ईरान और रूस ने बढ़ाई अमेरिका की चिंता, किया गजब का कमाल
Tarunmitra February 05, 2025 10:42 AM

तेहरान. अमेरिका और इजरायल से तनातनी के बीच ईरान ने रूस में बने सुखोई-35 लड़ाकू विमानों की खरीद की है. इससे पश्चिमी देशों में तेहरान और मॉस्को के बढ़ते सैन्य सहयोग को लेकर चिंता बढ़ गई है. खतम-ओल-अनबिया के डिप्टी कोर्डिनेटर अली शादमानी ने मीडिया से बातचीत में यह स्पष्ट नहीं किया कि कितने विमान खरीदे गए हैं और क्या ये फाइटर जेट पहले ही ईरान को सौंपे जा चुके हैं. शादमानी ने कहा, “जब भी जरूरी होता है, हम अपनी एयर, लैंड और नेवी फोर्स को मजबूत करने के लिए सैन्य खरीद करते हैं. मिलिट्री इक्विपमेंट का प्रोडक्शन भी तेज हो गया है.”

नवंबर 2023 में, ईरान की तसनीम समाचार एजेंसी ने कहा था कि तेहरान ने रूसी लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए सौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है. जनवरी 2025 की शुरुआत में, ईरान और रूस ने एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर हस्ताक्षर किए, जिसमें हथियारों के ट्रांसफर का जिक्र नहीं था, लेकिन कहा गया कि दोनों अपने “सैन्य-तकनीकी सहयोग” को विकसित करेंगे. इस समझौते ने दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत किया है क्योंकि वे बढ़ते भू-राजनीतिक दबावों का सामना कर रहे हैं.

जहां यूक्रेन युद्ध के कारण रूस की क्षेत्रीय स्थिति कमजोर हुई है, वहीं ईरान पश्चिमी प्रतिबंधों और इजरायल के साथ पश्चिम एशिया में संघर्ष के बीच अपने कई क्षेत्रीय सहयोगियों की कमजोरियों से जूझ रहा है. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि दिसंबर की शुरुआत में सीरिया में बशर अल-असद की सरकार के पतन ने तेहरान और मॉस्को के बीच संबंधों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई.

ईरान की एयरफोर्स के पास केवल कुछ दर्जन हमलावर विमान हैं, जिनमें रूसी जेट और पुराने अमेरिकी एफ-14 विमान शामिल हैं, जिन्हें 1979 की इस्लामी क्रांति से पहले खरीदा गया था. नए जेट तेहरान की सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने के लिए लाए जा रहे हैं. अब समय आ गया है कि सुखोई-35 की खरीद के बाद इजरायल-ईरान एयरपावर को समझा जाए.

रूस का सबसे ताकतवर फाइटर जेट है सुखोई-35

सुखोई Su-35 (जिसे Su-35 भी कहा जाता है) एक रूसी मल्टी-रोल फाइटर जेट है, जिसे सुखोई एविएशन कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित किया गया है. यह विमान Su-27 का एडवांस एडिशन है और कई अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है. सुखोई-35 में एडवांस एवियोनिक्स सिस्टम्स का उपयोग किया गया है, जो विमान की सर्विलांस और कंट्रोल को बहुत ही कुशल बनाता है. इसमें एक Phazotron Zhuk-AE सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक रडार (AESA radar) है, जो लंबी दूरी पर लक्ष्यों को ट्रैक करने में सक्षम है.

सुखोई-35 एक अत्याधुनिक डिजिटल फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम से लैस है, जो जेट को हाईलेवल की मैन्युवरबिलिटी मुहैया कराता है, जो जेट के उड़ान को कंट्रोल में रखते हुए इसे अधिक स्थिर बनाता है, जिससे यह हाई स्पीड पर भी असरदार होता है. सुखोई-35 में दो 117S एयरो-इंजन होते हैं, जो थ्रस्ट वेक्टरिंग क्षमता के साथ आते हैं.

रडार को चकमा देने में माहिर है सुखोई-35

सुखोई-35 में आर-77 और आर-73 जैसी लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें लगी हैं. इसके अलावा, यह विमान हवा से ज़मीन पर मार करने वाली मिसाइलें, बम और अन्य हथियारों को भी लेकर उड़ सकता है. सुखोई-35 अलग-अलग तरह के शत्रु विमानों और जमीनी लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम है. सुखोई-35 का रडार क्रॉस सेक्शन अपेक्षाकृत कम होता है, जिससे यह रडार पर कम आसानी से पकड़ा जाता है. यह विमान को अधिक छिपने और दुश्मन की रडार से बचने में मदद करता है.

सुखोई-35 की अधिकतम गति लगभग 2.25 मैक (2,400 किमी/घंटा) है. इसका कार्यकाल (कॉम्बैट रेडियस) लगभग 1,600 किमी है, जबकि इसे दो एयर-टु-एयर ईंधन रिफ्यूलिंग टैंक से लंबी दूरी तक भेजा जा सकता है. कॉकपिट में लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले एलसीडी), हेड-अप डिस्प्ले (एचयूडी) और हेड-डाउन डिस्प्ले (एचडीडी) जैसे सिस्टम्स होते हैं, जो पायलट को उड़ान के दौरान तुरंत और सटीक डेटा देते हैं.

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