Dhirubhai Ambani Birthday: भजिया तलने से लेकर हजारों करोड़ के बिजनेस बनाने तक, ऐसी रही है अंबानी की कहानी
Samachar Nama Hindi December 28, 2024 02:42 PM

अंबानी परिवार का नाम आज भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के सबसे अमीर और सफल परिवारों में गिना जाता है। इस प्रतिष्ठा की नींव धीरूभाई अंबानी ने अपनी कड़ी मेहनत, संघर्ष और अद्वितीय दूरदर्शिता से रखी थी। उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि सीमित संसाधनों में भी महान उपलब्धियाँ हासिल की जा सकती हैं।

प्रारंभिक जीवन और संघर्ष

धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के चोरवाड गांव में एक साधारण परिवार में हुआ था। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। 17 साल की उम्र में उन्होंने अपने परिवार की मदद के लिए यमन के अदन शहर में एक पेट्रोल पंप पर काम करना शुरू कर दिया। वहां उन्हें 300 रुपये मासिक वेतन मिलता था. अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के कारण, उन्हें जल्द ही फिलिंग स्टेशन पर प्रबंधक के पद पर पदोन्नत किया गया।

रिलायंस की शुरुआत

1954 में धीरूभाई भारत लौट आये। 500 रुपये की बचत और बड़े सपनों के साथ, उन्होंने मुंबई में एक छोटे से कमरे से रिलायंस कॉमर्स कॉर्पोरेशन की शुरुआत की। उनकी कंपनी भारत में पॉलिएस्टर यार्न का आयात और मसालों का निर्यात करती थी। धीरे-धीरे उन्होंने कारोबार का विस्तार किया और 1966 में विमल ब्रांड के साथ कपड़ा उद्योग में प्रवेश किया। यह ब्रांड जल्द ही भारतीय बाज़ार में लोकप्रिय हो गया और धीरूभाई ने अपनी पहचान बना ली।

विस्तार एवं सफलता

धीरूभाई ने कपड़ा के साथ-साथ पेट्रोकेमिकल, रिफाइनिंग और अन्य क्षेत्रों में भी विस्तार किया। उन्होंने न सिर्फ कारोबार को बढ़ावा दिया बल्कि लाखों लोगों को रोजगार के अवसर भी मुहैया कराये. उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व कौशल ने 2000 तक 62 हजार करोड़ रुपये के मूल्यांकन के साथ रिलायंस को भारत की नंबर 1 कंपनी बना दिया।

विरासत और प्रेरणा

6 जुलाई 2002 को धीरूभाई अंबानी की मृत्यु हो गई, लेकिन उनकी विरासत को उनके बेटों मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी ने आगे बढ़ाया। आज रिलायंस इंडस्ट्रीज की कीमत 16.60 लाख करोड़ रुपये है और मुकेश अंबानी दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से हैं।

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