उद्योगपति गौतम अडानी
गौतम अडानी, जो अडानी समूह के चेयरमैन हैं, और उनके भाई राजेश अडानी को सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट से महत्वपूर्ण राहत मिली है। कोर्ट ने उन्हें लगभग 388 करोड़ रुपये के मार्केट रेगुलेशन उल्लंघन के मामले से बरी कर दिया है। यह मामला 2012 में सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) द्वारा शुरू किया गया था, जिसमें अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड और उनके प्रमोटरों पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था।
उद्योगपतियों ने 2019 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने सेशन कोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग की थी। सेशन कोर्ट ने उन्हें मामले से मुक्त करने से इनकार कर दिया था। जस्टिस आर एन लड्ढा की एकलपीठ ने सोमवार को सेशन कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए दोनों को मामले से मुक्त कर दिया।
चार्जशीट का इतिहासदिसंबर 2019 में हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी, जो समय-समय पर बढ़ती रही। 2012 में, एसएफआईओ ने अडानी और 12 अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए चार्जशीट दायर की थी, लेकिन मई 2014 में मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था। एसएफआईओ ने इस बरी करने के आदेश को चुनौती दी थी।
सेशन कोर्ट का निर्णयनवंबर 2019 में, सेशन कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के आदेश को खारिज कर दिया और कहा कि एसएफआईओ ने अडानी समूह द्वारा अवैध लाभ का मामला बनाया था। उद्योगपतियों ने हाई कोर्ट में अपनी याचिका में सेशन कोर्ट के आदेश को “मनमाना और अवैध” बताया। इस मामले में लगभग 388 करोड़ रुपये के मार्केट रेगुलेशन उल्लंघन के आरोप शामिल थे, जो एसएफआईओ की जांच के दौरान उठे थे।