work life balance: लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने हफ्ते में 90 घंटे काम की वकालत की है. उनकी टिप्पणी का काफी विरोध हो रहा है. अभिनेत्री दीपिका पादुकोण और उद्योगपति हर्ष गोयनका ने भी इसकी आलोचना की है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि 90 घंटे काम करने से कर्मचारियों के शरीर पर भी काफी दुष्प्रभाव पड़ता है. उनकी सेहत खराब हो सकती है और यहां तक की जान भी जा सकती है. 2021 की संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में ऐसी ही एक चेतावनी दी गई थी.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, काम से जुड़ी चोटों और बीमारियों से हर साल लगभग 20 लाख लोगों की मौत होती है. एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2021 में संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य और श्रम एजेंसियों ने यह रिपोर्ट जारी की थी. इसमें 2000 से 2016 तक नौकरी के दौरान होने वाली वैश्विक बीमारी और चोट के बोझ को ध्यान में रखा गया था.
अध्ययन में पाया गया कि मृत्यु का सबसे बड़ा कारण क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (फेफड़ों की बीमारियों का एक समूह जो सांस लेना मुश्किल बनाता है) था, जिसने 2016 में 415,000 लोगों की जान ली, इसके बाद स्ट्रोक और इस्केमिक हृदय रोग का स्थान रहा. लंबे समय तक बैठे रहना भी मौत के कारणों में शामिल है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने काम और जीवन के बीच संतुलन के लिए कई सुझाव देते हैं. इसमें लंबे काम के बीच में छोटा ब्रेक लें, तनाव कम करना, कार्यस्थल पर सीमाएं निर्धारित करना, व्यायाम करना और संतुलित आहार लेना शामिल है.
(डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी को प्रदान करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह की किसी भी जानकारी पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)