रूसी 177S इंजन की खूबियां
भारत के रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हो रहा है। भारतीय वायुसेना के 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के लिए इंजन निर्माण में अब रूस को भी शामिल किया गया है। पहले यह वार्ता मुख्य रूप से अमेरिकी (जनरल इलेक्ट्रिक), फ्रांसीसी (सफ्रान) और ब्रिटिश (रोल्स-रॉयस) निर्माताओं तक सीमित थी।
रूस की रोस्टेक कंपनी ने इस प्रोजेक्ट के लिए नया 177S इंजन पेश किया है, जो AL-41F1 और AL-51 का उन्नत संस्करण है। यह इंजन विशेष रूप से 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के लिए विकसित किया गया है और इसे बेहतर थ्रस्ट, ईंधन दक्षता और लंबी सेवा आयु के लिए जाना जाता है।
रूस की इस भागीदारी के कई रणनीतिक और तकनीकी पहलू हैं, जो AMCA प्रोग्राम के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। 177S इंजन क्यों एक मजबूत विकल्प बन सकता है, इसके फायदे और संभावित चुनौतियां क्या हैं और भारत इस इंजन को लेकर क्या निर्णय ले सकता है।
एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) भारत में विकसित किया जा रहा 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ मल्टी-रोल फाइटर जेट है। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) द्वारा विकसित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य भारतीय वायुसेना को एक उन्नत युद्धक विमान प्रदान करना है, जो मौजूदा Su-30MKI और मिराज-2000 जैसे विमानों की जगह ले सके और चीन और पाकिस्तान की वायुसेनाओं के नए लड़ाकू विमानों को चुनौती दे सके।
AMCA के लिए सबसे बड़ी चुनौती एक उपयुक्त इंजन ढूंढना था, जो 110-120 kN थ्रस्ट दे सके। हालांकि, रूस द्वारा प्रस्तावित 177S इंजन, 142 kN तक थ्रस्ट देने में सक्षम है, जो इस आवश्यकता से अधिक है और भारत के लिए एक आकर्षक विकल्प हो सकता है.
रूस का 177S इंजन 142 kN का थ्रस्ट देने में सक्षम है।
अब तक, भारत अमेरिकी जनरल इलेक्ट्रिक (GE), फ्रांसीसी सफ्रान और ब्रिटिश रोल्स-रॉयस के साथ इंजन वार्ता कर रहा था। पश्चिमी इंजन अधिक उन्नत माने जाते हैं, लेकिन इनकी उच्च लागत और सीमित तकनीकी हस्तांतरण चिंता का विषय हैं। इसके विपरीत, रूस ने भारत को इंजन तकनीक हस्तांतरण की पेशकश की है, जिससे भारत भविष्य में अपने खुद के इंजन विकसित कर सकता है।
2. लागत और तकनीकी हस्तांतरणरूसी इंजन का एक बड़ा फायदा यह है कि यह पश्चिमी इंजनों की तुलना में सस्ता होगा और भारत को अधिक तकनीकी आत्मनिर्भरता देगा। अगर भारत को इंजन की सह-उत्पादन सुविधा मिलती है, तो यह भारत की रक्षा निर्माण क्षमता को बढ़ा सकता है।
3. संभावित चुनौतियांभारत के लिए AMCA इंजन का चयन एक दीर्घकालिक रणनीतिक निर्णय होगा। अगर भारत तकनीकी आत्मनिर्भरता और लागत को प्राथमिकता देता है, तो रूसी 177S इंजन एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। हालांकि, भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि रूसी इंजन दीर्घकालिक रूप से विश्वसनीय हो और इसे आवश्यक सुधारों के साथ अपनाया जा सके। भविष्य में अगर भारत इस इंजन को सह-उत्पादन के लिए प्राप्त कर लेता है, तो यह देश की स्वदेशी एयरोस्पेस क्षमताओं को एक नई ऊंचाई पर ले जा सकता है और भारतीय वायुसेना को 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में आत्मनिर्भर बना सकता है.