शिमला, 17 मार्च . मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सोमवार को हिमाचल प्रदेश का 2025-26 के वित्तीय वर्ष का बजट विधानसभा में प्रस्तुत कर रहे हैं. बजट की शुरूआत में मुख्यमंत्री ने प्रदेश की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया. इसके साथ ही उन्होंने पिछली सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन पर भी सवाल उठाए और बताया कि इससे वर्तमान सरकार को कई वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
मुख्यमंत्री ने बजट भाषण में कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में मंदी का असर दिख रहा है, उद्योगों की वृद्धि दर धीमी हो रही है, व्यापार प्रभावित हो रहा है और रोजगार के अवसर घट रहे हैं. इसके अलावा घरेलू मांग में कमी आई है और शेयर बाजार में गिरावट के कारण रिटेल उद्योग भी नुकसान में है. इस सबका असर महंगाई पर पड़ रहा है, जो एक दीर्घकालिक चुनौती बन चुकी है. इन आर्थिक चुनौतियों के बावजूद राज्य सरकार प्रदेश की वित्तीय स्थिति को मजबूत बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है.
प्रदेश का राजस्व घाटा और केंद्र से सहायता की कमी
मुख्यमंत्री ने बजट भाषण में राज्य के राजस्व घाटे के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 2023-24 तक हिमाचल प्रदेश का राजस्व घाटा 9478 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. हिमाचल और अन्य पहाड़ी राज्य विशेष श्रेणी के राज्य हैं, लेकिन केंद्र की वित्तीय सहायता में निरंतर कमी हो रही है. पिछले पांच वर्षों में केंद्र द्वारा दिए जाने वाला राजस्व घाटा अनुदान तेजी से घटा है. 15वें वित्त आयोग के तहत 2021 से 2025 तक हर साल इस अनुदान में कमी आई है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में यह अनुदान 6858 करोड़ रुपये है, जो अगले वित्तीय वर्ष में घटकर 3257 करोड़ रुपये रह जाएगा, जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है.
आपदा राहत और राज्य की आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
मुख्यमंत्री ने वर्ष 2023 में सूबे में आई मानसून आपदा का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से 4500 करोड़ रुपये का आपदा राहत पैकेज प्रदान किया, लेकिन केंद्र से अपेक्षित सहायता नहीं मिली. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प से काम कर रही है. पिछले दो वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद विकास कार्यों में अभूतपूर्व तेजी आई है.
विकास दर और राजस्व में वृद्धि
मुख्यमंत्री ने बताया कि 2022-23 के मुकाबले 2023-24 में प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद 6.89 प्रतिशत से बढ़कर 7.03 प्रतिशत हो गया है. इस दौरान कुल राजस्व प्राप्ति का हिस्सा 35 प्रतिशत से बढ़कर 37.92 प्रतिशत हो गया है. इसके अलावा आबकारी नीति में बदलाव से राज्य को अतिरिक्त आय प्राप्त हुई है. मुख्यमंत्री ने राज्य के कर्ज की स्थिति पर भी स्पष्ट की और कहा कि 31 मार्च 2023 तक राज्य सरकार पर 76,185 करोड़ रुपये का कर्ज था, जिसमें से 12,266 करोड़ रुपये का ब्याज भुगतान और 8,000 करोड़ रुपये का उधार वापसी किया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि 2024-25 में राज्य की विकास दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है और प्रति व्यक्ति आय 2 लाख 57 हजार रुपये रहने की संभावना है.
—————
/ उज्जवल शर्मा