बसपा सुप्रीमो ने राजधानी में सोमवार को यह बात कही। इस दौरान उन्होंने सामाजिक परिवर्तन और जातिवादी मानसिकता से हटकर बहुजन समाज को सम्मान दिलाने की बात कही। उन्होंने कहा कि होली सहित अन्य विभिन्न त्योहारों के बीच इस बार कांशीराम जी की जयंती जिस अति उत्साह और जोश के साथ मनाकर उनके अनुयायियों ने अपनी पार्टी को हर स्तर पर मजबूत बनाने का जो संकल्प लिया है, उसने पार्टी को मजबूती देने के लिए उनकी हिम्मत और हौसले को कई गुना बढ़ा दिया है।
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मायावती ने कहा, मैं हमेशा की तरह, आगे भी अपने जीते-जी अपने व्यक्तिगत तथा भाई-बहन व अन्य रिश्ते-नातों आदि के स्वार्थ में कभी भी खुद को कमजोर नहीं पड़ने दूंगी। उन्होंने कहा, वैसे भी मेरे भाई-बहन व अन्य रिश्ते-नाते आदि मेरे लिए केवल बहुजन समाज का ही एक अंग हैं, उसके सिवाय कुछ भी नहीं है।
मायावती ने कहा, इसके अलावा पार्टी व बहुजन आंदोलन के हित में बहुजन समाज के जो भी लोग अपनी पूरी ईमानदारी व निष्ठा से कार्य करते हैं, तो उन्हें पार्टी में जरूर आगे बढ़ने का मौका दिया जाएगा और इस मामले में मेरे रिश्ते-नाते आड़े नहीं आएंगे।
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मायावती का यह बयान यहां इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में दो मार्च को उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी के सभी पदों से हटाने के साथ ही बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इसके साथ ही यह भी घोषित किया था कि जब तक वह जीवित हैं, उनका कोई भी उत्तराधिकारी नहीं होगा।
बसपा प्रमुख ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए कहा, यहां मैं यह भी कहना चाहूंगी कि देश के प्रधानमंत्री बीच-बीच में अपनी खुद की गरीबी का तो जरूर उल्लेख करते रहते हैं, लेकिन इन्होंने दलित व अन्य उपेक्षित वर्गों के लोगों की तरह यहां कभी भी कोई जातीय भेदभाव नहीं झेला है, जो यह सब हमारे संतों, गुरुओं व महापुरुषों ने झेला है, जिसे अभी भी इनके अनुयायी काफी हद तक झेल रहे हैं।
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उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, पिछले कुछ समय से वक्फ बिल पर भी सत्ता व विपक्ष द्वारा जो राजनीति की जा रही है, तो यह भी अति चिंता की बात है और यदि यह मामला समय रहते आम सहमति से सुलझा लिया जाता तो ज्यादा बेहतर होता। केंद्र सरकार इस मामले में जरूर पुनः सोच-विचार करे। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour