मर्दों को बचपन से सिखाया जाता है औरतों को सामान समझना! खराब परवरिश की निशानी है ऐसी सोच
Idiva January 04, 2025 07:42 AM

किसी भी पुरुष प्रधान समाज में मर्द और औरत की परवरिश बहुत मायनों में अलग होती है, यहीं से उनकी सोच के बीच अंतर भी पैदा होने लगता है। हम औरतों को बचपन से सिखाया जाता है कि कैसे रहना है, कैसे चलना है, कैसे हंसना है, क्या पहनना है। पर पुरुषों की जिंदगी इस मामले में बिल्कुल उलट है, शायद इसलिए उनके नज़रिए में एक महिला उपभोग की वस्तु समान ही नज़र आती है! आज हम उनके नज़रिए के बारे में ही बात करने वाले हैं।

औरत को जीता जाता है (You Can Win A Woman)

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औरत एक जीतने की वस्तु है, यह पुरुषों को सिखाया जाता है। इतिहास में भरी पड़ी ज्यादातर प्रेम कहानियां इस ओर हमेशा से संकेत करती रही हैं। स्त्री को युद्ध से जितना हमारे इतिहास का अभिन्न हिस्सा रहा है, फिर हम इस मॉडर्न सोसायटी में यह कल्पना कैसे कर सकते हैं कि उनकी सोच बदलेगी। आजकल की जाने वाली फ्लर्टिंग और लड़कियों को इंप्रेस करने की कोशिश में जुटे लोग इसी सोच के साथ तो आगे बढ़ रहे हैं।

सुंदरता आकर्षण है (Beauty Is Attraction)

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स्त्री की बाहरी सुंदरता, आज भी उतनी ही मायने रखती है जितनी पहले रखा करती थी। मन की सुंदरता पर कितना ही ज्ञान दिया जाए, पुरुषों की प्राथमिकता हमेशा से एक सुंदर स्त्री रही है। ऐसी स्त्री जो देखने में आकर्षक हो, जिसे देखकर उनके मन में भावनाएं पनपे। पुरुषों के प्यार के लिए लड़की के लुक्स पहली सीढ़ी हैं जिसके बाद वो बाकी गुणों से उन्हें जांचते परखते हैं।

बच्चे पैदा करना उनका उद्देश्य है (Only Goal Is To Give Birth)

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लड़की पर शादी का दबाव भी इसलिए डाला जाता है कि वह वंश आगे बढ़ाएगी। बच्चे पैदा करना उनके जीवन का एक मुख्य उद्देश्य माना गया है। समाज की नज़रों में खासकर कि पुरुषों की नज़रों में उस महिला का कोई अस्तित्व नहीं, अगर वह बच्चे को जन्म न दे पाए।

शादी जैसे सामाजिक बंधन का मतलब ही बच्चे पैदा करके उनकी परवरिश करना माना जाता है जिसके लिए औरतों को अपना करियर तक किनारे करना पड़ता है। कुछ महिलाएं इसमें खुशी-खुशी समझौता करती हैं तो कुछ जीवन भर इस अपराध बोध के साथ जिंदा रहती है।

औरत एक संपत्ति है (Women Are Their Property)

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जी हां, एक संपत्ति जिसे सब हड़पने की सोचते हैं! पुरुषों की सोच लड़की को लेकर ऐसी रहती है। वह उसे संरक्षित करके रखना चाहता है, जिसे मॉडर्न भाषा में डॉमिनेट करना या पोजेसिव नेचर कहते हैं। वैसे तो यह नेचर लड़का या लड़की किसी का भी हो सकता है लेकिन ज्यादातर मामलों में पुरुषों की सोच होती है।

उनकी गर्लफ्रेंड या बीवी एक संपत्ति के समान है जिसे पर्दे में रखना या कम आज़ादी देना उनके लिए संरक्षित या सुरक्षित रखना है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय परंपरा में स्त्री को रत्न का दर्जा दिया गया है, वो रत्न जिसे संभालकर रखा जाना चाहिए।

औरत ध्यान भटकाती है (A Woman Make Men Distracted)

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पुरुषों की नजरें कितनी ही खराब हों, दोष हमेशा औरत के पहनावे को दिया जाता है क्योंकि उनका मानना है कि औरत उनका लक्ष्य से ध्यान भटकाने वाली वस्तु है। मैंने अक्सर पुरुषों की मंडली में खड़ी अकेली महिला के लिए यह कहते सुना है कि अब ग्रुप में लड़की लाओगे तो ध्यान भटकेगा ही!

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