Supreme Court Decision : प्रोपर्टी खरीदने के 40 साल बाद मिला मालिकाना हक, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे सुलझाया मामला
Himachali Khabar Hindi March 17, 2025 10:42 PM

Himachali Khabar : (Supreme Court) प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ इस पर हो रहे विवादों के मामलें भी लगातार बढ़ती ही जा रही है। कोर्ट में भी प्रोपर्टी विवाद से जुड़े लाखों-हजारों मामलें पैंडिग पड़े है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोपर्टी विवाद से जुड़े एक पुरानें मामलें पर फैसला सुनाया है। मामला राजस्थान के जयपुर का है जहां एक प्रॉपर्टी विवाद निपटाने में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को 40 साल लग गए। Supreme Court ने जमीन के मालिक के पक्ष में फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई कि एक प्रॉपर्टी केस (Property Case) के फैसले में 40 साल गुजर गए। कोर्ट ने आदेश दिया की 1985 में खरीदी गई प्रॉपर्टी उसके मालिक को दी जाए।

जानिए पूरा मामला ?

30 जनवरी 1985 को रवि खंडेलवाल ने जयपुर में एक प्राइम लोकेशन पर प्रॉपर्टी (Property in prime location) खरीदी थी। प्रॉपर्टी जयपुर मेटल इलेक्ट्रिक कंपनी से खरीदी गई। उस समय इस प्रॉपर्टी पर तुलिका स्टोर्स का बतौर किराएदार का कब्जा था। प्रॉपर्टी खरीदने (property rules 2025) के बाद खंडेलवाल ने तुलिका स्टोर्स से जगह खाली करने को कहा, लेकिन तुलिका स्टोर्स ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। 

‘टीनेंट एक्ट’ का दिया हवाला

तुलिका स्टोर्स ने इसके लिए ‘टीनेंट कंट्रोल ऑफ रेंट एंड इविक्शन एक्ट’ का (property act) हवाला दिया। इसके तहत कानूनन किसी किरायेदार को उसके मर्जी के खिलाफ 5 साल से पहले खाली नहीं कराया जा सकता। राजस्थान के कानून में पहले ये प्रावधान था। हालांकि, बाद में कानून में बदलाव हुआ है। ऐसे में मामला निचली अदालत से जिला अदालत, फिर हाईकोर्ट और आखिर में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) पहुंचा।

इतने साल तक चला निचली अदालत में मुकदमा…

निचली अदालत में 17 साल तक केस चला। अदालत ने कहा कि प्रॉपर्टी 1982 में किराये पर दी गई थी और जब उन्हें खाली करने के लिए कहा गया तब 5 साल की अवधि (rental period) पूरी नहीं हुई थी। इसलिए फैसला किरायेदार के पक्ष में गया। इसके बाद प्रॉपर्टी के मालिक खंडेलवाल ने जिला अदालत में अर्जी दी। जिला अदालत ने खंडेलवाल के पक्ष में फैसला दिया। फिर किरायेदार तुलिका स्टोर्स ने इस फैसले को राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) में चुनौती दे दी।

High Court को फैसला सुनानें में लगे 16 साल

2004 में तुलिका स्टोर्स ने इस फैसले को राजस्थान High Court में चुनौती दी। कोर्ट को इस पर फैसला सुनाने में 16 साल लग गए। फिर से फैसला प्रॉपर्टी के मालिक के खिलाफ आया। अब प्रॉपर्टी के मालिक खंडेलवाल ने 2020 में हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

Supreme Court ने किया क्लीयर

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने आखिरकार इस केस का निपटारा किया और फैसला प्रॉपर्टी के मालिक के पक्ष में आया। कोर्ट ने संविधान के आर्टिकल 142 के तहत मिले असाधारण अधिकार का इस्तेमाल करते हुए इस विवाद  (property dipute)  को सुलझाया। Supreme Court ने हैरानी भी जताई कि खरीदी हुई प्रॉपर्टी पर कब्जे (Cases of possession of property) का ये विवाद 38 साल तक चला। अदालत ने अपने फैसले में लिखा कि इतना वक्त लग चुका है और अगर ये केस फिर अपील में जाता है तो ये इंसाफ का मजाक होगा। 

प्रॉपर्टी के मालिक का क्या है कहना?

खंडेलवाल कहते हैं, “40 साल केस लड़ने के लिए बहुत मुश्किल है। वकील मेरे पिता के दोस्त थे। इसलिए फीस का प्रेशर नहीं था। ऐसे मामलों के लिए वकील 3 से 5 लाख मांगते हैं, जो आम आदमी के लिए संभव नहीं है।”

सितंबर के महीने में मिलेगा मालिकाना हक

रवि खंडेलवाल की ये प्रॉपर्टी की कीमत (property prices) आज करोड़ों रुपये में है। किराये के तौर पर तुलिका स्टोर्स ने उन्हें अब तक 500 रुपये महीना मिल रहा था। कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें सितंबर में इस प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक (Ownership of the property) मिल जाएगा।

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