छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले का सेमरा गांव एक अनोखी जगह है। गांव की संस्कृति और परंपराएं अलग हैं। सेमरा में सात दिन पहले से होली खेलने की परंपरा है। हालाँकि, इस सदियों पुरानी परंपरा के पीछे एक मान्यता है। गांव में कहा जाता है कि अगर होली के दिन कोई त्यौहार मनाया गया तो गांव पर विपत्ति आ जाएगी। ऐसे में आज 21वीं सदी में भी यहां का हर युवा इस परंपरा का सम्मान करता है।
सेमरा गांव में होली पर फूल नहीं उड़ाए जाते और न ही कोई किसी को रंग लगाता है। इस दिन यहां फाग गीत भी नहीं गाए जाते। सेमरा में यह सब त्यौहार से सात दिन पहले किया जाता है। ऐसे में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से ही पिचकारी और रंगों की दुकानें सज जाती हैं। घरों में पकवान बनाये जाते हैं। गांव की गलियों में बच्चे, बुजुर्ग और युवा एक साथ होली खेलते हैं। सड़कें और चौराहे हर जगह रंगों से रंगे हुए हैं।
ग्राम देवता सिदार देव से संबंधित है।
होली से सात दिन पहले सेमरा गांव में ढोल की आवाज गूंजने लगती है। गांव में छत्तीसगढ़ी फाग गीत गाए जाते हैं। सिर्फ होली ही नहीं, यहां हर त्यौहार सात दिन पहले इसी तरह मनाया जाता है। गांव के निवासी गजेंद्र सिन्हा कहते हैं कि गांव की बेटियां जो शादी के बाद ससुराल चली गई हैं, वे भी अपने मायके आकर होली मनाती हैं। उस समय सेमरा में सचमुच होली जैसा माहौल हो जाता है। यह प्रथा जितनी अनोखी है उतनी ही आश्चर्यजनक भी है। इसका संबंध गांव के देवता सिदार देव से है।
यह परंपरा कब से चली आ रही है?
गांव के सरपंच छबीलेश सिन्हा, गजेंद्र सिन्हा, घनश्याम देवांगन, ओमप्रकाश सिन्हा, पूर्व सरपंच कामता राम निषाद बताते हैं कि वर्षों पहले जब गांव में आपदा आई थी, तब ग्राम देवता सरदार देव ने ग्राम प्रधान के सपने में दर्शन दिए थे और हर त्योहार को सात दिन पहले मनाने का आदेश दिया था। ऐसे में यदि ऐसा नहीं किया गया तो गांव पर निश्चित रूप से एक और आपदा आ जाएगी। शुरुआत में तो सभी लोगों ने इसे स्वीकार नहीं किया और पारंपरिक तरीके से त्योहार मनाना शुरू कर दिया, लेकिन कुछ दिनों बाद गांव में समस्याएं पैदा होने लगीं। कभी बीमारी होती थी, कभी अकाल पड़ता था। तब गांव वालों ने उस सपने को पूरा करने का निर्णय लिया। ऐसे में यह परंपरा तब से चली आ रही है। गांव के बुजुर्गों की सलाह से युवा भी इस परंपरा का पालन कर रहे हैं। यह परंपरा आज भी निभाई जा रही है।
ग्रामीणों की मानें तो यहां हर त्यौहार सात दिन पहले ही मनाया जाता है। यदि गांव में ऐसा न हो तो कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। गांव के देवता के क्रोध से बचने के लिए ये ग्रामीण सात दिन पहले ही होली का त्यौहार मना लेते हैं। होली पूरे देश में 14 मार्च को मनाई जाती है। जबकि सेमरा गांव के लोग सात दिन पहले ही होली मना लेते हैं। आसपास के लोग इसे अंधविश्वास बताते हैं, हालांकि किसी अनहोनी के डर से ग्रामीण आज भी इस परंपरा का पालन कर रहे हैं।