यादा तकलीफ होती है.  अस्थमा मरीज के शुरुआती लक्षण होते हैं खांसी, घरघराहट, सीने में जकड़न और सांस लेने में तकलीफ शामिल है. ये लक्षण हल्के या गंभीर हो सकते हैं और आते-जाते रह सकते हैं.धूल या तंबाकू के धुएं या यहां तक कि हंसने जैसे अस्थमा ट्रिगर के संपर्क में आने से भी अस्थमा का दौरा पड़ सकता है.

सर्दी में अस्थमा के लक्षण अक्सर अधिक गंभीर हो जाते हैं. अस्थमा एक पुरानी सांस संबंधी स्थिति है जो सांस की नली में सूजन, सांस फूलने, सीने में दर्द और लगातार खांसी का कारण बन सकती है. ये लक्षण सर्दियों में ज्यादा परेशानियों से भरे हो सकते हैं. जो न केवल वयस्कों, बुजुर्गों को ही नहीं बल्कि छोटे बच्चों को भी प्रभावित करते हैं. अस्थमा के लक्षणों को नज़रअंदाज़ करने से स्थिति और खराब हो सकती है. इसलिए सही इलाज के लिए खास ख्याल रखने की जरूरत है. 

आयुर्वेद अस्थमा के लक्षणों को कम करने के लिए नैचुरल तरीके प्रदान करता है. जिसमें सांस की नली को साफ करने और सूजन को कम करने में मदद करने वाले उपाय शामिल हैं.यहां तीन आयुर्वेदिक इलाज दिए गए हैं जो सर्दियों के दौरान अस्थमा के रोगियों को राहत पहुंचा सकते हैं. तुलसी, या पवित्र तुलसी, बलगम के निर्माण को कम करने, श्वसन पथ को साफ करने और वायुमार्ग की सूजन को कम करने की अपनी शक्तिशाली क्षमता के लिए जानी जाती है. इसके गुण इसे खांसी और जमाव को कम करने के लिए एक प्रभावी उपाय बनाते हैं.

तुलसी का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए

5-10 ताजे तुलसी के पत्तों को पानी में उबालें. पानी गर्म होने पर, अतिरिक्त लाभ के लिए इसमें एक चम्मच शहद मिलाएं. इसे दिन में एक या दो बार पीने से खांसी में आराम मिलता है और गले से बलगम साफ करने में मदद मिलती है.

आप तुलसी के चिकित्सीय गुणों से लाभ उठाने के लिए रोजाना 5-6 ताजे तुलसी के पत्ते चबा सकते हैं या उन्हें सलाद में मिला सकते हैं.

मुलेठी (लिकोरिस): कफ के लिए खास उपाय

मुलेठी, या मुलेठी, को आयुर्वेद में कफ को नियंत्रित करने के लिए एक उत्कृष्ट उपाय के रूप में व्यापक रूप से माना जाता है. इसके सूजनरोधी गुण वायुमार्ग को शांत करने में मदद कर सकते हैं, जिससे अस्थमा के रोगियों के लिए सांस लेना आसान हो जाता है. मुलेठी गले पर भी शांत प्रभाव डालती है और बलगम को साफ करने में मदद करती है.

यह भी पढ़ें : हफ्ते में सिर्फ दो दिन एक्सरसाइज से एक्टिव होगा ब्रेन, बीमारियां भी होंगी कोसो दूर

मुलेठी का इस्तेमाल कैसे करें

छाती की जकड़न से राहत पाने और फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए मुलेठी के पाउडर को शहद या गर्म पानी में मिलाकर पिएं.

सर्दियां शुरू होते ही फटने लगे हैं आपके भी पैर, आजमाकर देखें ये घरेलू नुस्खा

मुलेठी की चाय बनाने के लिए, अपनी नियमित चाय में आधा चम्मच मुलेठी का पाउडर डालें और इसे 5-10 मिनट तक उबलने दें. इस चाय को दिन में एक या दो बार पीने से खांसी और जकड़न से राहत मिल सकती है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

यह भी पढ़ें :शहरों में रहने वाली लड़कियों में कॉमन हो रही है सारा अली खान वाली ये बीमारी, इग्नोर करना हो सकता है खतरनाक

© Copyright @2024 LIDEA. All Rights Reserved.