बिहार का नाम कभी महात्मा बुद्ध, चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक और गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह जैसे महान व्यक्तियों से जुड़ा था, लेकिन अब यह अपराध और असुरक्षा का प्रतीक बन गया है। सड़कें जर्जर हैं, बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं कमजोर हो रही हैं, और कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है। हत्या, अपहरण, लूट और गैंगवार की घटनाएं आम हो गई हैं, जिससे नागरिकों में असुरक्षा का भाव बढ़ रहा है.
मुंगेर में एक और ASI की हत्या ने बिहार को हिला कर रख दिया है। पुलिस अधिकारी संतोष कुमार को दो पक्षों के विवाद को सुलझाने के लिए भेजा गया था, लेकिन उन पर धारदार हथियार से हमला किया गया, जिससे उनकी जान चली गई। इससे पहले अररिया में भी एक ASI की हत्या हुई थी, जिससे यह सवाल उठता है कि बिहार में अपराधियों का मनोबल इतना क्यों बढ़ गया है?
दो दिनों में दो ASI की हत्या ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। आरजेडी ने नीतीश सरकार पर सवाल उठाए हैं, जबकि बीजेपी ने विपक्ष पर साजिश का आरोप लगाया है। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए ये घटनाएं सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती हैं। डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने इस मामले में कठोर कार्रवाई का आश्वासन दिया है और कहा है कि अपराधियों को उसी भाषा में समझाया जाएगा, जिसे वे समझते हैं.
कांग्रेस के सांसद तारिक अनवर ने कहा कि बिहार में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है और इसके लिए बीजेपी और एनडीए जिम्मेदार हैं। उनका आरोप है कि बीजेपी त्योहारों के समय माहौल को बिगाड़ने की कोशिश करती है और केवल राजनीतिक लाभ के लिए काम करती है.
बिहार में बढ़ते अपराधों के बीच पुलिस अधिकारियों की सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं। यदि पुलिस अधिकारी भी सुरक्षित नहीं हैं, तो आम लोगों की सुरक्षा का क्या होगा? प्रशासन को चाहिए कि वह कठोर कदम उठाए ताकि बिहार में अपराध की दर कम हो सके और नागरिक सुरक्षित महसूस कर सकें.