बैंगलोर: कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार इन दिनों अपनी बयानबाज़ी और धार्मिक रुख को लेकर चर्चा में हैं। कांग्रेस के बड़े नेता और प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार ने हाल ही में महाकुंभ में हिस्सा लिया, संगम में स्नान किया और कुंभ की व्यवस्थाओं की सराहना भी की। इस पर सवाल उठने लगे हैं कि क्या डीके शिवकुमार भी शशि थरूर की तरह कांग्रेस से अलग लाइन पर चलने लगे हैं? क्योंकि कांग्रेस की नीति रही है कि सरकार की सराहना न की जाए, चाहे काम कितना ही अच्छा क्यों न हो।
बेंगलुरु में अपने आवास पर मीडिया से बात करते हुए डीके शिवकुमार ने बीजेपी में शामिल होने की अफवाहों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा, "मैं जन्मजात कांग्रेसी हूं और मरते दम तक कांग्रेसी रहूंगा। जो अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि मैं बीजेपी के करीब जा रहा हूं, वो पूरी तरह बकवास हैं।" उन्होंने अपनी कुंभ यात्रा और सद्गुरु जग्गी वासुदेव के आश्रम जाने को लेकर भी सफाई दी। शिवकुमार ने साफ किया कि सद्गुरु उनके घर आए थे और उन्हें ईशा फाउंडेशन के कार्यक्रम में आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा कि "मेरी बेटी पिछले साल इस कार्यक्रम में गई थी, इस बार हमें भी बुलाया गया। लेकिन अब इसे भाजपा से जोड़कर देखा जा रहा है, जो गलत है।"
महाकुंभ में अपनी उपस्थिति और संगम में स्नान को लेकर शिवकुमार ने कहा, "मैं हिंदू के रूप में पैदा हुआ हूं और हिंदू के रूप में ही मरूंगा। सभी धर्मों से प्यार करता हूं और उनका सम्मान करता हूं। जेल में रहते हुए मैंने सिख धर्म का अध्ययन किया, जैन मठों में भी गया, दरगाहों और चर्चों में भी हाज़िरी लगाई। हर समुदाय मुझे गले लगाता है।" लेकिन असली सवाल तब उठा जब शिवकुमार ने महाकुंभ की व्यवस्थाओं की तारीफ की। उन्होंने कहा, "इतने बड़े आयोजन में छोटी-मोटी असुविधाएं तो होंगी, लेकिन व्यवस्थाएं काफी अच्छी थीं। भीड़ को संभालना आसान काम नहीं है।" ये बयान कांग्रेस के उस रुख के खिलाफ जाता है, जिसमें पार्टी ने हमेशा योगी सरकार पर निशाना साधा है। पूरे विपक्ष ने महाकुम्भ को लेकर योगी सरकार को घेरने का प्रयास किया है, जिसमे कांग्रेस सबसे आगे रही है, इसके बाद सपा-तमस, RJD आदि का भी नाम है, जिन्होंने महाकुम्भ को मृयुकुम्भ, बकवास आयोजन और न जाने क्या क्या कहा, पर शिवकुमार का रुख इन सबसे अलग है।
उल्लेखनीय है कि शशि थरूर ने भी कुछ समय पहले प्रधानमंत्री मोदी और भारत की विदेश नीति की तारीफ की थी, जिसके बाद राहुल गांधी ने उन्हें दिल्ली तलब कर लिया था। कांग्रेस के भीतर एक अनकहा नियम है – सरकार की कोई भी सराहनीय पहल विपक्ष की आलोचना में खो जाए। शिवकुमार ने न केवल हिंदू धर्म को लेकर अपनी प्रतिबद्धता ज़ाहिर की, बल्कि बीजेपी सरकार द्वारा आयोजित महाकुंभ की व्यवस्थाओं की भी तारीफ की। इससे कांग्रेस के भीतर हलचल मचनी लाज़मी है। कांग्रेस की विचारधारा रही है कि उसके हिन्दू नेता खुद को सेक्युलर या 'सिर्फ इंसान' कहने में गर्व महसूस करते हैं, लेकिन दूसरे धर्मों के नेता अपनी धार्मिक पहचान खुलकर ज़ाहिर करते हैं। कांग्रेस के प्रधानमंत्री उम्मीदवार और कथित दत्तात्रेय गौत्र के ब्राह्मण राहुल गांधी तो एक बयान में यहाँ तक कह चुके हैं कि मैं किसी प्रकार के हिंदुत्व में विश्वास नहीं रखता , ऐसे में शिवकुमार का बयान उन्हें चिढ़ाने वाला हो सकता है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या डीके शिवकुमार को भी शशि थरूर की तरह राहुल गांधी दिल्ली तलब करेंगे या इस बयान को नज़रअंदाज़ कर दिया जाएगा। कांग्रेस में हिंदू नेताओं को अपनी धार्मिक पहचान ज़ाहिर करने पर अकसर सफाई देनी पड़ती है, जबकि अन्य धर्मों के नेताओं को खुली छूट रहती है। शिवकुमार का बयान इस पुरानी नीति को चुनौती देता है।
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