भारत के AMCA प्रोजेक्ट के लिए रूसी 177S इंजन: एक नई दिशा
Gyanhigyan March 17, 2025 06:42 PM
रूसी 177S इंजन की विशेषताएँ

रूसी 177S इंजन की खूबियां

भारत के रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हो रहा है। भारतीय वायुसेना के 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के लिए इंजन निर्माण में अब रूस को भी शामिल किया गया है। पहले यह वार्ता मुख्य रूप से अमेरिकी (जनरल इलेक्ट्रिक), फ्रांसीसी (सफ्रान) और ब्रिटिश (रोल्स-रॉयस) निर्माताओं तक सीमित थी।

रूस की रोस्टेक कंपनी ने इस प्रोजेक्ट के लिए नया 177S इंजन पेश किया है, जो AL-41F1 और AL-51 का उन्नत संस्करण है। यह इंजन विशेष रूप से 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के लिए विकसित किया गया है और इसे बेहतर थ्रस्ट, ईंधन दक्षता और लंबी सेवा आयु के लिए जाना जाता है।

रूस की इस भागीदारी के कई रणनीतिक और तकनीकी पहलू हैं, जो AMCA प्रोग्राम के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। 177S इंजन क्यों एक मजबूत विकल्प बन सकता है, इसके फायदे और संभावित चुनौतियां क्या हैं और भारत इस इंजन को लेकर क्या निर्णय ले सकता है।


AMCA प्रोजेक्ट: भारत के लिए एक गेमचेंजर

एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) भारत में विकसित किया जा रहा 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ मल्टी-रोल फाइटर जेट है। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) द्वारा विकसित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य भारतीय वायुसेना को एक उन्नत युद्धक विमान प्रदान करना है, जो मौजूदा Su-30MKI और मिराज-2000 जैसे विमानों की जगह ले सके और चीन और पाकिस्तान की वायुसेनाओं के नए लड़ाकू विमानों को चुनौती दे सके।

AMCA के लिए सबसे बड़ी चुनौती एक उपयुक्त इंजन ढूंढना था, जो 110-120 kN थ्रस्ट दे सके। हालांकि, रूस द्वारा प्रस्तावित 177S इंजन, 142 kN तक थ्रस्ट देने में सक्षम है, जो इस आवश्यकता से अधिक है और भारत के लिए एक आकर्षक विकल्प हो सकता है.


रूस के नए हाई-थ्रस्ट इंजन की विशेषताएँ 177S इंजन की विशेषताएँ
  • रूस का 177S इंजन, AL-41F1 और AL-51 का उन्नत हाइब्रिड है, जो विशेष रूप से 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • अधिकतम थ्रस्ट: 14,500 kgf (लगभग 142 kN)
  • बेहतर ईंधन दक्षता: AL-31FP की तुलना में 7% कम ईंधन खपत
  • लंबी सेवा आयु: लगभग 6,000 घंटे, जो Su-30MKI में इस्तेमाल होने वाले AL-31FP से अधिक है
  • FADEC सिस्टम: यह फुल अथॉरिटी डिजिटल इंजन कंट्रोल (FADEC) से लैस है, जिससे इंजन की प्रतिक्रिया और नियंत्रण क्षमता बेहतर होती है
  • सुपरक्रूज क्षमता: यह इंजन आफ्टरबर्नर के बिना भी सुपरसोनिक गति बनाए रख सकता है
  • थ्रस्ट वेक्टरिंग: इंजन में 2D फ्लैट नोज़ल डिज़ाइन का सुझाव दिया गया है, जिससे यह बेहतर स्टील्थ और गतिशीलता प्रदान कर सकता है।

177S इंजन AMCA के लिए उपयुक्त क्यों हो सकता है? भारत को AMCA के लिए 110-120 kN थ्रस्ट वाले इंजन की आवश्यकता है

रूस का 177S इंजन 142 kN का थ्रस्ट देने में सक्षम है।

  • अतिरिक्त शक्ति: उच्च थ्रस्ट के कारण AMCA की गति और युद्धाभ्यास क्षमता बढ़ जाएगी।
  • बेहतर स्टील्थ: यदि भारत इसमें 2D फ्लैट नोज़ल जोड़ता है, तो इंजन की इंफ्रारेड सिग्नेचर कम हो सकती है, जिससे स्टील्थ क्षमताएँ और बेहतर होंगी।
  • सुपरक्रूज: आफ्टरबर्नर का उपयोग किए बिना सुपरसोनिक गति बनाए रखना इसे एक आदर्श 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट इंजन बनाता है।

क्या भारत रूस के साथ जाएगा? 1. पश्चिमी विकल्पों बनाम रूसी इंजन

अब तक, भारत अमेरिकी जनरल इलेक्ट्रिक (GE), फ्रांसीसी सफ्रान और ब्रिटिश रोल्स-रॉयस के साथ इंजन वार्ता कर रहा था। पश्चिमी इंजन अधिक उन्नत माने जाते हैं, लेकिन इनकी उच्च लागत और सीमित तकनीकी हस्तांतरण चिंता का विषय हैं। इसके विपरीत, रूस ने भारत को इंजन तकनीक हस्तांतरण की पेशकश की है, जिससे भारत भविष्य में अपने खुद के इंजन विकसित कर सकता है।

2. लागत और तकनीकी हस्तांतरण

रूसी इंजन का एक बड़ा फायदा यह है कि यह पश्चिमी इंजनों की तुलना में सस्ता होगा और भारत को अधिक तकनीकी आत्मनिर्भरता देगा। अगर भारत को इंजन की सह-उत्पादन सुविधा मिलती है, तो यह भारत की रक्षा निर्माण क्षमता को बढ़ा सकता है।

3. संभावित चुनौतियां
  • रूसी इंजनों की विश्वसनीयता और मेंटेनेंस: भारतीय वायुसेना के Su-30MKI में इस्तेमाल होने वाले AL-31FP इंजन की सर्विस लाइफ और मेंटेनेंस चुनौतियाँ पहले से देखी जा चुकी हैं।
  • पश्चिमी प्रतिबंध: अमेरिका और यूरोप के साथ बढ़ते रक्षा सहयोग के कारण भारत के लिए रूस से इंजन खरीदना राजनीतिक रूप से जटिल हो सकता है।
  • डिलीवरी और टेस्टिंग: नया इंजन होने के कारण 177S की पूरी तरह से परीक्षण और प्रमाणन प्रक्रिया लंबी हो सकती है।

भारत के लिए सबसे अच्छा विकल्प क्या है?

भारत के लिए AMCA इंजन का चयन एक दीर्घकालिक रणनीतिक निर्णय होगा। अगर भारत तकनीकी आत्मनिर्भरता और लागत को प्राथमिकता देता है, तो रूसी 177S इंजन एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। हालांकि, भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि रूसी इंजन दीर्घकालिक रूप से विश्वसनीय हो और इसे आवश्यक सुधारों के साथ अपनाया जा सके। भविष्य में अगर भारत इस इंजन को सह-उत्पादन के लिए प्राप्त कर लेता है, तो यह देश की स्वदेशी एयरोस्पेस क्षमताओं को एक नई ऊंचाई पर ले जा सकता है और भारतीय वायुसेना को 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में आत्मनिर्भर बना सकता है.


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