Personal Finance Rule: आम लोगों के लिए पर्सनल फाइनेंस के नियमों में से एक ऐसा नियम है जो वित्तीय दिक्कतों को दूर करने के लिए रामबाण उपाय है. 50:30:20 का सुनहरा नियम एक ऐसा आर्थिक नियम है जिसके बारे में जानकर आपको अपने घर के बजट के साथ-साथ अपनी पर्सनल फाइनेंस प्लानिंग पर भी ध्यान देने का मौका मिलता है. निवेश, खर्च और बचत के संयोजन का ये नियम आपके लिए शानदार रिटर्न के रास्ते खोलता है.
पर्सनल फाइनेंस का 50-30-20 रूल आपकी जरूरतों, इच्छाओं और बचत-निवेश के लिए सही रकम के आवंटन के बारे में निवेशकों को एक फॉर्मूले के आधार पर पैसा लगाने की सलाह देता है. इसके तहत तीन मुख्य बातों का ध्यान रखना होता है. इस नियम की शुरुआत अमेरिकी सीनेट और टाइम मैगजीन की 100 प्रभावशाली लोगों में शामिल एलिजाबेथ वॉरेन ने की थी. उन्होंने अपनी बेटी के साथ मिलकर साल 2006 में अपनी किताब ऑल योर वर्थ: द अल्टीमेट लाइफटाइम मनी प्लान (All Your Worth: The Ultimate Lifetime Money Plan) में इस नियम के बारे में लिखा था.
1. हर महीने आने वाले अनिवार्य खर्चों को इस फार्मूला के तहत लिस्ट में सबसे ऊपर रखा जाता है. इसमें तमाम जरूरी खर्चे जैसे हाउस रेंट, यूटिलिटी के खर्चे, EMI, ग्रॉसरी और इंश्योरेंस प्रीमियम आदि 50 फीसदी के खर्च में आते हैं. इस 50 फीसदी की मद में आपके घर और जीवन के सभी जरूरी खर्चे शामिल हो जाते हैं.
2. इस फार्मूला के दूसरे पार्ट में 30 फीसदी खर्च उन इच्छाओं पर खर्च के तौर पर सामने आता है जो आपके लिए जरूरत तो नहीं हैं पर इन्हें पूरा करना जीवन को आनंददायक बनाए रखने के लिए जरूरी लगता है. इसमें शॉपिंग, फिल्में देखना, आउटिंग या वैकेशन पर जाना पर जैसे खर्चों पर आप 30 फीसदी का खर्च कर सकते हैं.
3. आखिरी खर्च के तौर पर 20 फीसदी हिस्सा आपको निवेश और बचत के लिए रखना चाहिए. सबसे जरूरी बात ये है कि किसी भी सूरत में इसे टालना नहीं है. जरूरतों पर 50 फीसदी, इच्छाओं पर 30 फीसदी के खर्च में कटौती हो सकती है लेकिन ये निवेश और बचत के 20 फीसदी हिस्से को किसी हाल में नहीं भूला जा सकता है.
इस नियम के तहत जब ये साफ हो जाता है कि हर महीने आप 20 फीसदी रकम बचत और निवेश पर तय कर रहे हैं तो आपके लिए शानदार रिटर्न का रास्ता भी खुलता है. जब बचत के बाद निवेश सही माध्यम में किया जाता है तो कमाई के भी बढ़ने के इंतजाम हो जाते हैं.