वर्क-लाइफ बैलेंस की बहस में राजीव बजाज और समीर अरोड़ा ने रखी अपनी राय, एलएंडटी चेयरमैन के बयान पर विवाद जारी
वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर छिड़ी बहस में अब बजाज ऑटो के एमडी राजीव बजाज और Helios कैपिटल के फाउंडर समीर अरोड़ा ने अपनी राय दी है।
- राजीव बजाज ने कहा कि अगर कोई सप्ताह में 90 घंटे काम करने का कल्चर चाहता है, तो इसकी शुरुआत शीर्ष नेतृत्व से होनी चाहिए।
- वहीं, समीर अरोड़ा ने सीईओ बनने के लिए कड़ी मेहनत और अनुशासन को जरूरी बताया।
वर्क-लाइफ बैलेंस की बहस का संदर्भ
यह बहस तब शुरू हुई जब इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने सुझाव दिया कि भारत के युवाओं को देश की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहिए।
- हाल ही में लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन एस एन सुब्रमण्यन ने कहा कि कर्मचारियों को 90 घंटे काम करना चाहिए और रविवार को भी काम करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
- इन बयानों के बाद सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा हो गया और आलोचनाएं तेज हो गईं।
राजीव बजाज का नजरिया
राजीव बजाज ने वर्क-लाइफ बैलेंस की महत्ता पर जोर दिया।
- उन्होंने CNBC-TV18 से कहा:
- “अगर आप 90 घंटे का काम कल्चर चाहते हैं, तो इसकी शुरुआत शीर्ष नेतृत्व से होनी चाहिए।”
- “काम की गुणवत्ता, काम के घंटों से अधिक महत्वपूर्ण है। हमें दयालु और सौम्य नेतृत्व की आवश्यकता है।”
- बजाज ने कहा कि काम और जीवन के अन्य पहलुओं (परिवार, स्वास्थ्य, और कल्याण) के बीच संतुलन न बनाने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
- उन्होंने नेतृत्व की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि संगठन की कमजोरियां अक्सर शीर्ष स्तर पर होती हैं।
समीर अरोड़ा का अनुभव
समीर अरोड़ा ने अपने करियर के शुरुआती दिनों का जिक्र करते हुए कहा:
- उन्होंने 13 घंटे तक काम किया और शुरुआत में सीखने और आगे बढ़ने के लिए अधिक मेहनत की।
- उन्होंने बताया कि एक नए दफ्तर में काम के घंटे कम थे (सुबह 9 से शाम 5 बजे), लेकिन यह उनके लिए नीरसता का कारण बन गया।
- इसके बाद उन्होंने उस कंपनी को छोड़ दिया और अधिक मेहनत वाली पुरानी कंपनी में लौट गए।
एलएंडटी चेयरमैन सुब्रमण्यन का विवादित बयान
एलएंडटी चेयरमैन एस एन सुब्रमण्यन का एक वीडियो वायरल हो गया, जिसमें उन्होंने कर्मचारियों से घर पर कम और ऑफिस में अधिक समय बिताने की बात कही।
- उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा:
- “आखिर आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं?”
- उन्होंने यह भी कहा कि अगर उन्हें कर्मचारियों से रविवार को भी काम करवाने का मौका मिले, तो वह और खुश होंगे।
- उनके इस बयान पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं, और इसे कर्मचारियों के कार्य-जीवन संतुलन का उल्लंघन बताया गया।
क्या कहता है यह विवाद?
वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर छिड़ी यह बहस काम के घंटे और व्यक्तिगत जीवन के संतुलन पर गहराई से विचार करने की आवश्यकता को उजागर करती है।
- नारायण मूर्ति और सुब्रमण्यन जैसे नेताओं के बयानों ने जहां अधिक मेहनत और प्रोडक्टिविटी को बढ़ावा देने की वकालत की है, वहीं राजीव बजाज और समीर अरोड़ा जैसे दिग्गजों ने गुणवत्ता, संतुलन, और व्यक्तिगत विकास को प्राथमिकता देने की बात कही है।