जयपुर न्यूज़ डेस्क , जयपुर फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआइ) के दो साल पुराने आदेश के बावजूद फार्मासिस्ट को पैरामेडिकल संवर्ग में ही रखा जा रहा है, जिससे प्रदेशभर के हजारों फार्मासिस्ट प्रभावित हो रहे हैं। पीसीआइ ने 13 जून 2023 को स्पष्ट किया था कि, फार्मासिस्ट पैरामेडिकल का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि एक स्वतंत्र स्वास्थ्य संवर्ग हैं। बावजूद इसके, सरकारी अधिसूचनाओं, सूचनाओं और नीतियों में इसे पैरामेडिकल में शामिल कर गलत व्याख्या की जा रही है। जबकि यूके, यूएस, कनाड़ा और ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देश भी इस सवंर्ग को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता मान चुके हैं।
निदेशालय की मांग
फार्मासिस्टों की मांग है कि सरकार इस संवर्ग के लिए अलग निदेशालय बनाए और सरकारी व निजी क्षेत्र की नीतियों में पैरामेडिकल से अलग स्वतंत्र नीति तैयार करे। इसके अलावा, फार्मासिस्टों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों से जोड़ा जाए और प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्रों का विस्तार कर गांव-ढाणियों तक सस्ती दवा उपलब्ध कराई जाए।फार्मासिस्ट में पैरामेडिकल से पृथक विषय होते हैं। इसमें फार्मास्यूटिकल साइंस, फार्माकोलॉजी, दवा निर्माण, मरीज काउंसलिंग, क्लीनिकल और हॉस्पिटल फार्मेसी, दवा विकास, कम्युनिटी हेल्थकेयर, क्रिटिकल पेशेंट काउंसलिंग, मेडिकेशन एडहेरेन्स, रेशनल ड्रग यूज, पब्लिक हेल्थ और वैक्सीनेशन जैसे विषय शामिल हैं। एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस एवं फार्माकोविजिलेंस विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी फार्मासिस्ट को स्वतंत्र स्वास्थ्य संवर्ग मान चुका है।