नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंदिरों में पैसे लेकर वीआईपी लोगों को दी जाने वाली विशेष सुविधाओं के खिलाफ दायर जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले में कोई आदेश पारित नहीं करेगा तथा मंदिर की प्रबंधन समिति को यह तय करना चाहिए कि इस मुद्दे पर क्या कार्रवाई की जाए।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और संजय कुमार की पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर निर्णय समाज और मंदिर प्रबंधन समिति को लेना है। सर्वोच्च न्यायालय इस संबंध में कोई आदेश नहीं देगा। हमारा यह मत हो सकता है कि ऐसी कोई विशेष सुविधा नहीं होनी चाहिए, लेकिन हम ऐसा आदेश जारी नहीं कर सकते।
पीठ ने कहा कि हमारा मानना है कि इस मामले में संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करना आवश्यक नहीं है। यद्यपि हमने इस आवेदन को अस्वीकार कर दिया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अधिकृत अधिकारी इस मामले में आवश्यक कदम नहीं उठाएंगे।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि बारह ज्योतिर्लिंगों के वीआईपी दर्शन और उनके विवेकाधीन प्रथाओं को सुविधाजनक बनाने के लिए एक मानक प्रक्रिया की आवश्यकता है। अदालत वृंदावन स्थित राधामदन मोहन मंदिर के विजय किशोर गोस्वामी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।