मनोरंजन न्यूज़ डेस्क - अरुण गोविल भारतीय टेलीविजन के सबसे चहेते और सम्मानित अभिनेताओं में से एक हैं। आज उनका जन्मदिन है। इस मौके पर हम आपको रामायण से जुड़ी उनकी एक खास बात बताने जा रहे हैं। रामायण में भगवान राम के किरदार की वजह से उन्हें काफी लोकप्रियता मिली थी। 1987 में जब रामानंद सागर का टीवी शो रामायण प्रसारित हुआ तो अरुण गोविल ने छोटे पर्दे पर भगवान राम के तौर पर ऐसी पहचान बनाई जो आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा है। इस किरदार में उनकी लोकप्रियता का राज थी उनकी मुस्कुराहट। वो मुस्कुराहट जिसने लाखों दिलों को छू लिया और भगवान राम के तौर पर उन्हें और भी खास बना दिया, लेकिन ये मुस्कुराहट उन्हें कहां से मिली? आइए जानते हैं...
राम की मुस्कुराहट के बारे में खुलकर की बात
राजश्री अनप्लग्ड को दिए इंटरव्यू में अरुण गोविल ने अपनी इस मुस्कुराहट के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि जब उन्हें रामायण में भगवान राम का किरदार निभाने का मौका मिला तो गेटअप के बाद भी मैं भगवान राम जैसा नहीं लग रहा था, तब राजकुमार बड़जात्या से मिली सलाह भगवान राम का किरदार निभाने में काफी अहम साबित हुई। उन्होंने बातचीत के दौरान बताया, "राजकुमार बड़जात्या ने मुझसे कहा कि तुम्हारी मुस्कान बहुत अच्छी है, इसका सही तरीके से इस्तेमाल करो। यह छोटी सी बात अरुण गोविल के मन में गहराई से बैठ गई और इसी मुस्कान ने उन्हें पूरे भारत में भगवान राम के रूप में लोकप्रिय बना दिया।
राजकुमार बड़जात्या ने दी सलाह
अरुण गोविल ने इस बारे में विस्तार से बताया, "जब हम रामायण के किरदार की तैयारी कर रहे थे, तब सब कुछ तय था, लेकिन फिर भी मुझे लग रहा था कि मैं भगवान राम जैसा नहीं दिख रहा हूं। तब मुझे राजकुमार बड़जात्या की बात याद आई कि तुम्हारी मुस्कान बहुत अच्छी है, इसका सही जगह इस्तेमाल करो। मैंने अपनी मुस्कुराहट का इस्तेमाल किया और फिर राम बनकर सब कुछ अपने आप आसान हो गया।''
पूरे देश में यह मुस्कान खूब लोकप्रिय हुई
शो में यह मुस्कान भगवान राम के आदर्शों, शांति, समर्पण, प्रेम और करुणा का प्रतीक बन गई। राम के रूप में अरुण गोविल की मुस्कान ने दर्शकों के दिलों में एक अलग छाप छोड़ी। इस मुस्कान ने न सिर्फ उनके चेहरे पर एक दिव्य चमक ला दी बल्कि पूरे किरदार को और भी आकर्षक बना दिया।
भगवान राम के किरदार की वजह से अरुण गोविल खूब लोकप्रिय हुए
अरुण गोविल की मुस्कान का जादू आज भी उनके चाहने वालों के दिलों में मौजूद है। यह सिर्फ एक अभिनेता की मुस्कान नहीं बल्कि एक मजबूत भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक बन गई जो राम के रूप में उनके किरदार को अविस्मरणीय बनाती है। रामायण के इस किरदार ने अरुण गोविल को न सिर्फ एक अभिनेता बल्कि भारतीय संस्कृति के आदर्श भगवान राम के प्रतीक के रूप में भी स्थापित किया।