Income tax rules: हर किसी इंसान के लिए आयकर विभाग से जुड़े नोटिस चिंता का कारण बन सकते हैं। क्योंकि अक्सर लोग समझते हैं कि सिर्फ एक या दो तरह के नोटिस होते हैं, लेकिन आपको बता दें कि असल में आयकर नोटिस के 8 अलग-अलग प्रकार होते हैं।
इन नोटिसों का उद्देश्य टैक्स से जुड़े विभिन्न मुद्दों को सुलझाना और सही जानकारी प्राप्त करना होता है। जबकि, इन नोटिसों (Income Tax notice update) का जवाब देने के लिए निश्चित समय सीमा होती है, जिसे हर टैक्सपेयर को समझना बेहद जरूरी है। साथ ही अगर समय रहते जवाब न दिया जाए, तो मुश्किलें बढ़ भी सकती हैं।
इसलिए भेजता है आयकर विभाग नोटिस – (Income Tax Notice Reason)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगर किसी व्यक्ति का आयकर विवरण (ITR) में कोई गलती होती है, तो टैक्स विभाग उसे सूचना भेज सकता है। यह जानकारी इस आधार पर होती है कि जानकारी गलत तरीके से दी गई है या कोई जरूरी तथ्य छोड़े गए हैं। सत्यह ही ऐसा नोटिस (Income tax notices) मिलने पर विभाग स्थिति की जांच करता है और जरूरत पड़ने पर कार्रवाई भी की जाती है।
इसके साथ ही यह यह जरूरी है कि व्यक्ति इस तरह के नोटिस के कारणों को समझे, ताकि सही तरीके से जवाब दिया जा सके। जानकारी के अनुसार कुछ मामलों में, यह नोटिस किसी सैलरीड व्यक्ति को भी मिल सकता है, जब उनके विवरण में कोई त्रुटि पाई जाती है। इन नोटिसों के माध्यम से विभाग अपनी जांच करता है और सही करवाई करने के लिए निर्देशित करता है।
1. सेक्शन 143(1)(a) टैक्स नोटिस –
जब आयकर विभाग आपके द्वारा जमा किए गए टैक्स रिटर्न (Tax return) को सही तरीके से प्रोसेस कर लेता है, तो वह एक संदेश भेजता है, जिसे इंटिमेशन नोटिस (Intimation Under Section 143(1) of Income Tax Act ) कहा जाता है। यह संदेश यह पुष्टि करता है कि आपकी द्वारा दी गई जानकारी और विभाग द्वारा की गई कैलकुलेशन में कोई फर्क है या नहीं।
यदि दोनों के बीच कोई अंतर होता है, तो यह कारण भी इस संदेश में बताया जाता है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आपके द्वारा दी गई जानकारी सही है और विभाग की कैलकुलेशन से मेल खाती है। यह संदेश टैक्स (Section 143(1)(a) tax notice) दायित्व की सहीता और किसी भी गलती के बारे में जानकारी देने के लिए भेजा जाता है।
इंटिमेशन नोटिस भेजने का कारण – Income Tax Notice Reason
143(1) मिसमैच इंटिमेशन नोटिस तब भेजा जा सकता है जब रिटर्न फाइल करने में कोई गलती हो, या विभाग द्वारा की गई कैलकुलेशन और आपकी जानकारी में अंतर हो। यह अंतर कैलकुलेशन में गलती, गलत दावे, अर्थमेटिकल एरर (arithmetical errors), सेक्शन 234A/B/C के तहत ब्याज की गलत कैलकुलेशन, या फॉर्म 26AS से जानकारी का मेल न खाना हो सकता है।
जब विभाग द्वारा भेजे गए नोटिस के जवाब में रिटर्न फाइल किया गया हो, तो भी यह नोटिस मिल सकता है। इसके अलावा, जब किसी टैक्स पेयर का रिटर्न विभाग की कैलकुलेशन (ITR calculation) से मेल नहीं खाता है, तो यह संदेश जारी किया जाता है। इन कारणों से, टैक्सपेयर को गलत जानकारी या गलत कैलकुलेशन पर आधारित नोटिस मिल सकता है।
इंटिमेशन नोटिस का जवाब देने की अवधि – income tax Notice Answer Time
अगर आपके द्वारा दी गई जानकारी और विभाग की कैलकुलेशन में कोई अंतर नहीं है, या रिफंड की वजह से नोटिस जारी किया गया है, तो आपको जवाब देने की जरूरत नहीं है। हालांकि, अगर कोई अंतर होता है, तो आपको कार्रवाई करनी होगी। अगर आपको सेक्शन 143(1)(a) के तहत इंटिमेशन (Intimation under section 143(1)(A)) मिलता है, तो आपको उस नोटिस की तारीख से 30 दिनों के अंदर जवाब देना होता है। इस समय सीमा के भीतर उचित कदम उठाना जरूरी है ताकि कोई समस्या न हो और सही प्रक्रिया पूरी की जा सके। समय पर जवाब देना टैक्स पेयर के लिए महत्वपूर्ण होता है, ताकि किसी भी प्रकार की गलतफहमी या दंड से बचा जा सके।
2. सेक्शन 139 (9) डिफेक्टिव ITR नोटिस –
अगर आपने अपना टैक्स रिटर्न गलत या अधूरी जानकारी के साथ जमा किया है, तो आयकर विभाग आपको सेक्शन 139 (9) के तहत एक नोटिस (Defective Notice Under Section 139(9)) भेज सकता है। यह नोटिस तब जारी किया जाता है जब फॉर्म में कोई गलती हो, जैसे कि गलत फॉर्म का चयन करना या जरूरी जानकारी का अभाव होना। इसके अलावा, अगर दस्तावेजों या विवरणों में कोई कमी हो, तो भी रिटर्न को दोषपूर्ण माना जा सकता है। ऐसे नोटिस के जरिए विभाग आपको बताता है कि आपकी जानकारी पूरी नहीं है और आपको उसे सही करना होगा। इस नोटिस का उद्देश्य रिटर्न को सही बनाना और प्रक्रियाओं को सही दिशा में आगे बढ़ाना होता है।
इस कारण से आता है यह नोटिस –
अगर आपने अपने टैक्स रिटर्न में कोई गलत जानकारी दी है, तो आपको डिफेक्टिव ITR नोटिस (Defective Return Notice) मिल सकता है। उदाहरण के तौर पर, अगर आपने HRA का दावा किया है, लेकिन आपकी सैलरी ब्रेकअप में HRA शामिल नहीं है, तो यह एक सामान्य कारण हो सकता है। इसके अलावा, अगर आपने TDS क्लेम किया है, लेकिन संबंधित इनकम की जानकारी नहीं दी, तो भी ऐसा नोटिस भेजा जा सकता है। जैसे, अगर आपने FD के ब्याज की जानकारी नहीं दी, लेकिन उसी FD पर काटे गए TDS को क्लेम किया, तो यह भी एक कारण हो सकता है।
इस तरह की गलती को ठीक करने के लिए आपको नोटिस (types of IT notice) का जवाब देना जरूरी है। यह नोटिस उस वित्तीय वर्ष के अंत से नौ महीने के भीतर भेजा जा सकता है, जिसमें आपने अपना रिटर्न फाइल किया है। उदाहरण के लिए, अगर आपने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए रिटर्न फाइल (ITR Defective notice) किया है, तो यह नोटिस 31 दिसंबर, 2025 तक या उससे पहले जारी हो सकता है। इस समय सीमा के भीतर विभाग आपके रिटर्न में कोई गलती या कमी पाए तो आपको नोटिस भेज सकता है।
इतने समय में कर सकते हैं सुधार –
अगर आपका रिटर्न दोषपूर्ण यानी डिफेक्टिव पाया जाता है, तो आपको नोटिस की तारीख से 15 दिन का समय (IT defective notice reply time) मिलेगा या नोटिस में दी गई समय सीमा के भीतर इसे सुधारने का मौका मिलेगा। अगर समय सीमा आपके लिए पर्याप्त नहीं है, तो आप इसके एक्सटेंशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह प्रक्रिया आपको सुधार करने और सही जानकारी देने का समय देती है, ताकि आपके रिटर्न में कोई समस्या न रहे।
3. सेक्शन 142(1) टैक्स नोटिस
सेक्शन 142(1) के तहत नोटिस एक पूछताछ के रूप में जारी किया जाता है। इसे असेसमेंट नोटिस (Notice Under Assessment or Reassessment) कहा जाता है। यह तब भेजा जाता है जब कोई व्यक्ति सेक्शन 139(1) के तहत अपना ITR नहीं फाइल करता। इस नोटिस के माध्यम से आयकर विभाग उस व्यक्ति से रिटर्न फाइल करने का आग्रह करता है। इसे असेसमेंट या रीअसेसमेंट नोटिस से पहले भेजा जाता है, ताकि व्यक्ति अपनी जानकारी सही तरीके से विभाग को प्रस्तुत कर सके।
किस कारण से भेजा जाता है असेसमेंट नोटिस –
यह नोटिस तब जारी किया जाता है जब आयकर विभाग (Income Tax Department) यह जानना चाहता है कि आपने अपनी आय छूट सीमा से ऊपर होने के बावजूद रिटर्न क्यों नहीं फाइल किया। विभाग को आपके द्वारा जमा किए गए रिटर्न (Income tax return news) पर स्पष्टीकरण चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपकी आय और खर्च सही हैं। आपको इस नोटिस में पूछे गए सभी सवालों का सही जवाब देना होगा और अपने दावों को साबित करने के लिए आवश्यक दस्तावेज और जानकारी प्रदान करनी होगी।
असेसमेंट नोटिस के लिए समयसीमा –
ऐसे नोटिस के लिए कोई समय सीमा (time limit for assessment notice) निर्धारित नहीं है, इसलिए यह किसी भी समय जारी किया जा सकता है। टैक्सपेयर्स को नोटिस में दी गई समय सीमा के भीतर जवाब देना जरूरी होता है, जो सामान्यतः 15 दिन की होती है। इस समय सीमा में सही जानकारी और दस्तावेज प्रदान करना आवश्यक होता है।
4. स्क्रूटनी असेसमेंट नोटिस –
सेक्शन 143(2) के तहत भेजा जाने वाला नोटिस स्क्रूटनी असेसमेंट नोटिस (scrutiny assessment notice) कहलाता है। यह नोटिस तब जारी होता है जब आयकर विभाग आपके द्वारा जमा किए गए ITR की पूरी जांच करना चाहता है। विभाग आपके द्वारा किए गए सभी दावों की सत्यता की पुष्टि करता है, जैसे कि आपकी आय और कटौतियों की जानकारी। इस नोटिस का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि टैक्सपेयर ने अपनी आय और खर्चों की सही जानकारी दी है और कोई गलत दावे नहीं किए गए हैं। इसे भेजने से पहले विभाग पूरी तरह से रिटर्न की समीक्षा करता है ताकि किसी भी गलती या गलत जानकारी का पता चल सके।
स्क्रूटनी असेसमेंट नोटिस भेजने का कारण –
इस नोटिस का उद्देश्य टैक्सपेयर द्वारा जमा किए गए रिटर्न की पूरी जांच करना होता है। जब टैक्स विभाग को किसी टैक्सपेयर के द्वारा किए गए दावों, कटौतियों और अन्य जानकारी की सत्यता की पुष्टि करनी होती है, तो उसे सेक्शन 143(2) के तहत नोटिस (scrutiny assessment notice in section 143(2)) भेजा जाता है। यह एक विस्तृत जांच होती है जिसे स्क्रूटनी असेसमेंट कहा जाता है। विभाग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि जो जानकारी टैक्सपेयर ने दी है, वह सही और वैध है। यदि कोई त्रुटि या गलत दावा पाया जाता है, तो विभाग उसे ठीक करने के लिए आवश्यक कदम उठाता है।
स्क्रूटनी असेसमेंट नोटिस के जवाब का समय-
आमतौर पर इस नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय (reply Time for scrutiny assessment notice) दिया जाता है। हालांकि, नोटिस में दी गई समय सीमा को प्राथमिकता दी जाती है। नोटिस मिलने पर आपको अपनी जानकारी और दस्तावेजों को सही तरीके से अपलोड करके जवाब सब्मिट करना होता है। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सभी आवश्यक दस्तावेज सही और पूर्ण रूप से दिए जाएं ताकि किसी भी प्रकार की समस्या से बचा जा सके।
5. सेक्शन 148 के तहत नोटिस –
Section 148 का उपयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति की आय पिछले वर्ष के मूल्यांकन से छूट जाती है। इस स्थिति में, यदि मूल्यांकन अधिकारी (assessing officer – AO) को इस बात का प्रमाण मिलता है कि आय सही तरीके से दाखिल नहीं की गई है, तो वह यह नोटिस जारी करता है। इससे पहले कि विभाग पुनः मूल्यांकन के लिए कारण पूछे, Section 148A के तहत पहले एक नोटिस भेजा जाता है। यह नोटिस (Notice under Section 148 of Income Tax Act) इस बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए होता है कि इस आय को फिर से क्यों नहीं देखा गया और उसे पुनः मूल्यांकन में क्यों शामिल किया जाए।
सेक्शन 148 के तहत नोटिस आने का कारण –
टैक्सपेयर से प्रतिक्रिया मिलने के बाद या प्रतिक्रिया न मिलने पर, आयकर विभाग एक आदेश जारी करता है। यह आदेश यह स्पष्ट करता है कि मामला पुनः मूल्यांकन के लिए सही है या नहीं। यह आदेश सेक्शन 148A(d) (IT section 148D) के तहत पारित किया जाता है, ताकि यह तय किया जा सके कि टैक्सपेयर की आय सही तरीके से मूल्यांकित हुई है या नहीं। विभाग इस आदेश के जरिए यह निर्णय लेता है कि पुनः मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू की जाए या नहीं, और इससे जुड़ी आवश्यक कार्रवाई की जाती है।
पुनः मूल्यांकन का विभाग को होता है अधिकार –
यह नोटिस सेक्शन 148 के तहत एक निश्चित समय सीमा के भीतर जारी किया जा सकता है। यदि संबंधित वर्ष में छूट गई आय 50 लाख रुपये से कम है, तो यह नोटिस 3 साल 3 महीने के भीतर जारी किया जा सकता है। इसके विपरीत, अगर आय 50 लाख रुपये से अधिक है, तो संबंधित असेसमेंट ईयर (relevant assessment year) के लिए नोटिस 5 साल 3 महीने तक जारी किया जा सकता है। इस समय सीमा के भीतर विभाग को अधिकार होता है कि वह पुनः मूल्यांकन कर सके और आय की सही स्थिति की जांच कर सके। यह प्रावधान आय की वास्तविक स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए होता है, ताकि किसी भी प्रकार की कर चोरी को रोका जा सके।
सेक्शन 148 के तहत मिले नोटिस का जवाब देने का समय –
टैक्सपेयर्स को नोटिस का जवाब निर्धारित समय सीमा के भीतर देना जरूरी होता है। इस नोटिस की जवाब देने की समय सीमा सामान्यतः 1 माह (Reply time for notice in section 148) है। इस अवधि में आपको नोटिस के जवाब में सही जानकारी और दस्तावेज प्रदान करने जरूरी होते हैं।
6. सेक्शन 245 के तहत नोटिस –
सेक्शन 245 के प्रावधान के तहत नोटिस भेजा जा सकता है। बता दें कि आयकर विभाग पिछले साल के बकाए टैक्स को वर्तमान वर्ष के रिफंड से समायोजित कर सकता है। यह समायोजन केवल तब किया जाता है जब चालू वर्ष में टैक्स रिफंड या बकाया टैक्स (Tax refund or tax left) हो। विभाग का उद्देश्य पुराने बकाए को नए रिफंड से पूरा करना होता है, ताकि दोनों सालों के टैक्स हिसाब को संतुलित किया जा सके और किसी प्रकार का अतिरिक्त भुगतान न हो।
यह नोटिस तब जारी किया जा सकता है जब पिछले साल का टैक्स (Previous year pending tax) बकाया हो और उसका भुगतान या निपटारा नहीं किया गया हो। इसके लिए कोई विशेष समय सीमा नहीं होती, यानी यह नोटिस किसी भी समय भेजा जा सकता है। यदि किसी कारण से बकाया टैक्स का भुगतान नहीं हुआ है, तो विभाग इस नोटिस के जरिए टैक्स का निपटारा करने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।-
इतने समय में देना होगा जवाब –
सेक्शन 245 के तहत भेजे गए इस नोटिस का जवाब देने के लिए आमतौर पर 30 दिनों (Intimation notice reply time) की समय सीमा होती है। यदि आपको इस नोटिस पर कोई आपत्ति है या आपने पहले ही बकाया राशि का भुगतान कर दिया है, तो आपको अपने जवाब में टैक्स भुगतान का प्रमाण देना होगा। यह समय सीमा और दस्तावेज़ विभाग के लिए मामले की स्थिति को स्पष्ट करने में मदद करते हैं, ताकि वे सही निर्णय ले सकें।-
7. सेक्शन 154 के तहत आ सकता है नोटिस –
यदि आयकर प्राधिकारी द्वारा रिटर्न स्वीकार करने के बाद किसी दावे में कोई त्रुटि पाई जाती है, तो विभाग सेक्शन 154 के तहत नोटिस (IT notice under section 154) जारी कर सकता है। यह नोटिस इन गलतियों को सुधारने के लिए होता है, ताकि सही जानकारी दर्ज की जा सके। इस प्रक्रिया के दौरान, अगर किसी तरह की गलती या गलत जानकारी पाई जाती है, तो उसे सही करने के लिए विभाग कार्रवाई कर सकता है।
Section 263 के तहत अगर किसी आयकर अधिकारी (Commissioner of Income-tax) द्वारा कोई गलत आदेश दिया गया है जो सरकार के लिए नुकसानदेह हो, तो आयकर आयुक्त को 1 साल के भीतर उस आदेश की जांच करनी होती है। इसके लिए वह अपने अधिकारी द्वारा दिए गए आदेश को सुधारने के लिए विशेष प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। यह प्रक्रिया उस साल के अंत से शुरू होती है जब वह गलत आदेश जारी किया गया था। यह उपाय सरकार के हित की रक्षा के लिए जरूरी है।
8. सेक्शन 131 के तहत नोटिस –
Section 131 (1A) के तहत यदि आयकर विभाग के उच्च अधिकारी जैसे प्रिंसिपल डायरेक्टर जनरल (Principal director general), डायरेक्टर जनरल (Director general), प्रिंसिपल डायरेक्टर (Principal director), डायरेक्टर (Director), असिस्टेंट डायरेक्टर (Assistant director), डिप्टी डायरेक्टर (Deputy director) को शक होता है कि किसी व्यक्ति ने अपनी आय छिपाई है, तो वह एक जांच प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। इसके तहत, संबंधित व्यक्ति को नोटिस से एक सूचना दी जाती है जिसमें उन्हें एक निश्चित समय सीमा, आम तौर पर 30 दिन, के भीतर अपना जवाब देने के लिए कहा जाता है। यह कदम आयकर के सही निर्धारण और कर चोरी को रोकने के लिए उठाया जाता है।