भारत का वो रहस्यमय किला जहां नंदी बलते हैं 3 रंग, गुफाओं में खजाने के किस्से भी हैं मशहूर
GH News December 18, 2024 06:10 PM

इस किले के अंदर अचलेश्वर महादेव मंदिर है. यहां शिवलिंग की जगह भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा होती है. मंदिर में पांच धातुओं से बनी नंदी बैल की भी मूर्ति है.

Achalgarh Fort Rajasthan: राजस्थान के माउंट आबू में स्थित अचलगढ़ किला बेहद मशहूर है. यह किला अरावली की पहाड़ियों पर बना है.  इस किले को परमार वंश के राजाओं ने बनवाया था. 15वीं शताब्दी में मेवाड़ के प्रसिद्ध राजा महाराणा कुम्भा ने इसे फिर से बनाया. किले की ऊंची दीवारें, विशाल बुर्ज और सभा मंडप राजपूत कला और संस्कृति का प्रतीक हैं. इस किले को देखने के लिए दूर-दूर से टूरिस्ट आते हैं. किले में 2 तरह के मंडप थे. पहला सभा मंडप था, जहां राजा और दरबारियों की बैठक होती थी और दूसरा पूजा मंडप धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ के लिए बनाया गया था.

किले में है अचलेश्वर मंदिर, नंदी की मूर्ति बदलती है रंग

इस किले के अंदर अचलेश्वर महादेव मंदिर है. यहां शिवलिंग की जगह भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा होती है. मंदिर में पांच धातुओं से बनी नंदी बैल की भी मूर्ति है. मान्यता है कि मंदिर में लगी नंदी की मूर्ति तीन तरह के रंग बदलती है. इस किले में मंदाकिनी झील है. जिसे बेहद पवित्र माना जाता है और इसे लेकर भी कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं.

ऐसा कहा जाता है कि अचलगढ़ किले के अंदर स्थित खुफिया गुफाओं में खजाना है. इन गुफाओं में बने निशान को देखकर लोग यहां खजाना होने की बात कहते हैं. युद्ध के दौरान किला सेना का ठिकाना हुआ करता था. अब यह किला लगभग खंडहर हो चुका है. किले की खंडहर दीवारे इसके समृद्ध इतिहास को बयां करती हैं. यह किला टूरिस्टों के लिए सुबह 5 बजे से शाम के 7 बजे तक खुलता है. मंदाकिनी झील के किनारे पर राजा भृतहरि का किला भी है. इस किले के भी अधिकांश भाग खंडहर हो चुका है. अगर आपने भी यह किला नहीं देखा है तो आप इस किले की सैर कर सकते हैं.

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